- – यह गीत भगवान कृष्ण की सुंदरता और मोहकता का वर्णन करता है, जो मन को दीवाना बना देती है।
- – गीत में कृष्ण की पायल की मधुर आवाज़ और उनकी तिरछी नजरों का जादू बताया गया है।
- – माधुरी की मूरत और साँवरी सूरत से कृष्ण की भक्ति और प्रेम की भावना प्रकट होती है।
- – गीत में कृष्ण को “मनमोहन दिलदार” और “छबीले बांके कान्हा यार” के रूप में संबोधित किया गया है।
- – यह गीत कृष्ण की लीलाओं और उनकी आकर्षक छवि के कारण प्रेमी के मन में उत्पन्न भावनाओं को व्यक्त करता है।
मेरे मनमोहन दिलदार,
छबीले बांके कान्हा यार,
दीवाना बना दिया,
दीवाना बना दिया।।
मधुर मधुर तेरी बाजे पायलिया,
घायल कर गयी तिरछी नजरिया,
मो पे दियो जादू डार,
रंगीले ले गया चित निकार,
दीवाना बना दिया,
दीवाना बना दिया।।
मेरे मनमोहन दिलदार,
छबीले बांके कान्हा यार,
दीवाना बना दिया,
दीवाना बना दिया।।
कुञ्ज गलीन में छम छम डोले
मिठो मधुर तोतलो बोले
तेरी पायल की झंकार,
सुहावन और मोतिन को हार,
दीवाना बना दिया,
दीवाना बना दिया।।
मेरे मन-मोहन दिलदार,
छबीले बांके कान्हा यार,
दीवाना बना दिया,
दीवाना बना दिया।।
ऐसी बनी माधुरी मूरत,
मन में बस गयी साँवरी सूरत,
सब जग है बेकार,
मेरे मन बस गए कृष्ण मुरार,
दीवाना बना दिया,
दीवाना बना दिया।।
मेरे मन-मोहन दिलदार,
छबीले बांके कान्हा यार,
दीवाना बना दिया,
दीवाना बना दिया।।
या छवि पे मैं बलिहारी जाऊँ,
मन बसिया के मैं दर्शन पाऊँ,
तोहे निरखु बारम बार,
साँवरे रसिकन के सरदार,
दीवाना बना दिया,
दीवाना बना दिया।।
मेरे मन-मोहन दिलदार,
छबीले बांके कान्हा यार,
दीवाना बना दिया,
दीवाना बना दिया।।