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शीतला माता की आरती in Hindi/Sanskrit

जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
आदि ज्योति महारानी,
सब फल की दाता ॥
ॐ जय शीतला माता..॥
रतन सिंहासन शोभित,
श्वेत छत्र भाता ।
ऋद्धि-सिद्धि चँवर ढुलावें,
जगमग छवि छाता ॥

ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।

विष्णु सेवत ठाढ़े,
सेवें शिव धाता ।
वेद पुराण वरणत,
पार नहीं पाता ॥

ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।

इन्द्र मृदङ्ग बजावत,
चन्द्र वीणा हाथा ।
सूरज ताल बजावै,
नारद मुनि गाता ॥

ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।

घण्टा शङ्ख शहनाई,
बाजै मन भाता ।
करै भक्तजन आरती,
लखि लखि हर्षाता ॥

ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।

ब्रह्म रूप वरदानी,
तुही तीन काल ज्ञाता ।
भक्तन को सुख देती,
मातु पिता भ्राता ॥

ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।

जो जन ध्यान लगावे,
प्रेम शक्ति पाता ।
सकल मनोरथ पावे,
भवनिधि तर जाता ॥

ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।

रोगों से जो पीड़ित कोई,
शरण तेरी आता ।
कोढ़ी पावे निर्मल काया,
अन्ध नेत्र पाता ॥

ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।

बांझ पुत्र को पावे,
दारिद्र कट जाता ।
ताको भजै जो नाहीं,
सिर धुनि पछताता ॥

ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।

शीतल करती जननी,
तू ही है जग त्राता ।
उत्पत्ति व्याधि बिनाशन,
तू सब की घाता ॥

ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।

दास विचित्र कर जोड़े,
सुन मेरी माता ।
भक्ति आपनी दीजै,
और न कुछ भाता ॥

जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
आदि ज्योति महारानी,
सब फल की दाता ॥
ॐ जय शीतला माता..॥

Sheetla Mata Ki Aarti in English

Jai Sheetla Mata,
Maiya Jai Sheetla Mata.
Aadi Jyoti Maharani,
Sab Phal Ki Daata.
Om Jai Sheetla Mata..

Ratan Singhhasan Shobhit,
Shvet Chhatra Bhaata.
Riddhi-Siddhi Chanvar Dhulaave,
Jagmag Chhavi Chhaata.

Om Jai Sheetla Mata,
Maiya Jai Sheetla Mata.

Vishnu Sevat Thadhe,
Sevein Shiv Dhaata.
Ved Puraan Varanat,
Paar Nahi Paata.

Om Jai Sheetla Mata,
Maiya Jai Sheetla Mata.

Indra Mridang Bajaavat,
Chandra Veena Haatha.
Suraj Taal Bajaavai,
Narad Muni Gaata.

Om Jai Sheetla Mata,
Maiya Jai Sheetla Mata.

Ghanta Shankha Shehnaai,
Baajai Man Bhaata.
Karai Bhaktjan Aarati,
Lakhi Lakhi Harshaata.

Om Jai Sheetla Mata,
Maiya Jai Sheetla Mata.

Brahma Roop Vardaani,
Tuhi Teen Kaal Gyaata.
Bhaktan Ko Sukh Deti,
Maatu Pita Bhraata.

Om Jai Sheetla Mata,
Maiya Jai Sheetla Mata.

Jo Jan Dhyan Lagaave,
Prem Shakti Paata.
Sakal Manorath Paave,
Bhavanidhi Tar Jaata.

Om Jai Sheetla Mata,
Maiya Jai Sheetla Mata.

Rogon Se Jo Peedit Koi,
Sharan Teri Aata.
Kodhi Paave Nirmal Kaaya,
Andh Netra Paata.

Om Jai Sheetla Mata,
Maiya Jai Sheetla Mata.

Baanjh Putra Ko Paave,
Daridr Kat Jaata.
Taako Bhajai Jo Nahi,
Sir Dhuni Pachhtaata.

Om Jai Sheetla Mata,
Maiya Jai Sheetla Mata.

Sheetal Karti Janani,
Tu Hi Hai Jag Traata.
Utapatti Vyadhi Vinashan,
Tu Sab Ki Ghaata.

Om Jai Sheetla Mata,
Maiya Jai Sheetla Mata.

Daas Vichitra Kar Jode,
Sun Meri Mata.
Bhakti Aapni Dije,
Aur Na Kuch Bhaata.

Jai Sheetla Mata,
Maiya Jai Sheetla Mata.
Aadi Jyoti Maharani,
Sab Phal Ki Daata.
Om Jai Sheetla Mata..

जय शीतला माता आरती PDF Download

जय शीतला माता आरती का अर्थ

जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता

यह आरती शीतला माता की स्तुति है, जिसमें भक्त उनकी महिमा का गुणगान करते हैं। “जय शीतला माता” का अर्थ है माता शीतला की जय हो, जिससे उनकी शक्ति और अनुकंपा का आह्वान किया जाता है।

आदि ज्योति महारानी, सब फल की दाता

शीतला माता को आदि ज्योति महारानी कहा गया है, जिसका अर्थ है कि वे इस सृष्टि की प्रथम और शाश्वत प्रकाशस्वरूप देवी हैं। वे सबके जीवन में फलदायिनी हैं, अर्थात सभी को उनकी इच्छाओं का फल देने वाली हैं।

रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भाता

शीतला माता एक रत्नजड़ित सिंहासन पर विराजमान हैं, जो उनकी दिव्यता और ऐश्वर्य को दर्शाता है। उनके सिर पर श्वेत छत्र है, जो उनकी शीतलता और शांति का प्रतीक है।

ऋद्धि-सिद्धि चँवर ढुलावें, जगमग छवि छाता

यहां पर ऋद्धि और सिद्धि नामक देवी उनके चँवर ढुला रही हैं। उनके चारों ओर की जगमगाती छवि उनकी दिव्यता का प्रतीक है, जिससे उनके चारों ओर का वातावरण पवित्र और शीतल हो जाता है।

विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता

शीतला माता की पूजा में भगवान विष्णु और शिव भी खड़े रहते हैं। यह शीतला माता की शक्ति का परिचायक है कि सभी देवता उनकी सेवा में समर्पित हैं।

वेद पुराण वरणत, पार नहीं पाता

वेद और पुराण भी शीतला माता की महिमा का वर्णन करते हैं, लेकिन उनकी महानता का पार पाना कठिन है। इस पंक्ति का तात्पर्य यह है कि उनकी महिमा इतनी असीम है कि कोई भी उसका पूर्ण रूप से वर्णन नहीं कर सकता।

इन्द्र मृदङ्ग बजावत, चन्द्र वीणा हाथा

इन्द्रदेव मृदंग बजा रहे हैं और चन्द्रमा वीणा हाथ में लिए हुए है। यह चित्रण दर्शाता है कि देवी शीतला माता के प्रति सभी देवी-देवताओं की भक्ति और समर्पण है।

सूरज ताल बजावै, नारद मुनि गाता

सूर्य ताल बजा रहे हैं और नारद मुनि शीतला माता का गुणगान कर रहे हैं। नारद मुनि का गान देवी की महिमा को बढ़ाता है, और उनकी भक्ति का संदेश फैलाता है।

घण्टा शङ्ख शहनाई, बाजै मन भाता

देवी की पूजा में घण्टा, शंख, और शहनाई की ध्वनियाँ मन को मोहने वाली हैं। ये ध्वनियाँ भक्तों के मन को शीतल और प्रसन्न कर देती हैं।

करै भक्तजन आरती, लखि लखि हर्षाता

भक्तजन शीतला माता की आरती कर रहे हैं, और उन्हें देखकर माता प्रसन्न होती हैं। माता की प्रसन्नता का आशीर्वाद सभी भक्तों को मिलता है।

ब्रह्म रूप वरदानी, तुही तीन काल ज्ञाता

शीतला माता ब्रह्मस्वरूपा हैं, जो सभी को वरदान देने वाली हैं। वे भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों कालों की ज्ञाता हैं, जो हर समय की स्थितियों को समझती हैं।

भक्तन को सुख देती, मातु पिता भ्राता

शीतला माता अपने भक्तों को सुख प्रदान करती हैं। वे माता, पिता और भाई का रूप धारण करके सभी को सुरक्षा और प्रेम देती हैं।

जो जन ध्यान लगावे, प्रेम शक्ति पाता

जो भक्त शीतला माता का ध्यान लगाता है, वह प्रेम और शक्ति प्राप्त करता है। इस पंक्ति का तात्पर्य है कि माता की भक्ति से आत्मबल और शांति की प्राप्ति होती है।

सकल मनोरथ पावे, भवनिधि तर जाता

शीतला माता की पूजा करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है और भक्त भवसागर से पार हो जाता है।

रोगों से जो पीड़ित कोई, शरण तेरी आता

जो व्यक्ति रोगों से पीड़ित होता है और शीतला माता की शरण में आता है, उसे माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। माता शीतला रोग निवारण के लिए प्रसिद्ध हैं और सभी कष्टों को हरने वाली मानी जाती हैं।

कोढ़ी पावे निर्मल काया, अन्ध नेत्र पाता

शीतला माता के आशीर्वाद से कोढ़ जैसी कठिन बीमारी भी ठीक हो जाती है और नेत्रहीन को दृष्टि प्राप्त होती है। यह पंक्ति शीतला माता की रोग-निवारक शक्तियों की ओर संकेत करती है कि उनकी भक्ति से असाध्य रोग भी दूर हो सकते हैं।

बांझ पुत्र को पावे, दारिद्र कट जाता

शीतला माता की कृपा से संतानहीन महिला संतान सुख प्राप्त करती है और दरिद्रता समाप्त हो जाती है। उनकी पूजा से परिवार में सुख, समृद्धि, और संतान का आगमन होता है।

ताको भजै जो नाहीं, सिर धुनि पछताता

जो व्यक्ति शीतला माता की भक्ति नहीं करता, वह पछताता है। यह पंक्ति इस ओर संकेत करती है कि माता की भक्ति से विमुख व्यक्ति जीवन में अनेक कष्टों का सामना करता है।

शीतल करती जननी, तू ही है जग त्राता

शीतला माता अपने भक्तों को शीतलता और शांति प्रदान करती हैं। वे इस संसार की रक्षक हैं और सभी को सुरक्षा प्रदान करती हैं।

उत्पत्ति व्याधि बिनाशन, तू सब की घाता

शीतला माता जीवन के सभी दुखों और रोगों को समाप्त करने वाली हैं। वे सभी प्रकार की व्याधियों और समस्याओं को नष्ट करती हैं, जिससे उनके भक्त सुरक्षित रहते हैं।

दास विचित्र कर जोड़े, सुन मेरी माता

शीतला माता के भक्त उनके सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हैं और उनसे अपनी समस्याओं का समाधान मांगते हैं। यह भक्तों की माता के प्रति समर्पण और श्रद्धा को दर्शाता है।

भक्ति आपनी दीजै, और न कुछ भाता

भक्त माता से केवल उनकी भक्ति की कामना करते हैं, और उन्हें किसी अन्य चीज़ की इच्छा नहीं होती। यह पंक्ति भक्त के अनन्य प्रेम और समर्पण को दर्शाती है कि माता की भक्ति ही उनके लिए सर्वोपरि है।

जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता

अंतिम पंक्तियों में पुनः शीतला माता की जय का उच्चारण किया गया है। इस आरती का समापन उनकी स्तुति और जय-जयकार से होता है, जिससे माता की महिमा का गुणगान होता है और भक्तों को उनकी कृपा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


यह जय शीतला माता आरती एक भक्तिपूर्ण स्तुति है जो माता शीतला के अनन्य प्रेम, करुणा, और रोग-निवारक शक्ति का विस्तार से वर्णन करती है।

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