- – गीत में व्यक्ति अपने जीवन में बदलाव और कदर पाने की कहानी बयान करता है।
- – पहले वह “बेकदर” था, यानी उसकी कोई कदर नहीं थी, लेकिन अब उसके जीवन में मेहरबानी आई है।
- – सावरे (प्रभु या भगवान) की कृपा से उसकी जिंदगी में खुशियाँ और सफलता आई हैं।
- – वह अपने अनुभवों को बताता है कि कैसे उसने कठिनाइयों को पार कर सफलता हासिल की।
- – गीत में भक्ति और आस्था की भावना प्रबल रूप से व्यक्त हुई है।
- – अंत में, वह अपने जीवन में आए सकारात्मक बदलाव के लिए अपने सावरे का धन्यवाद करता है।
मैं बेकदर था कदर हो गई है,
मेरे सावरे की मेहर हो गई है,
मैं बेकदर था।।
मेरे सर पे ऐसा ये हाथ फिराया,
जमी का था कतरा फलक पे बिठाया,
किया मुझे पे ऐहसा मेरे सावरे ने,
भिखारी को अपने गले से लगाया ,
दुआ मांगी थी वो असर हो गई है,
मेरे सावरे की मेहर हो गई है,
मैं बेकदर था।।
परिंदा में बन कर उड़ा जा रहा हूँ,
मैं रहमत से इसकी चला जा रहा हूँ,
जमाना हुआ हे हेरान सारा,
कहाँ से में खुशिया सभी पा रहा हूँ,
छुपकर थी रखी जो बाते सभी से,
सभी को अब इस की खबर हो गई है,
मेरे सावरे की मेहर हो गई है,
मैं बेकदर था।।
कोई भी नही था मेरा इस जहा में,
कहूं सच में यारो जमी आसमा में,
जहा ‘शर्मा’ जाता वही हार पाता,
चला आया जब से खाटू श्याम आशिया में,
वही हार मुझसे हार रही है,
वही जीत मेरी हमसफर हो रही हैं,
मेरे सावरे की मेहर हो गई है,
मैं बेकदर था।।
मैं बेकदर था कदर हो गई है,
मेरे सावरे की मेहर हो गई है,
मैं बेकदर था।।
Singer : Naresh Saini
Sent By : Hariom Chouhan