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पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम् ।
तारिणींदुर्गसं सारसागरस्य कुलोद्भवाम् ॥

पत्नीं मनोरमां देहि

यह श्लोक एक स्तुति है जिसमें भगवान से प्रार्थना की गई है कि वे एक ऐसी पत्नी प्रदान करें जो मनोहर (सुंदर), सद्गुणी और पति के मनोवृत्तियों (स्वभाव और इच्छाओं) के अनुकूल हो। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं:

पत्नीं मनोरमां देहि: “पत्नीं” का अर्थ है पत्नी। “मनोरमां” का अर्थ है मन को रमाने वाली, अर्थात् सुन्दर, आकर्षक और मनोहारी। “देहि” का अर्थ है देना। इस प्रकार, इस पंक्ति में प्रार्थना की जा रही है कि भगवान एक ऐसी पत्नी प्रदान करें जो सुंदर और मनोहारी हो।

मनोवृत्तानु सारिणीम्: यहां “मनोवृत्तानु” का अर्थ है मन की वृत्तियों (इच्छाओं, सोच और स्वभाव) के अनुरूप। “सारिणीम्” का अर्थ है जो उसका पालन करती हो या उसके अनुसार चलती हो। इस पंक्ति में यह कहा गया है कि पत्नी पति के स्वभाव और मन की इच्छाओं के अनुकूल होनी चाहिए, अर्थात वह उनके साथ सामंजस्य बनाकर चले।

तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य: “तारिणीं” का अर्थ है पार कराने वाली। “दुर्गसंसारसागरस्य” का अर्थ है कठिन और दुर्गम संसार रूपी सागर। यहां प्रार्थना की जा रही है कि वह पत्नी ऐसी हो जो कठिन जीवन के संघर्षों से, संसार रूपी सागर से पार लगाने में सहायक हो।

कुलोद्भवाम्: “कुलोद्भवाम्” का अर्थ है कुलीन परिवार से उत्पन्न हुई, अर्थात अच्छे संस्कार और उच्च कुल की हो। इस पंक्ति में यह संकेत दिया गया है कि पत्नी केवल सुंदर और मनोहर ही नहीं, बल्कि वह अच्छे संस्कारों और आदर्शों वाली भी होनी चाहिए, जो कि कुल की मर्यादा का पालन कर सके।

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इस श्लोक में संपूर्ण रूप से एक आदर्श पत्नी के गुणों का वर्णन किया गया है। इसमें प्रार्थना की गई है कि वह पत्नी सुंदर, सद्गुणी, पति के अनुकूल, कठिनाईयों से पार लगाने में सक्षम और उच्च कुल की होनी चाहिए।

सुंदर पत्नी प्राप्ति मंत्र

यह श्लोक वैदिक और धार्मिक परंपराओं में आदर्श पत्नी के गुणों का वर्णन करता है। इसमें पत्नी के चार मुख्य गुणों का वर्णन किया गया है, जो इस प्रकार हैं:

  1. मनोरमां: “मनोरमां” का अर्थ केवल बाहरी सौंदर्य से नहीं है, बल्कि इसमें अंतःकरण की सुंदरता भी शामिल है। एक पत्नी का मनोहारी होना केवल उसके रूप-रंग तक सीमित नहीं है, बल्कि उसके स्वभाव, उसकी मधुर वाणी, व्यवहार, और सभी से प्रेमपूर्वक मिलनसार स्वभाव भी इसमें सम्मिलित है। ऐसे गुणों वाली पत्नी परिवार में सुख-शांति का संचार करती है।
  2. मनोवृत्तानु सारिणीम्: यह गुण बताता है कि एक पत्नी को पति के विचारों, स्वभाव और इच्छाओं के अनुसार होना चाहिए, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि वह अपनी इच्छाओं का त्याग कर दे। बल्कि, इसमें यह सन्देश छुपा है कि पति-पत्नी के बीच आपसी समझ और सामंजस्य होना चाहिए, ताकि वे एक-दूसरे के मनोवृत्तियों का सम्मान कर सकें और परिवार में सद्भाव बना रहे।
  3. तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य: “दुर्गसंसारसागर” का अर्थ है जीवन के कठिन और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियाँ। जीवन में कई बार कठिनाईयाँ आती हैं, जिनसे पार पाना आवश्यक होता है। यहाँ प्रार्थना की गई है कि पत्नी ऐसी हो जो इन कठिनाईयों में भी पति का साथ दे, उसे प्रेरित करे, और कठिनाइयों से पार पाने में सहायक हो। एक सच्ची पत्नी वही होती है जो सुख-दुःख में पति का साथ दे और परिवार को सही मार्गदर्शन प्रदान करे।
  4. कुलोद्भवाम्: “कुलोद्भवाम्” से तात्पर्य है कि पत्नी का उच्च कुल से होना, लेकिन इसका गहरा अर्थ यह है कि वह उच्च संस्कारों और मर्यादाओं वाली हो। वह अपने परिवार के संस्कारों का पालन करने वाली हो, क्योंकि उच्च कुल केवल वंशानुगत नहीं होता, बल्कि संस्कारों से भी बनता है। ऐसी पत्नी परिवार को एकजुट रखने और उसे सम्मानित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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अन्य महत्वपूर्ण बातें:

  • स्त्री का महत्व: इस श्लोक में पत्नी को संसार के कठिनाइयों से पार कराने वाली बताया गया है, जो यह दर्शाता है कि स्त्री की भूमिका परिवार और समाज में कितनी महत्वपूर्ण है। वह केवल एक जीवनसाथी ही नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक और सहयोगी भी होती है।
  • आदर्श जीवनसाथी: यह श्लोक हमें एक आदर्श जीवनसाथी के गुणों की ओर संकेत करता है, जो न केवल पति के लिए बल्कि पूरे परिवार के लिए प्रेरणा का स्रोत हो। वह परिवार की आधारशिला होती है, जो परिवार के सुख-दुःख, मान-मर्यादा और संस्कारों की रक्षक होती है।
  • समानता और सामंजस्य: इस श्लोक में निहित संदेश केवल पत्नी की ही नहीं, बल्कि पति की भी जिम्मेदारी को इंगित करता है कि वह अपनी पत्नी के विचारों और भावनाओं का सम्मान करे और एक-दूसरे के प्रति सामंजस्य बनाए रखे।
  • धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण: यह श्लोक धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इसमें भगवान से एक ऐसी पत्नी की प्रार्थना की गई है, जो जीवन के हर मोड़ पर साथ दे सके, जिससे यह समझ में आता है कि एक सही जीवनसाथी भगवान का आशीर्वाद है।

इस प्रकार, यह श्लोक पत्नी के आदर्श गुणों का सार प्रस्तुत करता है और जीवन में एक समझदार, सहृदय और संस्कारी पत्नी की महत्ता को उजागर करता है।

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