- – कविता में माँ के मंदिर को सजाने वाले फूलों की महिमा और उनकी विशेषता का वर्णन है।
- – फूलों को देवताओं द्वारा नमन किया जाता है और वे माँ की माला बनते हैं, जो उनकी शान को दर्शाता है।
- – सच्ची निष्ठा वाले फूल माँ के पवित्र पिंड पर चढ़ाए जाते हैं, जिनकी महक माँ की महक में घुली होती है।
- – माँ के पास दिव्य शक्ति है जो भाग्य की रेखा बदल सकती है और भक्तों को दया की उम्मीद देती है।
- – मंदिरों में सतरंगे फूल बरसते हैं, जो भक्तों की श्रद्धा और माँ के प्रति विश्वास को दर्शाते हैं।
- – कविता में माँ की दया और भक्तों के प्रति उनकी कृपा की भी प्रार्थना की गई है।
तेरा भवन सजा जिन फूलों से,
उन फूलों की महिमा खास है माँ,
बड़ा गर्व है उनको किस्मत पर,
तेरा हुआ जो उनमे निवास है माँ।।
उन फूलों को देवता नमन करे,
तेरी माला बनी जिन फूलों की,
तू झूलती जिनमे माला पहन,
क्या शान है माँ उन झूलों की,
कभी वैसी दया हम पर होगी,
तेरे भक्तो को पूरी आस है माँ।
तेरा भवन सजा जिन फूलों से,
उन फूलों की महिमा खास है माँ,
बड़ा गर्व है उनको किस्मत पर,
तेरा हुआ जो उनमे निवास है माँ।।
कुछ फूल जो साची निष्ठा के,
तेरी पावन पिण्डिया पे है चढ़े,
तेरी महक में उनकी महक घुली,
ये भाग्यवान है सबसे बड़े,
हर भाग्य की रेखा बदलने की,
दिव्य शक्ति तुम्हारे पास है माँ।
तेरा भवन सजा जिन फूलों से,
उन फूलों की महिमा खास है माँ,
बड़ा गर्व है उनको किस्मत पर,
तेरा हुआ जो उनमे निवास है माँ।।
नित गगन की छत से सतरंगे,
तेरे मंदिरो पे फूल है बरसे माँ,
उन फूलो को माथे लगाने को,
तेरे नाम के दिवाने तरसे माँ,
“लख्खा” पे रहेगी तेरी दया,
“निर्दोष” को ये विश्वास है माँ।
तेरा भवन सजा जिन फूलों से,
उन फूलों की महिमा खास है माँ,
बड़ा गर्व है उनको किस्मत पर,
तेरा हुआ जो उनमे निवास है माँ।।