कामदा एकादशी के फल
धार्मिक फल
- पापों का नाश: कामदा एकादशी व्रत को करने से ब्रह्म हत्या आदि महापापों का नाश होता है।
- पुण्य लाभ: इस व्रत को करने से सौ यज्ञों के समान पुण्य लाभ प्राप्त होता है।
- मनोकामना पूर्ति: भगवान विष्णु की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- मोक्ष प्राप्ति: नियमित रूप से कामदा एकादशी व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- अन्य फल:
- ग्रह दोषों से मुक्ति
- रोगों से मुक्ति
- शत्रुओं पर विजय
- धन-धान्य की वृद्धि
- सौभाग्य वृद्धि
सामाजिक फल
- दान-पुण्य में वृद्धि: कामदा एकादशी के दिन दान-पुण्य करने से पुण्य की वृद्धि होती है।
- ब्राह्मणों का सम्मान: इस दिन ब्राह्मणों का सम्मान करने और उन्हें भोजन खिलाने से विशेष फल प्राप्त होता है।
- समाज सेवा: गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने से सामाजिक जीवन में सुधार होता है।
ध्यान देने योग्य बातें
- कामदा एकादशी व्रत विधि-विधानपूर्वक करना चाहिए।
- व्रत के दौरान एकादशी तिथि के नियमों का पालन करना चाहिए।
- दस इंद्रियों को वश में रखकर मन को शांत रखना चाहिए।
- भगवान विष्णु की भक्ति और पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
कामदा एकादशी व्रत का महत्त्व
धार्मिक महत्व
- पापों का नाश: कामदा एकादशी व्रत को करने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है, चाहे वे जानबूझकर किए गए हों या अनजाने में।
- पुण्य लाभ: यह व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना जाता है। इस व्रत को करने से सौ यज्ञों के समान पुण्य मिलता है।
- भगवान विष्णु की कृपा: कामदा एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- मनोकामना पूर्ति: भगवान विष्णु की कृपा से इस व्रत को करने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- मोक्ष प्राप्ति: नियमित रूप से कामदा एकादशी व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सामाजिक महत्व
- दान-पुण्य में वृद्धि: कामदा एकादशी के दिन दान-पुण्य करने से पुण्य की वृद्धि होती है।
- ब्राह्मणों का सम्मान: इस दिन ब्राह्मणों का सम्मान करने और उन्हें भोजन खिलाने से विशेष फल प्राप्त होता है।
- समाज सेवा: गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने से सामाजिक जीवन में सुधार होता है।
अन्य महत्व
- ग्रह दोषों से मुक्ति: कामदा एकादशी व्रत ग्रह दोषों से मुक्ति दिलाने वाला व्रत माना जाता है।
- रोगों से मुक्ति: यह व्रत रोगों को दूर करने वाला और स्वास्थ्य प्रदान करने वाला व्रत माना जाता है।
- शत्रुओं पर विजय: इस व्रत को करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
- धन-धान्य की वृद्धि: यह व्रत धन-धान्य की वृद्धि करने वाला व्रत माना जाता है।
- सौभाग्य वृद्धि: कामदा एकादशी व्रत स्त्रियों के लिए सौभाग्य वृद्धि का व्रत माना जाता है।
कामदा एकादशी कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को कामदा एकादशी के व्रत की कथा सुनाई थी। इस कथा के अलावा, भगवान राम के पूर्वज राजा दिलीप ने भी कामदा एकादशी का महत्व और कथा गुरु वशिष्ठ से सुनी थी।
कथा
प्राचीन काल में, पुंडरीक नाम का एक राजा राज्य करता था। वह भोंगीपुर नगर में रहता था। राजा प्रजा की परवाह नहीं करता था और हमेशा भोग-विलास में मग्न रहता था। उसी के राज्य में ललित और ललिता नाम का एक दंपति रहता था, जो एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे। ललित राजा के दरबार में संगीत सुनाता था। एक दिन, जब ललित राजा की सभा में संगीत सुना रहा था, उसका ध्यान अपनी पत्नी की ओर चला गया और उसका स्वर बिगड़ गया। यह देखकर राजा पुंडरीक क्रोधित हो गया। क्रोध में आकर उसने ललित को राक्षस बनने का श्राप दे दिया। राजा के श्राप से ललित मांस खाने वाला राक्षस बन गया।
अपने पति की यह दशा देखकर ललिता बहुत दुखी हुई। उसने अपने पति को ठीक करने के लिए हर किसी से उपाय पूछे। अंततः, थक-हारकर वह विंध्याचल पर्वत पर श्रृंगी ऋषि के आश्रम पहुंची और ऋषि को अपनी पूरी व्यथा सुनाई। ऋषि ने ललिता को कामदा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी।
ऋषि ने ललिता को कामदा एकादशी के व्रत की महिमा बताई और उसे इसे आचरण करने का सुझाव दिया। ललिता ने ऋषि के निर्देशानुसार शुक्ल पक्ष में कामदा एकादशी का व्रत रखा, और भगवान विष्णु की आराधना करते हुए सम्पूर्ण विधियों से पूजन किया। द्वादशी के दिन पारण करके उसने अपना व्रत समाप्त किया।
भगवान विष्णु की अनुकंपा से उसके पति को पुनः मानव योनि प्राप्त हुई और वह राक्षस योनि से मुक्त हो गए। इस प्रकार, दोनों ने सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त होकर सुखी जीवन व्यतीत करना शुरू किया और अंततः भगवान श्रीहरि के भजन-कीर्तन में लीन होकर मोक्ष की प्राप्ति की।
कामदा एकादशी पूजाविधि
दशमी तिथि के दिन
- शाम के समय स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- घर के मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
- भगवान विष्णु को गंगाजल, दूध, फल, फूल, मिठाई आदि अर्पित करें।
- दीप प्रज्ज्वलित करें और धूप-बत्ती लगाएं।
- भगवान विष्णु की आरती करें और “विष्णु सहस्रनाम” का पाठ करें।
- रात्रि में भोजन न करें और “हरि-कीर्तन” करें।
एकादशी तिथि के दिन
- प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
- घर के मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा करें।
- भगवान विष्णु को पंचामृत, फूल, माला, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
- “विष्णु मंत्र” का जाप करें।
- “कामदा एकादशी व्रत कथा” पढ़ें या सुनें।
- दिन भर व्रत का पालन करें और जल, फल और फलाहार ग्रहण करें।
- रात्रि में भोजन न करें और “हरि-कीर्तन” करें।
द्वादशी तिथि के दिन
- प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
- घर के मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा करें।
- भगवान विष्णु को तुलसी, पान, सुपारी और दक्षिणा अर्पित करें।
- “श्री विष्णु चालीसा” का पाठ करें।
- ब्राह्मणों को भोजन खिलाएं और दान दें।
- दोपहर के बाद व्रत का पारण करें।
- फलाहार ग्रहण करें और “हरि-कीर्तन” करें।