धर्म दर्शन वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें
Join Now
- – कविता में घनश्याम को अधीनों का तारा और सहारा बताया गया है, जो मुश्किल समय में मदद करता है।
- – कवि अपने और दूसरों के पापों और पतितता के बावजूद घनश्याम को पावन और उद्धारकर्ता मानते हैं।
- – कविता में यह भी कहा गया है कि भले ही नाम बदनाम हो जाए, घनश्याम का साथ हमेशा मिलेगा।
- – कवि सरकार की कमियों और अधम लोगों की बात करते हुए भी घनश्याम की दृष्टि को विशेष मानते हैं।
- – अंत में, घनश्याम को एक ऐसा प्रकाश माना गया है जो अधीनों को मार्गदर्शन और सहारा देता है।

तुमने घनश्याम,
अधीनों को तारा होगा,
तो कभी हमें भी तारने,
का सहारा होगा।।
हम जो मशहूर हैं पापी,
तो तुम हो पतित पावन,
तुम न होगे तो भला,
कौन हमारा होगा।।
गम न होगा हमें बर्बाद,
या पामाल करो,
नाम हर हाल में बदनाम,
तुम्हारा होगा।।
क्यों हमारी भी कुटिलता,
को सुधारोगे भला,
गर्चे कुब्जा कि कुटिलता,
को सुधारा होगा।।
माना कि सरकार कि आँखों में,
अनेकों हैं अधम,
‘बिन्दु’ कि आँख के कोने,
में गुजरा होगा।।
तुमने घनश्याम,
अधीनों को तारा होगा,
तो कभी हमें भी तारने,
का सहारा होगा।।
रचना – बिंदु जी महाराज।
प्रेषक – मोहित कुमार शर्मा।
7222017630
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
