- – यह कविता प्रेम की गहराई और सच्चाई को राधा और श्याम के रूपक से व्यक्त करती है।
- – इसमें प्रेम की प्रतीक्षा, पीड़ा, और दिल के टूटने की भावनाओं को बखूबी दर्शाया गया है।
- – ताने सुनने और अकेलेपन में झेलने वाले दर्द को समझने के लिए प्रेम की गहराई को महसूस करना आवश्यक बताया गया है।
- – पनघट और मधुबन में श्याम के इंतजार की व्यथा प्रेम की सच्चाई को उजागर करती है।
- – प्रेम की भाषा, आशा और निराशा को समझने के लिए प्रेम में डूबना जरूरी है।
- – अंत में, पुनर्जन्म में भी एक-दूसरे के प्रेमी बनने की तमन्ना व्यक्त की गई है, जो प्रेम की अनंतता को दर्शाता है।

बनोगे राधा तो ये जानोगे,
की कैसा प्यार है मेरा।।
तर्ज – ओ साहिबा
बनोगे राधा तो ये जानोगे,
की कैसा प्यार है मेरा,
ओ साँवरे ओ साँवरे,
ओ साँवरे ओ साँवरे।।
क्या होती प्रतीक्षा है,
क्या पीड़ा होती है,
कितना जलता है दिल,
जब आँखे रोती है,
बहेंगे आँसू तब ये जानोगे,
की कैसा प्यार है मेरा,
ओ साँवरे ओ साँवरे,
ओ साँवरे ओ साँवरे।।
जब कोई सुनेगा ना,
तेरे मन के दुखड़े,
जब ताने सुन सुन कर,
होंगे दिल के टुकड़े,
सुनोगे ताने तो ये जानोगे,
की कैसा प्यार है मेरा,
ओ साँवरे ओ साँवरे,
ओ साँवरे ओ साँवरे।।
पनघट में मधुबन मे,
वो इंतजार करना,
ऐ श्याम तेरी खातिर,
वो घुट घुट कर मरना,
करोगे इंतजार जानोगे,
की कैसा प्यार है मेरा,
ओ साँवरे ओ साँवरे,
ओ साँवरे ओ साँवरे।।
क्या जानोगे मोहन,
तुम प्रेम की भाषा,
क्या होती है आशा,
क्या होती निराशा,
करोगे प्रेम तो खुद ये जानोगे,
की कैसा प्यार है मेरा,
ओ साँवरे ओ साँवरे,
ओ साँवरे ओ साँवरे।।
अब एक तमन्ना है,
अगर फिर से जनम मिले,
मै श्याम बनु तेरा,
तू राधा बन के जिये,
बनोगे राधा तो ये जानोगे,
की कैसा प्यार है मेरा,
ओ साँवरे ओ साँवरे,
ओ साँवरे ओ साँवरे।।
