- – यह भजन गणेश जी की आराधना में रचा गया है, जिसमें उन्हें सभी कार्यों को सफल बनाने वाला और विघ्नों को दूर करने वाला माना गया है।
- – भजन में गणराज से विनती की गई है कि वे आकर सभी कष्टों और अटके हुए कार्यों को पूरा करें।
- – गणेश जी को रिद्धि-सिद्धि के दाता और भक्तों के सहारे के रूप में पूजा गया है।
- – भजन में चंदन का टीका और भोग अर्पित करने की बात कही गई है, जो श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है।
- – गीत में गणेश जी की दया, कृपा और भक्तों की सहायता करने की महत्ता को उजागर किया गया है।
गौरी सूत गणराज पधारो,
आके सारे काज सवारों,
तुझको आना होगा,
तुझको आना होगा।।
तर्ज – नदियाँ चले चले रे धारा।
सारे देवो में पहले तुझको मनाये,
तू ही दयालु सारे विघ्न हटाये,
गिरजा के प्यारे बाबा शिव के दुलारे,
दुखड़ो से आके देवा हमको उबारो,
तुझको आना होगा,
तुझको आना होगा।
गोरी सुत गणराज पधारो,
आके सारे काज सवारों,
तुझको आना होगा,
तुझको आना होगा।।
रिद्धि सिद्धि के दाता आप कहाए,
कृपा दिखाओ दाता गुण तेरे गए,
भक्तो की नैया अब है तेरे सहारे,
अटकी कश्ती को आके पार उतारो,
तुझको आना होगा,
तुझको आना होगा।
गोरी सूत गणराज पधारो,
आके सारे काज सवारों,
तुझको आना होगा,
तुझको आना होगा।।
मलिया गिरी चंदन का टिका लगाऊं,
लड़वन का देवा तेरे भोग लगाऊं,
‘हर्ष’ दीवाना तेरी बाट निहारे,
मेरे भी अटके सारे काज सुधारो,
तुझको आना होगा,
तुझको आना होगा।
गौरी सूत गणराज पधारो,
आके सारे काज सवारों,
तुझको आना होगा,
तुझको आना होगा।।
Singer : Mukesh Bagda