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क्या तन माँजता रे एक दिन माटी में मिल जाना लिरिक्स – Kya Tan Maanjta Re Ek Din Maati Mein Mil Jaana Lyrics – Hinduism FAQ

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  • – यह गीत जीवन के अनित्यत्व और मृत्यु की अनिवार्यता को दर्शाता है, जहाँ अंत में सभी माटी में मिल जाते हैं।
  • – समय की महत्ता पर जोर देते हुए, यह चेतावनी देता है कि समय चूकने पर पछताना पड़ता है।
  • – चारों ओर से विपत्तियों और कठिनाइयों के बीच जीवन की नश्वरता का वर्णन किया गया है।
  • – परिवार और संबंधों की भावनात्मक पीड़ा को भी उजागर किया गया है, जैसे माता और भाई का रोना।
  • – कबीरा के शब्दों के माध्यम से जीवन के चक्र और माटी में विलीन होने की सच्चाई को स्वीकार करने का संदेश दिया गया है।
  • – यह गीत जीवन की क्षणभंगुरता को समझने और समय का सदुपयोग करने की प्रेरणा देता है।

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क्या तन माँजता रे,
एक दिन माटी में मिल जाना,
पवन चले उड़ जाना रे पगले,
पवन चले उड़ जाना रे पगले,
समय चूक पछताना,
समय चूक पछताना,
क्या तन माँजता रे,
एक दिन माटी में मिल जाना।।



चार जना मिल घडी बनाई,

चला काठ की डोली,
चारों तरफ से आग लगा दी,
चारों तरफ से आग लगा दी,
फूंक दही जस होरी,
फूंक दही जस होरी,
क्या तन माजता रे,
एक दिन माटी में मिल जाना।।



हाड़ जले जैसे बन की लकड़ियां,

केश जले जैसे घासा,
कंचन जैसी काया जल गई,
कंचन जैसी काया जल गई,
कोई न आवे पासा,
कोई न आवे पासा,
क्या तन माजता रे,
एक दिन माटी में मिल जाना।।



तीन दीना तेरी तिरिया रोवे,

तेरा दीना तेरा भाई,
जनम जनम तेरी माता रोवे,
जनम जनम तेरी माता रोवे,
करके आस पराई,
करके आस पराई,
क्या तन माजता रे,
एक दिन माटी में मिल जाना।।

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माटी ओढ़ना माटी बिछोना,

माटी का सिरहाना,
कहे कबीरा सुनले रे बन्दे,
कहे कबीरा सुनले रे बन्दे,
ये जग आना जाना,
ये जग आना जाना,
क्या तन माजता रे,
एक दिन माटी में मिल जाना।।



क्या तन माँजता रे,

एक दिन माटी में मिल जाना है,
पवन चले उड़ जाना रे पगले,
समय चूक पछताना।।

– Suggested By –
श्री राजेंद्र प्रसाद मेनारिया


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