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गोविंद चले आओ,
गोपाल चले आओ,
गोविंद चले आओ,
गोपाल चले आओ,
मेरे मुरलीधर माधव,
मेरे मुरलीधर माधव,
नंदलाल चले आओ,
गोविंद चले आओ,
गोपाल चले आओ,
गोविंद चले आओ,
गोपाल चले आओ ॥

आँखों में बसे हो तुम,
धड़कन में धड़कते हो,
कुछ ऐसा करो मोहन,
स्वासों में समां जाओ,
कुछ ऐसा करो मोहन,
स्वासों में समां जाओ,
गोविंद चले आओ,
गोपाल चले आओ ॥

इक शर्त ज़माने से,
प्रभु हमने लगा ली है,
इक शर्त ज़माने से,
प्रभु हमने लगा ली है,
या हमको बुला लो तुम,
या खुद ही चले आओ,
या हमको बुला लो तुम,
या खुद ही चले आओ,
गोविंद चले आओ,
गोपाल चले आओ ॥

तेरे दर्शन को मोहन,
मेरे नैन तरसते है,
तेरे दर्शन को मोहन,
मेरे नैन तरसते है,
तेरे दर्शन को मोहन,
मेरे नैन तरसते है,
तेरे दर्शन को मोहन,
मेरे नैन तरसते है,
गोविंद चले आओ,
गोपाल चले आओ ॥

गोविंद चले आओ,
गोपाल चले आओ,
गोविंद चले आओ,
गोपाल चले आओ,
मेरे मुरलीधर माधव,
मेरे मुरलीधर माधव,
नंदलाल चले आओ,
गोविंद चले आओ,
गोपाल चले आओ,
गोविंद चले आओ,
गोपाल चले आओ ॥

गोविंद चले आओ, गोपाल चले आओ: भजन का गहन अर्थ और व्याख्या

परिचय

यह भजन भक्ति रस में डूबा हुआ है और श्रीकृष्ण के प्रति भक्त की अंतरतम भावनाओं को व्यक्त करता है। हर शब्द और हर पंक्ति में भक्त का दर्द, प्रेम, और समर्पण प्रकट होता है। यह केवल एक पुकार नहीं है, बल्कि भगवान के साथ आत्मा के गहन संबंध का प्रतीक है। आइए, प्रत्येक पंक्ति को विस्तार से समझते हैं।


गोविंद चले आओ, गोपाल चले आओ

आध्यात्मिक अर्थ

  • गोविंद: “गायों के रक्षक” के अलावा, यह नाम “इंद्रियों के स्वामी” को भी इंगित करता है। भगवान गोविंद केवल भौतिक नहीं, बल्कि हमारी अंतर्मन की गायों (इंद्रियों) के भी रक्षक हैं।
  • गोपाल: “जीवन के पालनकर्ता,” जो न केवल गायों का, बल्कि सृष्टि के प्रत्येक प्राणी का पालन करते हैं।

गहन व्याख्या

यह पंक्ति आत्मा की पुकार है। भक्त केवल बाह्य रूप से नहीं, बल्कि अपनी आत्मा के भीतर भगवान को बुला रहा है। “चले आओ” शब्द न केवल भगवान को शारीरिक रूप से बुलाने की प्रार्थना है, बल्कि यह कहता है कि भगवान मेरी चेतना में, मेरे हृदय में आकर बस जाओ। यह भी दर्शाता है कि भक्त को विश्वास है कि भगवान उसकी प्रार्थना अवश्य सुनेंगे।


मेरे मुरलीधर माधव, नंदलाल चले आओ

आध्यात्मिक रूप से संबोधन

  • मुरलीधर: भगवान की मुरली (बांसुरी) सिर्फ एक वाद्य यंत्र नहीं है; यह प्रेम, शांति, और दिव्यता का प्रतीक है। भक्त भगवान से कह रहा है कि अपनी मुरली की मधुर ध्वनि से मेरे जीवन की सभी पीड़ा मिटा दो।
  • माधव: “माधव” का अर्थ केवल लक्ष्मीपति नहीं है, बल्कि यह “मधु” (मीठा, प्रिय) का भी प्रतीक है। भक्त अपने प्रियतम भगवान को पुकारता है।
  • नंदलाल: यह नाम श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं को याद दिलाता है, जो सरलता, निष्कपटता, और अद्भुत आनंद का प्रतीक है।

गहन व्याख्या

भक्त भगवान के विभिन्न रूपों का स्मरण करते हुए उन्हें पुकारता है। यह केवल नामों का उच्चारण नहीं है; यह उनके गुणों, कृत्यों और उनके दिव्य स्वभाव का ध्यान है। भक्त का विश्वास है कि इन नामों के स्मरण से भगवान की कृपा अवश्य प्राप्त होगी।


आँखों में बसे हो तुम, धड़कन में धड़कते हो

गहन अर्थ

यह पंक्ति आत्मा की स्थिति को दर्शाती है, जहाँ भगवान के बिना कुछ भी पूर्ण नहीं लगता। “आँखों में बसे हो” का अर्थ है कि भगवान की छवि हर समय मन में रहती है। “धड़कन में धड़कते हो” यह बताता है कि भगवान जीवन का आधार हैं; उनका अस्तित्व ही जीवन की ऊर्जा है।

गहन व्याख्या

भक्त कहता है कि भगवान हर समय उसके साथ हैं, लेकिन फिर भी वह उन्हें भौतिक रूप में देखना चाहता है। यह भक्त और भगवान के बीच के उस गहरे रिश्ते को दर्शाता है, जहाँ हर सांस, हर भावना केवल भगवान के लिए समर्पित होती है।


कुछ ऐसा करो मोहन, स्वासों में समां जाओ

गहन अर्थ

“स्वासों में समां जाओ” का अर्थ है भगवान को अपने जीवन का केंद्र बनाना। यह प्रार्थना नहीं है कि भगवान बाहर से आएं, बल्कि यह आत्मा की यात्रा का वह पड़ाव है जहाँ भक्त चाहता है कि भगवान उसकी आत्मा में स्थायी रूप से बस जाएं।

गहन व्याख्या

यहाँ भक्त श्रीकृष्ण से अपने भीतर पूर्ण विलीन होने की प्रार्थना करता है। वह सांसारिक इच्छाओं और अहंकार से मुक्त होकर भगवान को अपने जीवन और आत्मा का प्रमुख बना देना चाहता है। यह भक्ति की उस अवस्था का वर्णन करता है जिसे पूर्ण समर्पण कहते हैं।


इक शर्त ज़माने से, प्रभु हमने लगा ली है

गहन अर्थ

  • शर्त: यह केवल एक सांसारिक वचन नहीं है। यह भक्त के दृढ़ विश्वास और भगवान के प्रति उसकी अनन्यता को प्रकट करता है।
  • ज़माने से: यहाँ “ज़माना” केवल बाहरी दुनिया नहीं है; यह सभी भौतिक बंधनों का प्रतीक है।

गहन व्याख्या

भक्त ने अपनी आत्मा के स्तर पर एक निर्णय लिया है कि अब वह केवल भगवान के दर्शन की आकांक्षा करेगा। यह पंक्ति आत्मा की उस स्थिति को दर्शाती है जहाँ वह सांसारिक सुखों और मोह-माया से परे हो जाती है।


या हमको बुला लो तुम, या खुद ही चले आओ

गहन अर्थ

यहाँ भक्त भगवान के साथ पूर्ण एकता की प्रार्थना करता है। यह भगवान को चुनौती नहीं, बल्कि एक प्रेममय विनती है।

गहन व्याख्या

भक्त का कहना है कि वह भगवान से अलग रहकर नहीं जी सकता। वह यह भी जानता है कि भगवान सर्वशक्तिमान हैं और उन्हें बुलाने की शक्ति केवल प्रेम और समर्पण के माध्यम से ही संभव है।


तेरे दर्शन को मोहन, मेरे नैन तरसते हैं

गहन अर्थ

“नैन तरसते हैं” यह पंक्ति भक्ति का चरम रूप है, जहाँ भक्त को भगवान के बिना जीवन अधूरा लगता है। “दर्शन” का अर्थ यहाँ केवल बाहरी दर्शन नहीं है, बल्कि भगवान की दिव्यता और प्रेम को अनुभव करना है।

गहन व्याख्या

भक्त कहता है कि उसकी आत्मा भगवान के साक्षात्कार के बिना अधूरी है। यह उस गहरे प्रेम और तड़प को दर्शाता है, जो केवल भगवान के साथ एक होने पर शांत हो सकती है।


समापन

यह भजन आत्मा की उस गहन स्थिति का वर्णन करता है, जहाँ भगवान के बिना कुछ भी संतोषजनक नहीं लगता। भक्त की पुकार केवल शब्दों का जाल नहीं है, बल्कि वह भगवान के साथ पूर्ण मिलन की तीव्र इच्छा है। यह भजन हमें भक्ति की गहराइयों और आत्मा की परम पुकार से जोड़ता है।

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