- – यह भजन माँ गंगा की महिमा और उनकी पवित्रता का वर्णन करता है, जिसमें ब्रह्मा, विष्णु और भोलेनाथ भी उनकी स्तुति करते हैं।
- – भजन में तीन लोक के देवताओं द्वारा माँ गंगा के नाम की माला फेरने और उनकी महिमा को समझने की बात कही गई है।
- – माँ गंगा के धाम पर आने वाले भक्तों को शुद्धि और नसीबों के ताले खोलने का आशीर्वाद मिलता है।
- – भक्त माँ से अपनी भक्ति में रंगने, दर्शन देने और सेवा करने की प्रार्थना करते हैं।
- – भजन में माँ गंगा के प्रति श्रद्धा और भक्ति की भावना को सुंदर शब्दों में प्रस्तुत किया गया है।
- – यह भजन श्री शिवनारायण वर्मा द्वारा लिखा गया है और इसमें माँ गंगा की महिमा का गुणगान किया गया है।
तुझे ब्रम्हा,
हो तुझे ब्रम्हा विष्णु भोला ने,
हर हर गँगे बोला,
माँ ऐ हर हर गँगे बोला।।
तर्ज – मेरा रँगदे बसन्ती चौला।
तीन लोक के देव भी फेरे,
माला तेरे नाम की,
फिर भी महिमा समझ ना पाए,
माता तेरे धाम की,
जो भी आया माँ तेरे दर पे,
हर कोई ये बोला,
मइया हर हर गँगे बोला,
माँ ऐ हर हर गँगे बोला।।
पावन हो जाता है मइया,
प्राणी तेरे धाम पे,
हो जाए जो सच्चे दिल से,
निर्भर तेरे नाम पे,
तू ने उसके सोए नसीबो,
का ताला है खोला,
मइया हर हर गँगे बोला,
माँ ऐ हर हर गँगे बोला।।
तेरे दर्शन को आजाऊँ,
राह मुझे दिखलादो माँ,
तेरे दर का बनूँ मै चाकर,
इतनी दया दिखादो माँ,
अपनी भक्ति के रँग मे माँ,
रँगदो मेरा चौला,
मइया हर हर गँगे बोला,
माँ ऐ हर हर गँगे बोला।।
तुझे ब्रम्हा,
हो तुझे ब्रम्हा विष्णु भोला ने,
हर हर गँगे बोला,
माँ ऐ हर हर गँगे बोला।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
वीडियो उपलब्ध नहीं।
