सत्संगति से प्यार करना सीखोजी
जीवन का उद्धार करना सीखोजी
सत्संगति से प्यार करना सीखोजी
जीवन का उद्धार करना सीखोजी
सत्संगति से प्यार करना सीखोजी
जीवन का उद्धार करना सीखोजी
सत्संगति से प्यार करना सीखोजी
जीवन का उद्धार करना सीखोजी
तन धन दाम संग ना जावयए
सुत दारा कोई काम ना आवये – x2
ममता का संघार करना सीखोजी
जीवन का उद्धार करना सीखोजी
सत्संगति से प्यार करना सीखोजी
जीवन का उद्धार करना सीखोजी
॥ सत्संगति से प्यार करना…॥
यह जाग मोहनी नीद का सपना
नही कोई गैर नही कोई अपना
सत्य असत्य विचार करना सीखोजी
जीवन का उद्धार करना सीखोजी
॥ सत्संगति से प्यार करना…॥
हरि का भजन नित्य प्रति कीजे
अंतःकरण शुद्ध कर लीजे
आत्म साक्ष करना सीखोजी
जीवन का उद्धार करना सीखोजी
॥ सत्संगति से प्यार करना…॥
भिक्षु कहे सुनो मन मेरो
नर तन भव भरिढ़ कहु बेरो
भव से बेड़ा पार करना सीखोजी
जीवन का उद्धार करना सीखोजी
॥ सत्संगति से प्यार करना…॥
सत्संगति से प्यार करना सीखोजी
जीवन का उद्धार करना सीखोजी
सत्संगति से प्यार करना सीखोजी
जीवन का उद्धार करना सीखोजी
सत्संगति से प्यार करना सीखोजी: भजन का अर्थ
भजन का परिचय
भजन “सत्संगति से प्यार करना सीखोजी” एक प्रेरणादायक संदेश देता है जो हमें सही मार्ग पर चलने और आध्यात्मिक उत्थान के लिए प्रेरित करता है। यह भजन हमें सिखाता है कि जीवन को उद्धार के मार्ग पर ले जाने के लिए हमें सत्संग और सच्चे मार्ग पर चलने की आवश्यकता है। आइए इस भजन के हर पंक्ति का गहन अर्थ समझें।
सत्संगति से प्यार करना सीखोजी
सत्संगति से प्यार करना सीखोजी, जीवन का उद्धार करना सीखोजी।
अर्थ
इस पंक्ति में बताया गया है कि हमें सत्संग से प्रेम करना चाहिए क्योंकि यह हमारा उद्धार कर सकता है। सत्संग का अर्थ है सही और सच्ची संगति, जो हमें आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर करती है। सत्संग में शामिल होने से हमें सही मार्गदर्शन मिलता है जो जीवन को उन्नति की ओर ले जाता है।
तन धन दाम संग ना जावये, सुत दारा कोई काम ना आवये
तन धन दाम संग ना जावये, सुत दारा कोई काम ना आवये।
अर्थ
इस पंक्ति में समझाया गया है कि हमारे शरीर, धन, या सांसारिक वस्तुएं हमारे साथ मृत्यु के पश्चात नहीं जातीं। यहां तक कि हमारे परिवार और संतान भी अंत में किसी काम नहीं आते। यह पंक्ति हमें अस्थाई वस्तुओं से मोह छोड़कर, सच्चे सुख और शांति की खोज करने के लिए प्रेरित करती है।
ममता का संघार करना सीखोजी
ममता का संघार करना सीखोजी, जीवन का उद्धार करना सीखोजी।
अर्थ
यहां ममता (अत्यधिक मोह) को समाप्त करने की बात की गई है। ममता, यानि अनावश्यक आसक्ति और मोह हमें अपने सच्चे मार्ग से भटकाती है। इस पंक्ति का संदेश है कि मोह और ममता से मुक्ति पाने से ही हमारा उद्धार संभव है।
यह जाग मोहनी नीद का सपना
यह जाग मोहनी नीद का सपना, नही कोई गैर नही कोई अपना।
अर्थ
यह संसार एक मोह का सपना है। इसमें कोई अपना या पराया नहीं है, क्योंकि हर व्यक्ति अपने-अपने कर्मों के आधार पर बंधा हुआ है। यह संदेश देता है कि असत्य से हटकर हमें सत्य की ओर बढ़ना चाहिए और सच्चे विचारों को अपनाना चाहिए।
सत्य असत्य विचार करना सीखोजी
सत्य असत्य विचार करना सीखोजी, जीवन का उद्धार करना सीखोजी।
अर्थ
इस पंक्ति का अर्थ है कि हमें हर चीज का विवेकपूर्ण तरीके से विश्लेषण करना चाहिए और सत्य तथा असत्य में भेद करना चाहिए। सत्य की पहचान करके उसे अपनाने से ही जीवन का उद्धार संभव है।
हरि का भजन नित्य प्रति कीजे
हरि का भजन नित्य प्रति कीजे, अंतःकरण शुद्ध कर लीजे।
अर्थ
इस पंक्ति में भगवान का भजन करने की महत्ता बताई गई है। नित्य भजन करने से हमारे अंतःकरण की शुद्धि होती है और हमारी आत्मा में शांति का वास होता है। भगवान का स्मरण हमें आंतरिक शुद्धि की ओर ले जाता है।
आत्म साक्ष करना सीखोजी
आत्म साक्ष करना सीखोजी, जीवन का उद्धार करना सीखोजी।
अर्थ
आत्मा का साक्षात्कार करना यानि आत्मा के असली रूप को पहचानना। जब हम अपने वास्तविक स्वरूप को जान लेते हैं, तब ही हम जीवन के असली उद्देश्य को समझ सकते हैं। आत्म-साक्षात्कार जीवन के उद्धार की ओर पहला कदम है।
भिक्षु कहे सुनो मन मेरो
भिक्षु कहे सुनो मन मेरो, नर तन भव भरिढ़ कहु बेरो।
अर्थ
यहां भिक्षु (संत) अपने मन को संदेश देते हैं कि मनुष्य शरीर का जीवन अत्यंत मूल्यवान है, जो हमें बार-बार नहीं मिलता। इस मानव तन का उपयोग मोक्ष के मार्ग पर चलने में करना चाहिए, जिससे जीवन को सफल बनाया जा सके।
भव से बेड़ा पार करना सीखोजी
भव से बेड़ा पार करना सीखोजी, जीवन का उद्धार करना सीखोजी।
अर्थ
इस पंक्ति का तात्पर्य है कि संसार रूपी भवसागर से पार पाने का मार्ग सीखें। यह तब संभव है जब हम सही दिशा में सत्संग और भजन के माध्यम से अपने जीवन को आगे बढ़ाते हैं। संसार के जाल से मुक्ति पाने का यही मार्ग है।
निष्कर्ष
भजन “सत्संगति से प्यार करना सीखोजी” हमें बताता है कि अपने जीवन को सही दिशा में ले जाने के लिए सत्संग और सही विचारों को अपनाना अत्यंत आवश्यक है। जब हम सही मार्ग पर चलते हैं और भक्ति में समय बिताते हैं, तभी हम अपने जीवन का उद्धार कर सकते हैं।