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कण कण में कृष्ण समाये है भक्तों ने हरि गुण गाए हैं – Kan Kan Mein Krishna Samaye Hai Bhakton Ne Hari Gun Gaaye Hain – Hinduism FAQ

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  • – कण कण में भगवान कृष्ण की उपस्थिति है और भक्त उनके गुण गाते हैं।
  • – ओंकार और बिंदु में ईश्वर की व्यापकता और करुणा का वर्णन किया गया है।
  • – भगवान ने भक्तों की रक्षा के लिए विभिन्न रूप धारण किए हैं, जैसे साड़ी बनकर दुशासन से लड़ना।
  • – प्रेम और विश्वास के माध्यम से भगवान का दर्शन संभव होता है, और वे मधुबन में रास रचाते हैं।
  • – प्रकृति के विभिन्न जीवों को ईश्वर की कृपा मिलती है, इसलिए मनुष्य को भी भयभीत नहीं होना चाहिए।
  • – यह भजन प्रेम नारायण जी गेहूंखेड़ी द्वारा स्वरबद्ध है और भक्तों में भक्ति भाव जागृत करता है।

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कण कण में कृष्ण समाये है,
भक्तों ने हरि गुण गाए हैं।।



ओंकार में सभी समाया,

बिंदु में सिंधु लहराया,
हरी करुणा सिंधु कहाऐ है,
भक्तों ने हरी गुण गाए हैं,
कण कण में कृष्ण समाए है,
भक्तों ने हरि गुण गाए हैं।।



वीर दुशासन चीर खींचता,

द्रुपद सुता का बल नही चलता,
प्रभु साड़ी बनकर आए हैं,
भक्तों ने हरी गुण गाए हैं,
कण कण में कृष्ण समाए है,
भक्तों ने हरि गुण गाए हैं।।



प्रेम और विश्वास के बल पर,

दर्शन देते व्यापक ईश्वर,
मधुबन में रास रचाए हैं,
भक्तों ने हरी गुण गाए हैं,
कण कण में कृष्ण समाए है,
भक्तों ने हरि गुण गाए हैं।



गज ने पाया गिद्ध ने पाया,

सागर में पत्थर को तिराया,
फिर मानव क्यों घबराए हैं,
भक्तों ने हरी गुण गाए हैं,
कण कण में कृष्ण समाए है,
भक्तों ने हरि गुण गाए हैं।।



कण कण में कृष्ण समाये है,

भक्तों ने हरि गुण गाए हैं।।

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स्वर – प्रेम नारायण जी गेहूंखेड़ी।
प्रेषक – Arjit Malav
6378727387


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