अजा एकादशी कथा in Hindi/Sanskrit
इस कथा के अनुसार, एक राज्य में हरिश्चंद्र नाम का एक चक्रवर्ती राजा रहता था। अपने बच्चे की मृत्यु से दुखी होकर राजा मायूस रहने लगा। उससे उसका राजपाट भी छिन गया था। उसने अपना राज्य छोड़ दिया और अपनी पत्नी के साथ दूर राज्य के बाहर चला गया।
इसके बाद राजा हरिशचंद्र एक चांडाल के यहां काम करने लगा। यहां वो मृतकों के वस्त्र लेता था। राजा हमेशा सत्य के मार्ग पर चलता था। वो जब भी अकेला होता था तो अपने दुखों से मुक्ति पाने का रास्ता ढूंढता था। वह सोचता था कि क्या ऐसा करें, जिससे उसका उद्धार हो सके।
राजा सिर्फ अच्छे कर्म करता था। एक दिन जब वह चिंतित होकर बैठा था, तभी वहां गौतम ऋषि आए। राजा ने उनको प्रणाम किया और अपने दुखों से मुक्ति पाने का रास्ता पूछा।
राजा को परेशान देखकर ऋषि ने कहा, “कि तुम भाग्यशाली हो क्योंकि आज से 7 दिन बाद भाद्रपद कृष्ण एकादशी यानी अजा एकादशी व्रत आने वाली है। जो भी इस व्रत को विधि पूर्वक करता है उसका कल्याण जरूर होता है।”
इतना कहने के बाद गौतम ऋषि वहां से चले गए।
सात दिन के बाद राजा ने अजा एकादशी का व्रत रखा और ऋषि के बताए अनुसार ही भगवान विष्णु का पूरे विधि- विधान से पूजन किया। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए उन्होंने पूरी रात जागरण किया और अगले दिन सुबह पारण करके व्रत को पूरा किया।
इसके बाद भगवान विष्णु की कृपा से राजा के सारे दुख समाप्त हो गए। उसने देखा कि उसकी पत्नी पहले की तरह रानी के समान दिखने लगी है। व्रत के फल से राजा को अपना खोया हुआ राजपाट भी दोबारा मिल गया।
अजा एकादशी कथा Video
Aja Ekadashi Vrat Katha in English
According to this story, there was a great king named Harishchandra in a kingdom. Grieving the loss of his child, the king became deeply sorrowful. His kingdom was also taken away from him. He left his kingdom and went far away beyond its borders with his wife.
After this, King Harishchandra began working for a chandala (caretaker of cremations). Here, he would collect clothes from the deceased. Despite his hardships, the king always walked the path of truth. Whenever he was alone, he would seek a way to free himself from his sorrows, pondering over what he could do to attain salvation.
The king always performed good deeds. One day, as he sat in distress, Sage Gautama arrived there. The king greeted him and asked him for a way to be free from his sorrows.
Seeing the king’s anguish, the sage said, “You are fortunate because in seven days, on Bhadrapada Krishna Ekadashi, the auspicious Aja Ekadashi fast is approaching. Whoever observes this fast with proper devotion is certainly blessed.”
After saying this, Sage Gautama departed.
Seven days later, the king observed the Aja Ekadashi fast. Following the sage’s instructions, he worshipped Lord Vishnu with full devotion and rituals. To please Lord Vishnu, he remained awake the entire night, and the next morning, he broke his fast and completed the ritual.
By the grace of Lord Vishnu, all of the king’s sorrows were eliminated. He saw that his wife once again appeared as a queen. Due to the merit of the fast, the king also regained his lost kingdom.
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अजा एकादशी व्रत कब है
अजा एकादशी 2025 में मंगलवार, 19 अगस्त को मनाई जाएगी। एकादशी तिथि का आरंभ 18 अगस्त 2025 को शाम 5:22 बजे होगा और इसका समापन 19 अगस्त 2025 को दोपहर 3:32 बजे होगा।
अजा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है और इसे करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है।
अजा एकादशी व्रत का पारण कब है
अजा एकादशी 2025 में मंगलवार, 19 अगस्त को मनाई जाएगी। इस व्रत का पारण (व्रत खोलने का समय) अगले दिन, अर्थात् बुधवार, 20 अगस्त 2025 को किया जाएगा। पारण का शुभ समय सूर्योदय के बाद होता है, जो लगभग प्रातः 6 बजे से 8 बजे के बीच होता है। सटीक पारण समय स्थान और पंचांग के अनुसार भिन्न हो सकता है, इसलिए अपने क्षेत्र के स्थानीय पंचांग या ज्योतिषी से परामर्श करना उचित होगा।
अजा एकादशी के फल
अजा एकादशी, जो कि कृष्ण पक्ष की एकादशी है, हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण एकदशियों में से एक है। इस व्रत को करने से कई धार्मिक और सांसारिक फल प्राप्त होते हैं।
धार्मिक फल
- अश्वमेध यज्ञ का फल: मान्यता है कि अजा एकादशी व्रत रखने और इसकी कथा सुनने से अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होते हैं।
- पापों से मुक्ति: ऐसा माना जाता है कि यह व्रत सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाता है।
- मोक्ष की प्राप्ति: कहा जाता है कि अजा एकादशी का व्रत नियमित रूप से करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- ग्रहों की शांति: यह व्रत ग्रहों की शांति के लिए भी बहुत उपयोगी माना जाता है।
सांसारिक फल
- सुख-समृद्धि: अजा एकादशी का व्रत सुख और समृद्धि लाता है।
- रोगों से मुक्ति: यह व्रत रोगों से मुक्ति दिलाता है और स्वास्थ्य प्रदान करता है।
- संतान प्राप्ति: संतानहीन दंपतियों के लिए यह व्रत संतान प्राप्ति का वरदान देने वाला माना जाता है।
- शत्रुओं पर विजय: यह व्रत शत्रुओं पर विजय दिलाता है और सभी कार्यों में सफलता प्रदान करता है।
अजा एकादशी व्रत का महत्त्व
धार्मिक महत्व
- पापों का नाश: अजा एकादशी व्रत सभी प्रकार के पापों का नाश करने वाला माना जाता है।
- मोक्ष की प्राप्ति: कहा जाता है कि जो व्यक्ति नियमित रूप से अजा एकादशी व्रत करता है, उसे मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- भगवान विष्णु की कृपा: यह व्रत भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करने का साधन है।
- अश्वमेध यज्ञ का फल: मान्यता है कि अजा एकादशी व्रत रखने से अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होते हैं।
- ग्रहों की शांति: यह व्रत ग्रहों की शांति के लिए भी बहुत लाभकारी माना जाता है।
सांसारिक महत्व
- सुख-समृद्धि: अजा एकादशी का व्रत सुख और समृद्धि लाता है।
- रोगों से मुक्ति: यह व्रत रोगों से मुक्ति दिलाता है और स्वास्थ्य प्रदान करता है।
- संतान प्राप्ति: संतानहीन दंपतियों के लिए यह व्रत संतान प्राप्ति का वरदान देने वाला माना जाता है।
- शत्रुओं पर विजय: यह व्रत शत्रुओं पर विजय दिलाता है और सभी कार्यों में सफलता प्रदान करता है।
अजा एकादशी पूजाविधि
सामग्री
- भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर
- चौकी
- लाल कपड़ा
- फल, फूल, नैवेद्य
- दीप
- धूप
- अगरबत्ती
- गंगाजल
- तिल
- रोली
- अक्षत
- चंदन
- घी
- कपूर
- पान
- सुपारी
- दक्षिणा
विधि
- प्रातः स्नान: सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- वेदी स्थापन: घर के मंदिर या किसी स्वच्छ स्थान पर चौकी रखें। चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- घट स्थापन: एक मिट्टी का कलश लें और उसमें जल भरकर उस पर नारियल रखें। कलश को चौकी पर स्थापित करें और उसमें गंगाजल, तिल, रोली और अक्षत डालकर मंत्र मंत्रपूर्वक उसका पूजन करें।
- स्नान: भगवान विष्णु की मूर्ति को गंगाजल, दूध, दही, घी और शहद से स्नान कराएं।
- वस्त्र अर्पण: भगवान विष्णु को वस्त्र, आभूषण, सुगंधित तेल, फूल माला आदि अर्पित करें।
- दीप प्रज्वलन: दीप, धूप और अगरबत्ती जलाएं और भगवान विष्णु को नैवेद्य अर्पित करें।
- मंत्र जाप: भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
- आरती: भगवान विष्णु की आरती गाएं।
- कथा श्रवण: अजा एकादशी व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।
- व्रत का पालन: दिन भर व्रत रखें और केवल जल का सेवन करें।
- रात्रि जागरण: रात्रि में जागरण करें और भजन-कीर्तन करें।
- पारण: अगले दिन सुबह सूर्योदय के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें। इसके बाद स्वयं फल का भोजन ग्रहण करें।