- – यह भक्ति गीत माँ नारायणी की महिमा और उनकी सर्वसुखदायिनी, वरदायिनी स्वरूप की स्तुति करता है।
- – गीत में माँ के रूप को मनमोहक और ममता से भरे सागर के समान बताया गया है।
- – माँ के चरणों में सदा रहकर उनकी कृपा पाने और उनसे कभी जुदा न होने की प्रार्थना की गई है।
- – सुहागन के सिर पर माँ के हाथ रखने से उसका सिंदूर अमर हो जाता है, यह माँ की शक्ति का प्रतीक है।
- – भक्त माँ से जीवन में आशीर्वाद और वरदान की कामना करता है तथा उनकी सेवा में अपना जीवन समर्पित करता है।
- – गीत में माँ नारायणी को जगत की तारिणी और सर्वसुखदायिनी के रूप में पूजा गया है।

सर्वसुखदायिनी मैया वरदायिनी,
हे माँ नारायणी तू ही जग तारणी,
हे माँ नारायणी तू ही जग तारणी।।
तर्ज – अच्युतम केशवं।
हे भवानी सदा तेरी रखना कृपा,
तेरे चरणों से करना कभी ना जुदा,
सर्वसुखदायनी मैया वरदायनी,
हे माँ नारायणी तू ही जग तारणी,
हे माँ नारायणी तू ही जग तारणी।।
रूप मनमोहना मुख है चन्द्रमा,
तेरे आँचल में ममता का सागर भरा,
सर्वसुखदायनी मैया वरदायनी,
हे माँ नारायणी तू ही जग तारणी,
हे माँ नारायणी तू ही जग तारणी।।
जो सुहागन के सर हाथ रखदे अगर,
तो सुहागन का सिंदूर करती अमर,
सर्वसुखदायनी मैया वरदायनी,
हे माँ नारायणी तू ही जग तारणी,
हे माँ नारायणी तू ही जग तारणी।।
हे माँ अरमान ये मुझको वरदान दे,
तेरी चोखट पे निकले मेरे प्राण ये,
सर्वसुखदायनी मैया वरदायनी,
हे माँ नारायणी तू ही जग तारणी,
हे माँ नारायणी तू ही जग तारणी।।
‘सोनू’ वंदन करे सदा सुमिरण करे,
तेरी सेवा में जीवन ये अर्पण करे,
सर्वसुखदायनी मैया वरदायनी,
हे माँ नारायणी तू ही जग तारणी,
हे माँ नारायणी तू ही जग तारणी।।
सर्वसुखदायिनी मैया वरदायिनी,
हे माँ नारायणी तू ही जग तारणी,
हे माँ नारायणी तू ही जग तारणी।।
Singer – Shrinivas Sharma
