- – गीत में माँ के चरणों में शरण लेने और उनका सहारा बनने की प्रार्थना की गई है।
- – जीवन की कठिनाइयों और अकेलेपन में माँ को ही एकमात्र सहारा बताया गया है।
- – गीत में माँ को ही अपना खिवैया और किनारा बताया गया है, जो हर परिस्थिति में साथ रहती हैं।
- – भटकाव, तन्हाई और संघर्ष की स्थिति में भी माँ की ममता और प्यार की आवश्यकता जताई गई है।
- – गीत में माँ के भरे हुए भंडार और उनके प्रेम की महत्ता को दर्शाया गया है, जो जीवन की खाली झोली को भरते हैं।
- – बार-बार माँ के चरणों में रखने की विनती की गई है, जो सुरक्षा और शांति का प्रतीक है।
चरणों में रखना,
मैया जी मुझे चरणों में रखना,
चरणो में रखना,
मैया जी मुझे चरणों में रखना,
अब तो सहारा बस तुम्हारा है माँ,
अब तो सहारा बस तुम्हारा है माँ,
इक तुझे ही हर घडी ही पुकारा है माँ,
इक तुझे ही हर घडी ही पुकारा है माँ,
चरणो में रखना,
मैय्या जी मुझे चरणों में रखना।।
गहरी नदियाँ नाँव पुरानी,
हाथो से पतवार छुट गयी,
संगी साथी मोड़ गए मुंह,
माथे लिखी लकीर रूठ गयी,
तु ही खिवैया,
तू ही किनारा है माँ,
एक तुझे हर घडी ही पुकारा है माँ
चरणो में रखना,
मैय्या जी मुझे चरणों में रखना।।
बन के सवाली ये जग सारा,
पाता है तुझसे नजराने,
मै क्या बोलू मुझ से ज्यादा,
मेरे मन की माँ तू जाने,
भूल क्या हुई जो यूँ बिसारा है माँ
एक तुझे हर घडी ही पुकारा है माँ
चरणो में रखना,
मैय्या जी मुझे चरणों में रखना।।
भरे हुए भंडार माँ तेरे,
मेरी खाली झोली तरसे,
ताने देगी दुनिया सारी,
‘लख्खा’ लौट गया जो दर से,
कवला सरल इतना हारा है माँ,
एक तुझे हर घडी ही पुकारा है माँ
चरणो में रखना,
मैय्या जी मुझे चरणों में रखना।।
चरणों में रखना,
मैया जी मुझे चरणों में रखना,
चरणो में रखना,
मैया जी मुझे चरणों में रखना,
अब तो सहारा बस तुम्हारा है माँ,
अब तो सहारा बस तुम्हारा है माँ,
इक तुझे ही हर घडी ही पुकारा है माँ,
इक तुझे ही हर घडी ही पुकारा है माँ,
चरणों मे रखना,
मैय्या जी मुझे चरणों में रखना।।