- – भजन में एक स्त्री अपनी सूनी गोद भरने की मनोकामना व्यक्त कर रही है और खाटू नगर (खाटू श्याम जी का स्थान) नंगे पांव आने की इच्छा जता रही है।
- – वह पुत्र प्राप्ति की प्रार्थना कर रही है ताकि घर में खुशियाँ और किलकारियाँ गूंजें।
- – स्त्री बांझपन के कारण सामाजिक अपमान और तानों से दुखी है, और इस दुख से मुक्ति की विनती कर रही है।
- – अपने आंसुओं को गंगा की धारा से तुलना करते हुए, वह अपने दुःखों के अंत और मनोकामना पूरी होने की आस रखती है।
- – भजन में श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान से वरदान की प्रार्थना की गई है, जो मातृत्व और परिवार की खुशहाली से जुड़ी है।
सूनी है गोद मेरी भर दे साँवरिया,
नंगे पांव आउंगी मैं खाटू नगरिया,
नंगे पांव आउंगी मैं सारी उमरिया।।
पुत्र दो या पुत्री दो ममता बरसाउंगी,
तेरी सौगात बाबा सीने से लगाऊंगी,
गूंजे किलकारी घर में दिन और रतिया,
नंगे पांव आउंगी मैं खाटू नगरिया,
नंगे पांव आउंगी मैं खाटू नगरिया,
नंगे पांव आउंगी मैं सारी उमरिया।।
बांझ नही कहलाऊँ मैं ऐसा वरदान दो,
इस दुखिया का जग में नही अपमान हो,
सुनती हूँ ताने सबके खरी खोटी बतिया,
नंगे पांव आउंगी मैं खाटू नगरिया,
नंगे पांव आउंगी मैं सारी उमरिया।।
मेरे आसुंओ की धारा गंगा सी बहती है,
कब होगी आस पुरी आत्मा ये कहती हैं,
विनती स्वीकार करो जग के खिवैया,
नंगे पांव आउंगी मैं खाटू नगरिया,
नंगे पांव आउंगी मैं सारी उमरिया।।
सूनी है गोद मेरी भर दे साँवरिया,
नंगे पांव आउंगी मैं खाटू नगरिया,
नंगे पांव आउंगी मैं सारी उमरिया।।
भजन प्रेषक तथा गायिका,
अंजना आर्या-दिल्ली,
Ph. 9990804410
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