मेलो फागण को खाटू में चालो,
श्याम ने रंगस्या जी,
मेलो फागण को ॥
रंग भरी पिचकारी लेकर,
खाटू नगरी आवा जी,
छोटो छोटो हाथा से म्हे,
रंग लगावा जी,
मेलो फागण को,
मेलो फागण को खाटू में चालो,
श्याम ने रँगस्या जी,
मेलो फागण को ॥
लाल गुलाबी नीला पीला,
रंग से खाटू रंगस्या जी,
ऐसो करा धमाल के बाबो,
रुक ना पावे जी,
मेलो फागण को,
मेलो फागण को खाटू में चालो,
श्याम ने रँगस्या जी,
मेलो फागण को ॥
भगता के संग होली खेलन,
श्याम धणी अब आयो जी,
देख म्हाने सांवरिये को,
जी ललचावे जी,
मेलो फागण को,
मेलो फागण को खाटू में चालो,
श्याम ने रँगस्या जी,
मेलो फागण को ॥
‘नवीन’ सुनावे फाग श्याम ने,
संग भक्ता रो रेलो जी,
सांवरियो म्हने रंग लगावे,
म्हे भी नाचा जी,
मेलो फागण को,
मेलो फागण को खाटू में चालो,
श्याम ने रँगस्या जी,
मेलो फागण को ॥
मेलो फागण को खाटू में चालो,
श्याम ने रंगस्या जी,
मेलो फागण को ॥
श्याम ने रंगस्या जी: भजन का गहराई से अर्थ और व्याख्या
परिचय
यह भजन केवल एक त्योहार का वर्णन नहीं है; यह भक्ति, आध्यात्मिक प्रेम, और श्याम बाबा की कृपा की गहराई को दर्शाने वाला प्रतीकात्मक रचना है। इसमें हर पंक्ति के पीछे गहरे आध्यात्मिक और सामाजिक अर्थ छुपे हैं, जो खाटू नगरी में होली के त्योहार की महिमा को बढ़ाते हैं। इस भजन में रंगों को सिर्फ बाहरी उत्सव का माध्यम नहीं, बल्कि आत्मा को प्रेम और भक्ति के रंग में रंगने का प्रतीक माना गया है।
मेलो फागण को खाटू में चालो, श्याम ने रंगस्या जी, मेलो फागण को
गहरा अर्थ:
इस पंक्ति में “मेलो” का अर्थ केवल मेला नहीं है। यह एक आध्यात्मिक सभा का संदर्भ है जहां भक्त अपने सांसारिक दुखों को भूलकर श्याम बाबा की शरण में आते हैं। “श्याम ने रंगस्या जी” से यह संकेत मिलता है कि श्याम बाबा न केवल भक्तों के जीवन को रंगीन बनाते हैं बल्कि उनके भीतर की नीरसता और नकारात्मकता को भी प्रेम और आनंद में बदल देते हैं।
आध्यात्मिक व्याख्या:
खाटू धाम को यहां एक आध्यात्मिक ऊर्जा केंद्र के रूप में देखा गया है, जहां फागण (होलिका दहन का महीना) का महत्व जीवन की नकारात्मकता को जलाकर, सकारात्मकता को अपनाने से है। यह पंक्ति आत्मा को जागृत करने की अपील करती है।
रंग भरी पिचकारी लेकर, खाटू नगरी आवा जी
गहरा अर्थ:
यह पंक्ति श्याम बाबा के कृपा रूप को दर्शाती है। “पिचकारी” उनके दिव्य साधन का प्रतीक है, जिससे वे भक्तों के जीवन को प्रेम, आशीर्वाद और दिव्यता के रंग से भर देते हैं।
आध्यात्मिक व्याख्या:
पिचकारी से गिरता रंग केवल बाहरी रंग नहीं है; यह आत्मा पर पड़ने वाला दिव्यता का प्रभाव है। यह प्रेम का रंग है, जो भक्त को अपने सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठाकर भगवान से जोड़ता है।
छोटो छोटो हाथा से म्हे, रंग लगावा जी
गहरा अर्थ:
यहां भक्त का “छोटा हाथ” उनकी सीमित क्षमताओं का प्रतीक है। भक्त अपनी नन्ही-सी भक्ति, जो भी वे दे सकते हैं, उसी से भगवान को रंगने का प्रयास करते हैं।
आध्यात्मिक व्याख्या:
यह पंक्ति “सामर्थ्य से अधिक भाव महत्वपूर्ण है” का संदेश देती है। भगवान श्याम को बाहरी वैभव की आवश्यकता नहीं है; वे अपने भक्त के भाव को देखते हैं। यहां भक्त अपनी सीमितता में भी अपार प्रेम व्यक्त कर रहा है।
लाल गुलाबी नीला पीला, रंग से खाटू रंगस्या जी
गहरा अर्थ:
लाल, गुलाबी, नीला, पीला—यह रंग केवल प्राकृतिक रंग नहीं हैं; ये आध्यात्मिक गुणों का प्रतीक हैं।
- लाल: प्रेम और ऊर्जा का प्रतीक।
- गुलाबी: करुणा और मधुरता।
- नीला: शांति और गहराई।
- पीला: ज्ञान और चेतना।
आध्यात्मिक व्याख्या:
यह पंक्ति दर्शाती है कि खाटू नगरी केवल एक भौतिक स्थान नहीं है, बल्कि एक ऐसी आध्यात्मिक भूमि है जहां हर गुण श्याम बाबा की उपस्थिति से प्रकट होता है। ये रंग भक्तों के भीतर के गुणों को जगाते हैं।
ऐसो करा धमाल के बाबो, रुक ना पावे जी
गहरा अर्थ:
“धमाल” का अर्थ केवल नृत्य नहीं है। यह उस आनंद की स्थिति को दर्शाता है, जिसमें आत्मा पूर्ण रूप से भगवान के साथ लयबद्ध हो जाती है।
आध्यात्मिक व्याख्या:
यहां रुकने का अर्थ है सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर आत्मा का ईश्वर की ओर बढ़ना। जब भक्त श्याम बाबा के रंग में रंगता है, तो उसकी आत्मा अपने मूल स्वरूप—आनंद—में लौट आती है।
भगता के संग होली खेलन, श्याम धणी अब आयो जी
गहरा अर्थ:
भगवान श्याम अपने भक्तों के बीच आकर उनके साथ होली खेलते हैं। यह उनकी करुणा और प्रेम का प्रतीक है।
आध्यात्मिक व्याख्या:
यह पंक्ति भगवान के भक्तवत्सल स्वभाव को दर्शाती है। वे भक्त और भगवान के बीच कोई दीवार नहीं रखते। भक्त और भगवान के इस संबंध में होली का खेल आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक बन जाता है।
देख म्हाने सांवरिये को, जी ललचावे जी
गहरा अर्थ:
यहां “ललचाना” केवल सांसारिक लालसा नहीं है। यह आत्मा की उस गहरी प्यास को दर्शाता है, जो परमात्मा को पाने के लिए तड़प रही है।
आध्यात्मिक व्याख्या:
यह पंक्ति भगवद दर्शन के महत्व को बताती है। भक्त श्याम बाबा को देखकर अपनी आत्मा के भीतर अद्वितीय शांति और संतोष का अनुभव करता है।
‘नवीन’ सुनावे फाग श्याम ने, संग भक्ता रो रेलो जी
गहरा अर्थ:
यहां “नवीन” एक प्रतीक है हर उस भक्त का, जो अपने प्रेम को भगवान के सामने प्रस्तुत करता है। “फाग” (भजन) वह माध्यम है, जो भक्त और भगवान को जोड़ता है।
आध्यात्मिक व्याख्या:
संगीत, नृत्य और भजन, भक्ति मार्ग के सबसे प्रभावी साधन माने गए हैं। जब भक्तगण सामूहिक रूप से भजन गाते हैं, तो उनकी ऊर्जा एक हो जाती है और श्याम बाबा की कृपा को आकर्षित करती है।
सांवरियो म्हने रंग लगावे, म्हे भी नाचा जी
गहरा अर्थ:
जब श्याम बाबा स्वयं भक्त को रंग लगाते हैं, तो यह उनके कृपा और प्रेम का चरम रूप है। भक्त का नृत्य आत्मा की परम आनंदावस्था का प्रतीक है।
आध्यात्मिक व्याख्या:
यह वह अवस्था है, जब भक्त को ईश्वर का प्रत्यक्ष अनुभव होता है। वह अनुभव इतना गहन होता है कि उसका तन-मन स्वयं आनंद में झूम उठता है।
समापन: भजन का गूढ़ संदेश
यह भजन आध्यात्मिकता, प्रेम और भक्ति का अनोखा मिश्रण है।
- इसमें रंग आत्मा की विभिन्न अवस्थाओं को दर्शाते हैं।
- होली का मेला भक्त और भगवान के मिलन का प्रतीक है।
- नृत्य और भजन आत्मा की आनंदावस्था को व्यक्त करते हैं।
यह केवल गाने के लिए नहीं, बल्कि ध्यान और भक्ति की गहराई में उतरने का निमंत्रण है। “श्याम ने रंगस्या” केवल होली के रंग नहीं, बल्कि भगवान की कृपा का वह रंग है, जो हर आत्मा को अपनी दिव्यता में समाहित कर लेता है।