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श्री सिद्धिविनायक आरती in Hindi/Sanskrit

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची ।
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची ।
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची ।
कंठी झलके माल मुकताफळांची ।
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय मंगल मूर्ति ।
दर्शनमात्रे मनः,
कामना पूर्ति
जय देव जय देव ॥

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा ।
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा ।
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा ।
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया ।
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय मंगल मूर्ति ।
दर्शनमात्रे मनः,
कामना पूर्ति
जय देव जय देव ॥

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना ।
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना ।
दास रामाचा वाट पाहे सदना ।
संकटी पावावे निर्वाणी, रक्षावे सुरवर वंदना ।
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय मंगल मूर्ति ।
दर्शनमात्रे मनः,
कामना पूर्ति
जय देव जय देव ॥

॥ श्री गणेशाची आरती ॥
शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको ।
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको ।
हाथ लिए गुड लड्डू सांई सुरवरको ।
महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको ॥
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय जय श्री गणराज ।
विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव ॥

अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि ।
विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी ।
कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी ।
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि ॥
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय जय श्री गणराज ।
विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव ॥

भावभगत से कोई शरणागत आवे ।
संतत संपत सबही भरपूर पावे ।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे ।
गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे ॥
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय जय श्री गणराज ।
विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव ॥

॥ श्री शंकराची आरती ॥
लवथवती विक्राळा ब्रह्मांडी माळा,
वीषे कंठ काळा त्रिनेत्री ज्वाळा
लावण्य सुंदर मस्तकी बाळा,
तेथुनिया जळ निर्मळ वाहे झुळझुळा ॥
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय श्रीशंकरा ।
आरती ओवाळू,
तुज कर्पुरगौरा
जय देव जय देव ॥

कर्पुरगौरा भोळा नयनी विशाळा,
अर्धांगी पार्वती सुमनांच्या माळा
विभुतीचे उधळण शितकंठ नीळा,
ऐसा शंकर शोभे उमा वेल्हाळा ॥
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय श्रीशंकरा ।
आरती ओवाळू,
तुज कर्पुरगौरा
जय देव जय देव ॥

देवी दैत्यी सागरमंथन पै केले,
त्यामाजी अवचित हळहळ जे उठले
ते त्वा असुरपणे प्राशन केले,
नीलकंठ नाम प्रसिद्ध झाले ॥
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय श्रीशंकरा ।
आरती ओवाळू,
तुज कर्पुरगौरा
जय देव जय देव ॥

व्याघ्रांबर फणिवरधर सुंदर मदनारी,
पंचानन मनमोहन मुनिजनसुखकारी
शतकोटीचे बीज वाचे उच्चारी,
रघुकुलटिळक रामदासा अंतरी ॥
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय श्रीशंकरा ।
आरती ओवाळू,
तुज कर्पुरगौरा
जय देव जय देव ॥

॥ श्री देवीची आरती ॥
दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी,
अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारी ।
वारी वारीं जन्ममरणाते वारी,
हारी पडलो आता संकट नीवारी ॥
जय देवी जय देवी..

जय देवी जय देवी,
जय महिषासुरमथनी ।
सुरवर-ईश्वर-वरदे,
तारक संजीवनी
जय देवी जय देवी ॥

त्रिभुवनी भुवनी पाहतां तुज ऎसे नाही,
चारी श्रमले परंतु न बोलावे काहीं ।
साही विवाद करितां पडिले प्रवाही,
ते तूं भक्तालागी पावसि लवलाही ॥
जय देवी जय देवी..

जय देवी जय देवी,
जय महिषासुरमथनी ।
सुरवरईश्वरवरदे,
तारक संजीवनी
जय देवी जय देवी ॥

प्रसन्न वदने प्रसन्न होसी निजदासां,
क्लेशापासूनि सोडी तोडी भवपाशा ।
अंवे तुजवांचून कोण पुरविल आशा,
नरहरि तल्लिन झाला पदपंकजलेशा ॥
जय देवी जय देवी..

जय देवी जय देवी,
जय महिषासुरमथनी ।
सुरवरईश्वरवरदे,
तारक संजीवनी
जय देवी जय देवी ॥

॥ घालीन लोटांगण आरती ॥
घालीन लोटांगण, वंदीन चरण ।
डोळ्यांनी पाहीन रुप तुझें ।
प्रेमें आलिंगन, आनंदे पूजिन ।
भावें ओवाळीन म्हणे नामा ॥

त्वमेव माता च पिता त्वमेव ।
त्वमेव बंधुक्ष्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विध्या द्रविणं त्वमेव ।
त्वमेव सर्वं मम देवदेव ॥

कायेन वाचा मनसेंद्रीयेव्रा,
बुद्धयात्मना वा प्रकृतिस्वभावात ।
करोमि यध्य्त सकलं परस्मे,
नारायणायेति समर्पयामि ॥

अच्युतं केशवं रामनारायणं,
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम ।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं,
जानकीनायकं रामचंद्र भजे ॥

Shri Siddhivinayak Aarti in English

Sukh karta dukh harta, varta vighnachi.
Noorvi poorvi prem krupa jayachi.
Sarvangi sundar uti shendu rachi.
Kanthi jhalake maal muktafalanchi.
Jay dev jay dev..

Jay dev jay dev,
Jay mangal murti.
Darshanmatre manah,
Kamna poorti
Jay dev jay dev.

Ratnachit fara tujh Gaurikumara.
Chandnachi uti kumkum keshara.
Heere jadit mukut shobhato bara.
Runjhunati noopure charani ghagariya.
Jay dev jay dev..

Jay dev jay dev,
Jay mangal murti.
Darshanmatre manah,
Kamna poorti
Jay dev jay dev.

Lambodar pitambar phanivar vandana.
Sarl sond vakratunda trinayana.
Das Ramacha vaat pahe sadana.
Sankati paave nirvani, rakshave survar vandana.
Jay dev jay dev..

Jay dev jay dev,
Jay mangal murti.
Darshanmatre manah,
Kamna poorti
Jay dev jay dev.

Shendur laal chadhayo accha Gajmukhko.
Dondil laal biraje sut Gauriharko.
Haath liye gud laddoo sai survarko.
Mahima kahe na jay lagat hun padko.
Jay dev jay dev..

Jay dev jay dev,
Jay Jay Shri Ganraj.
Vidya sukhdata
Dhanya tumhara darshan
Mera man ramta,
Jay dev jay dev.

Ashta Siddhi dasi sankatko bairi.
Vighnavinashan mangal murat adhikari.
Kotisurya prakash aibi chhabi teri.
Gandasthal madmastak jhoole shashibihari.
Jay dev jay dev..

Jay dev jay dev,
Jay Jay Shri Ganraj.
Vidya sukhdata
Dhanya tumhara darshan
Mera man ramta,
Jay dev jay dev.

Bhaav bhagat se koi sharanagat aave.
Santat sampat sabhi bharpoor paave.
Aise tum Maharaj moko ati bhaave.
Gosavinandan nishidin gun gaave.
Jay dev jay dev..

Jay dev jay dev,
Jay Jay Shri Ganraj.
Vidya sukhdata
Dhanya tumhara darshan
Mera man ramta,
Jay dev jay dev.

Lavathvati vikrala brahmandi mala,
Vise kanth kaala trinaytri jwala.
Lavnaya sundar mastaki baala,
Tethuniya jal nirmal vahe jhuljhula.
Jay dev jay dev..

Jay dev jay dev,
Jay Shri Shankara.
Aarti ovalu,
Tuj karpurgaura
Jay dev jay dev.

Karpurgaura bhola nayni vishala,
Ardhangi Parvati sumananchya mala.
Vibhuti che udhalan shitkanth neela,
Aisa Shankar shobhe Uma Velhala.
Jay dev jay dev..

Jay dev jay dev,
Jay Shri Shankara.
Aarti ovalu,
Tuj karpurgaura
Jay dev jay dev.

Devi daityi sagar manthan pai kele,
Tyamaji avachit halahal je uthle.
Te tva asurpane prashan kele,
Neelkanth naam prasiddh jhale.
Jay dev jay dev..

Jay dev jay dev,
Jay Shri Shankara.
Aarti ovalu,
Tuj karpurgaura
Jay dev jay dev.

Vyaghrambar phanivardhar sundar madanari,
Panchanan manmohan munijansukhkari.
Shatkotiche beej vaache uchchari,
Raghukulitak Ramdasa antari.
Jay dev jay dev..

Jay dev jay dev,
Jay Shri Shankara.
Aarti ovalu,
Tuj karpurgaura
Jay dev jay dev.

Durge durghat bhaari tujvin sansari,
Anathnathe ambe karuna vistar.
Vari vari janm maranate vari,
Hari padlo ata sankat nivari.
Jay Devi Jay Devi..

Jay Devi Jay Devi,
Jay Mahishasurmardini.
Survar Ishwar Varde,
Tarak Sanjeevani
Jay Devi Jay Devi.

Tribhuvani bhuvani pahata tuj aise nahi,
Chari shramale parantu na bolave kahi.
Sahi vivad karita padile pravaahi,
Te tu bhaktalagi pavasi lavlahi.
Jay Devi Jay Devi..

Jay Devi Jay Devi,
Jay Mahishasurmardini.
Survar Ishwar Varde,
Tarak Sanjeevani
Jay Devi Jay Devi.

Prasanna vadane prasanna hosi nijdasaa,
Kleshapasuni sodhi toddi bhavpasha.
Amve tujvachun kon puravil aasha,
Narhari tallin jhala pad pankaj lesha.
Jay Devi Jay Devi..

Jay Devi Jay Devi,
Jay Mahishasurmardini.
Survar Ishwar Varde,
Tarak Sanjeevani
Jay Devi Jay Devi.

Ghalin lotangan, vandin charan.
Dolyani pahin roop tujhe.
Preme alingan, anande pujin.
Bhaven ovalin mhane Nama.

Tvameva mata cha pita tvameva.
Tvameva bandhusch sakh tvameva.
Tvameva vidya dravinam tvameva.
Tvameva sarvam mam devdev.

Kayena vacha manasendriyairva,
Buddhyatmana va prakritisvabhavat.
Karomi yadhyat sakalam parasmai,
Narayanayeti samarpayami.

Achyutam Keshavam Ramnarayanam,
Krishnadamodaram Vasudevam Harim.
Shridharam Madhavam Gopikavallabham,
Jankinayakam Ramchandra Bhaje.

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श्री सिद्धिविनायक आरती का अर्थ

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची

“सुख करता दुखहर्ता” का अर्थ है, “वह जो सुख प्रदान करता है और दुख हरता है।” इस पंक्ति में भगवान गणेश की स्तुति की जा रही है, जो सभी बाधाओं और दुखों को दूर करते हैं। “वार्ता विघ्नाची” का मतलब है, “विघ्नों का नाश करने वाला।”

नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची

इस पंक्ति में कहा गया है कि भगवान गणेश अनादि काल से सभी भक्तों पर प्रेम और कृपा बरसाते आ रहे हैं। “नूर्वी पूर्वी” का अर्थ है “पुराने समय से,” और “प्रेम कृपा जयाची” का अर्थ है “उनकी प्रेममयी कृपा।”

सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची

यहां भगवान गणेश के सौंदर्य का वर्णन है कि उनका पूरा शरीर सुंदर है और वे शेंदूर (लाल रंग का पेस्ट) से सजे हुए हैं। “सर्वांगी” का मतलब है “पूरे शरीर पर” और “सुन्दर उटी” का अर्थ है “सुंदर रूप,” जबकि “शेंदु राची” का मतलब है “शेंदूर से सजे हुए।”

कंठी झलके माल मुकताफळांची

इस पंक्ति में भगवान गणेश के गले की माला का वर्णन है, जो मोतियों से जड़ी हुई है। “कंठी” का मतलब है “गला,” और “झलके माल मुकताफळांची” का अर्थ है “मोतियों की माला जो गले में झलकती है।”

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

यह पंक्ति भगवान गणेश की स्तुति में है। “जय देव जय देव” का मतलब है “हे देव, तुम्हें जय हो।” “जय मंगल मूर्ति” का अर्थ है “हे मंगलकारी मूर्ति।” भगवान गणेश को मंगलकारी माना जाता है, जो हर किसी के जीवन में खुशियां और सुख लेकर आते हैं।

दर्शनमात्रे मनः, कामना पूर्ति

यहां कहा गया है कि भगवान गणेश का मात्र दर्शन ही भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करता है। “दर्शनमात्रे” का मतलब है “सिर्फ दर्शन से,” और “मनः कामना पूर्ति” का अर्थ है “मन की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।”

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा

चंदनाची उटी कुमकुम केशरा

इस पंक्ति में भगवान गणेश का वर्णन किया गया है कि वे चंदन और केसर से सजे हुए हैं। “चंदनाची उटी” का अर्थ है “चंदन की साज-सज्जा” और “कुमकुम केशरा” का मतलब है “केसर और कुमकुम से सजे हुए।”

हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा

यहां भगवान के सिर पर जड़े हीरे के मुकुट का वर्णन है। “हीरे जडित मुकुट” का अर्थ है “हीरों से सजा हुआ मुकुट,” और “शोभतो बरा” का मतलब है “यह सुंदरता बढ़ाता है।”

रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया

इस पंक्ति में भगवान गणेश के पैरों में पहने हुए नूपुरों की झंकार का वर्णन है। “रुन्झुनती नूपुरे” का अर्थ है “झनकारते हुए नूपुर,” और “चरनी घागरिया” का मतलब है “पैरों में पहने गए घुंघरू।”

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना

सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना

इस पंक्ति में भगवान गणेश के शारीरिक स्वरूप का वर्णन है। वे लम्बोदर (बड़े पेट वाले) और पीले वस्त्र (पीतांबर) धारण किए हुए हैं। “सरल सोंड” का मतलब है “सादी सूंड़,” और “वक्रतुंडा” का अर्थ है “वक्र सूंड़ वाले,” जबकि “त्रिनयना” का अर्थ है “तीन नेत्र वाले।”

दास रामाचा वाट पाहे सदना

यह पंक्ति भगवान गणेश के भक्त राम को समर्पित है, जो भगवान के दरबार में उनका इंतजार कर रहे हैं। “दास रामाचा” का अर्थ है “राम का सेवक,” और “वाट पाहे सदना” का मतलब है “जो भगवान के दरबार का इंतजार कर रहा है।”

दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको

इस पंक्ति में भगवान गणेश को शेंदूर का लेप चढ़ाने का वर्णन है। “दोंदिल” का मतलब है “लाल रंग में,” और “सुत गौरिहरको” का अर्थ है “गौरी और हर के पुत्र।”

हाथ लिए गुड लड्डू सांई सुरवरको

यहां भगवान गणेश का उल्लेख है कि वे अपने हाथ में गुड़ और लड्डू धारण किए हुए हैं। “सांई सुरवरको” का मतलब है “देवताओं के स्वामी।”

महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको

इस पंक्ति का अर्थ है कि भगवान गणेश की महिमा का पूरी तरह से वर्णन करना असंभव है। “महिमा कहे न जाय” का अर्थ है “उनकी महिमा का वर्णन नहीं किया जा सकता,” और “लागत हूं पादको” का मतलब है “उनके चरणों में झुकने की इच्छा होती है।”

जय देव जय देव, जय जय श्री गणराज

इसमें भगवान गणेश की स्तुति करते हुए उनकी जय-जयकार की गई है। “जय देव जय देव” का अर्थ है “हे देव, तुम्हें जय हो,” और “जय जय श्री गणराज” का मतलब है “हे श्री गणेश, तुम्हें बारंबार जय हो।”

विद्या सुखदाता

इस पंक्ति में भगवान गणेश को विद्या (ज्ञान) और सुख देने वाला बताया गया है। “विद्या” का अर्थ है “ज्ञान,” और “सुखदाता” का अर्थ है “सुख देने वाले।” भगवान गणेश को बुद्धि और ज्ञान के देवता के रूप में माना जाता है।

धन्य तुम्हारा दर्शन, मेरा मन रमता

इस पंक्ति में कहा गया है कि भगवान गणेश का दर्शन करना सौभाग्य की बात है और उनके दर्शन से मन को शांति मिलती है। “धन्य तुम्हारा दर्शन” का अर्थ है “तुम्हारे दर्शन से मैं धन्य हो गया,” और “मेरा मन रमता” का अर्थ है “मेरा मन शांत होता है।”

विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी

इसमें भगवान गणेश का वर्णन करते हुए कहा गया है कि वे आठों सिद्धियों के दाता हैं और सभी संकटों का नाश करने वाले हैं। “अष्टौ सिद्धि दासी” का अर्थ है “आठों सिद्धियां उनकी दासी हैं,” और “संकटको बैरि” का मतलब है “सभी संकटों के शत्रु।” “विघ्नविनाशन” का अर्थ है “विघ्नों का नाश करने वाले,” और “मंगल मूरत अधिकारी” का मतलब है “मंगलकारी मूर्ति।”

कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी

यहां भगवान गणेश की छवि का वर्णन किया गया है, जो करोड़ों सूर्यों के प्रकाश के समान तेजस्वी है। “कोटीसूरजप्रकाश” का अर्थ है “करोड़ों सूर्यों के समान प्रकाशवान,” और “ऐबी छबि तेरी” का मतलब है “तुम्हारी ऐसी छवि है।”

गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि

इस पंक्ति में भगवान गणेश के मस्तक का वर्णन किया गया है जो शशि (चंद्रमा) से सुसज्जित है। “गंडस्थलमदमस्तक” का अर्थ है “भव्य मस्तक वाले,” और “झूले शशिबिहारि” का मतलब है “उनके मस्तक पर चंद्रमा झूलता है।”

भावभगत से कोई शरणागत आवे

संतत संपत सबही भरपूर पावे

इसमें कहा गया है कि जो भी भगवान गणेश की शरण में आता है, उसे भरपूर संपत्ति और सुख मिलता है। “भावभगत” का अर्थ है “भक्ति और प्रेम से,” और “संतत संपत” का मतलब है “सभी प्रकार की संपत्ति।”

ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे

इस पंक्ति में आरती गाने वाला भक्त भगवान गणेश से कहता है कि “ऐसे आप मुझे अति प्रिय हैं।” “ऐसे तुम महाराज” का अर्थ है “हे महाराज, आप,” और “मोको अति भावे” का मतलब है “मुझे बहुत प्रिय हैं।”

गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे

यहां भक्त कहता है कि मैं दिन-रात भगवान गणेश के गुण गाता रहूंगा। “गोसावीनंदन” का मतलब है “गणेश जी,” और “निशिदिन गुन गावे” का अर्थ है “रात-दिन उनके गुण गाता है।”

वीषे कंठ काळा त्रिनेत्री ज्वाळा

इस पंक्ति में भगवान शिव के विकराल रूप का वर्णन किया गया है। वे त्रिनेत्र (तीन नेत्र वाले) हैं और उनके गले में विष (नीला कंठ) है। “वीषे कंठ काळा” का अर्थ है “गले में विष और नीला रंग,” और “त्रिनेत्री ज्वाळा” का मतलब है “तीन नेत्रों वाले जो ज्वाला के समान हैं।”

लावण्य सुंदर मस्तकी बाळा

यहां भगवान शिव की सुंदरता का वर्णन है कि वे अपने मस्तक पर बालों के साथ अत्यंत सुंदर दिखते हैं। “लावण्य सुंदर” का अर्थ है “सुंदर और आकर्षक,” और “मस्तकी बाळा” का मतलब है “मस्तक पर बाल।”

कर्पुरगौरा भोळा नयनी विशाळा

अर्धांगी पार्वती सुमनांच्या माळा

इस पंक्ति में भगवान शिव के भोलेपन और उनकी पत्नी पार्वती का उल्लेख है। “कर्पुरगौरा” का अर्थ है “कपूर के समान गौर वर्ण वाले,” और “भोळा नयनी विशाळा” का मतलब है “भोले और विशाल नेत्र वाले।” “अर्धांगी पार्वती” का अर्थ है “पार्वती उनकी अर्धांगिनी हैं।”

विभुतीचे उधळण शितकंठ नीळा

इसमें भगवान शिव की शोभा का वर्णन किया गया है कि उनके गले में विभूति (राख) और नीले रंग का कंठ है। “विभुतीचे उधळण” का अर्थ है “विभूति की सजावट,” और “शितकंठ नीळा” का मतलब है “नीला कंठ।”

देवी दैत्यी सागरमंथन पै केले

त्यामाजी अवचित हळहळ जे उठले

इस पंक्ति में समुद्र मंथन के दौरान शिव द्वारा विष पीने की घटना का वर्णन है। “दैत्यी सागरमंथन पै केले” का अर्थ है “समुद्र मंथन में देवताओं और दैत्यों का योगदान,” और “हळहळ जे उठले” का मतलब है “विष से हुई पीड़ा।”

ते त्वा असुरपणे प्राशन केले

यहां बताया गया है कि भगवान शिव ने सभी के कल्याण के लिए विष का पान किया। “असुरपणे प्राशन केले” का अर्थ है “असुरों के लिए विष का पान किया।”

व्याघ्रांबर फणिवरधर सुंदर मदनारी

पंचानन मनमोहन मुनिजनसुखकारी

इस पंक्ति में भगवान शिव का वर्णन उनके वस्त्र और गहनों के रूप में किया गया है। “व्याघ्रांबर” का अर्थ है “व्याघ्र (बाघ) की खाल को वस्त्र के रूप में धारण करने वाले,” और “फणिवरधर” का मतलब है “फनधारी नागों को गहनों की तरह धारण करने वाले।” भगवान शिव को सुंदर और कामदेव को हराने वाला बताया गया है।

“पंचानन मनमोहन” का अर्थ है “पांच चेहरों वाले और मनमोहक,” और “मुनिजनसुखकारी” का मतलब है “जो मुनियों और संतों को सुख देने वाले हैं।”

शतकोटीचे बीज वाचे उच्चारी

इस पंक्ति में भगवान शिव की शक्ति का वर्णन है। “शतकोटीचे बीज” का मतलब है “करोड़ों शक्ति के बीज जो उनके पास हैं,” और “वाचे उच्चारी” का अर्थ है “उनका उच्चारण करते हैं।”

रघुकुलटिळक रामदासा अंतरी

इस पंक्ति में भगवान शिव को राम के आराध्य के रूप में वर्णित किया गया है। “रघुकुलटिळक” का अर्थ है “रघुकुल के तिलक श्रीराम,” और “रामदासा अंतरी” का मतलब है “राम उनके हृदय में बसे हुए हैं।”

श्री देवीची आरती – दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी

अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारी

इस पंक्ति में देवी दुर्गा का वर्णन उनकी करुणा और ममता के रूप में किया गया है। “अनाथनाथे” का अर्थ है “अनाथों की रक्षक,” और “अंबे करुणा विस्तारी” का मतलब है “हे अंबे, तुम करुणा को विस्तारित करने वाली हो।”

वारी वारीं जन्ममरणाते वारी

यहां देवी दुर्गा को जन्म और मृत्यु के बंधनों से मुक्ति देने वाली बताया गया है। “वारी वारीं” का अर्थ है “बार-बार,” और “जन्ममरणाते वारी” का मतलब है “जो जन्म-मरण से मुक्त करती हैं।”

हारी पडलो आता संकट नीवारी

इस पंक्ति में भक्त देवी दुर्गा से प्रार्थना कर रहा है कि वे उसके सभी संकटों का नाश करें। “हारी पडलो” का अर्थ है “मैं पराजित हो गया हूं,” और “संकट नीवारी” का मतलब है “मेरे संकट दूर करें।”

जय देवी जय देवी, जय महिषासुरमथनी

यह देवी दुर्गा की स्तुति है, जहां उन्हें महिषासुर मर्दिनी (महिषासुर का वध करने वाली) कहा गया है। “जय देवी जय देवी” का अर्थ है “हे देवी, तुम्हें जय हो,” और “जय महिषासुरमथनी” का मतलब है “महिषासुर को मारने वाली देवी को जय हो।”

सुरवर-ईश्वर-वरदे, तारक संजीवनी

इस पंक्ति में देवी दुर्गा को देवताओं की रक्षक और जीवनदाता कहा गया है। “सुरवर-ईश्वर-वरदे” का अर्थ है “देवताओं को वरदान देने वाली,” और “तारक संजीवनी” का मतलब है “जीवन देने वाली।”

त्रिभुवनी भुवनी पाहतां तुज ऎसे नाही

चारी श्रमले परंतु न बोलावे काहीं

इस पंक्ति में देवी दुर्गा की शक्ति का वर्णन है। कहा गया है कि त्रिभुवन (तीनों लोकों) में उनके समान कोई नहीं है। “त्रिभुवनी भुवनी पाहतां तुज ऎसे नाही” का अर्थ है “तीनों लोकों में आपके जैसा कोई नहीं है।” “चारी श्रमले” का मतलब है “चारों वेद आपको समझने में असमर्थ हैं।”

साही विवाद करितां पडिले प्रवाही

यहां कहा गया है कि वेदों ने भी उनके गुणगान में हार मान ली। “साही विवाद करितां” का अर्थ है “समस्त तर्क और व्याख्या के बावजूद,” और “पडिले प्रवाही” का मतलब है “वे बह गए।”

प्रसन्न वदने प्रसन्न होसी निजदासां

क्लेशापासूनि सोडी तोडी भवपाशा

इस पंक्ति में देवी दुर्गा से प्रार्थना की जा रही है कि वे अपने भक्तों को सभी कष्टों से मुक्त करें। “प्रसन्न वदने” का अर्थ है “मुस्कुराते हुए मुख से,” और “प्रसन्न होसी निजदासां” का मतलब है “अपने भक्तों पर प्रसन्न होती हो।”

“क्लेशापासूनि सोडी” का अर्थ है “कष्टों से मुक्त करती हो,” और “तोडी भवपाशा” का मतलब है “जीवन के बंधनों को तोड़ती हो।”

घालीन लोटांगण आरती – घालीन लोटांगण, वंदीन चरण

डोळ्यांनी पाहीन रुप तुझें

यहां भक्त भगवान के सामने लोटांगण कर उनके चरणों में समर्पण की भावना व्यक्त करता है। “घालीन लोटांगण” का अर्थ है “मैं लोटांगण करता हूं,” और “वंदीन चरण” का मतलब है “आपके चरणों की वंदना करता हूं।”

“डोळ्यांनी पाहीन रुप तुझें” का अर्थ है “अपने नेत्रों से आपका रूप देखता हूं।”

प्रेमें आलिंगन, आनंदे पूजिन

इस पंक्ति में भक्त की भावना व्यक्त की गई है कि वह प्रेम से भगवान को आलिंगन करता है और आनंदपूर्वक उनकी पूजा करता है। “प्रेमें आलिंगन” का अर्थ है “प्रेम से आलिंगन करना,” और “आनंदे पूजिन” का मतलब है “आनंदपूर्वक पूजा करना।”

भावें ओवाळीन म्हणे नामा

यहां भक्त अपने पूरे भाव से भगवान की आरती कर रहा है। “भावें ओवाळीन” का अर्थ है “अपने भावों से ओवाळन (आरती) करना,” और “म्हणे नामा” का मतलब है “नामदेव कहते हैं।”

त्वमेव माता च पिता त्वमेव

इस पंक्ति में भगवान को मां, पिता, भाई, और मित्र के रूप में संबोधित किया गया है, जो कि शरणागत भक्त की सभी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। “त्वमेव माता च पिता त्वमेव” का अर्थ है “आप ही मेरी मां और पिता हैं।” इसी तरह, “त्वमेव बंधुक्ष्च सखा त्वमेव” का मतलब है “आप ही मेरे भाई और मित्र हैं।” यह संपूर्ण समर्पण की भावना को दर्शाता है।

कायेन वाचा मनसेंद्रीयेव्रा

बुद्धयात्मना वा प्रकृतिस्वभावात

इसमें कहा गया है कि भक्त अपने सभी कार्य, वाणी, और विचारों को भगवान को समर्पित करता है। “कायेन वाचा मनसेंद्रीयेव्रा” का अर्थ है “शरीर, वाणी, और मन से,” और “बुद्धयात्मना वा प्रकृतिस्वभावात” का मतलब है “बुद्धि, आत्मा और स्वभाव से।”

“करोमि यध्य्त सकलं परस्मे” का अर्थ है “जो भी मैं करता हूं, वह सब भगवान को समर्पित करता हूं।” “नारायणायेति समर्पयामि” का मतलब है “मैं इसे नारायण को अर्पण करता हूं।”

अच्युतं केशवं रामनारायणं

कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम

यह पंक्ति विभिन्न नामों में भगवान विष्णु की महिमा का वर्णन करती है। “अच्युतं” का अर्थ है “जो अचल हैं,” “केशवं” का मतलब है “केशव,” और “रामनारायणं” का अर्थ है “राम और नारायण।”

“कृष्णदामोदरं” का अर्थ है “कृष्ण और दामोदर,” और “वासुदेवं हरिम” का मतलब है “वासुदेव और हरि।”

श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं

यह पंक्ति भगवान विष्णु के विभिन्न नामों का स्मरण कराते हुए कहती है कि वे श्रीधर, माधव, और गोपिकाओं के प्रिय हैं। “श्रीधरं” का अर्थ है “लक्ष्मीपति,” “माधवं” का मतलब है “माधव,” और “गोपिकावल्लभं” का अर्थ है “गोपिकाओं के प्रिय।”

जानकीनायकं रामचंद्र भजे

यह पंक्ति भगवान श्रीराम को समर्पित है। “जानकीनायकं” का अर्थ है “जानकी के नायक,” और “रामचंद्र भजे” का मतलब है “मैं रामचंद्र का भजन करता हूं।”

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