ओ मोरछड़ी वाले,
कब तक तेरी राह तकूँ,
लाज बचा ले बाबा,
हारे का सहारा तू ॥
कैसे कहूं तुझे,
कितना मैं चाहूँ,
हर पल मैं बाबा,
तुम्ही को बुलाऊँ,
तुम बिन जिया मोरा,
लागे कहीं ना,
चरणों से तेरे,
कहीं नहीं जाऊं,
ओ शीश के दानी मेरे,
तेरी खातिर आया हूँ,
बिगड़ी बनादे बाबा,
हारे का सहारा तू,
लाज बचा ले बाबा,
हारे का सहारा तू ॥
रींगस के कण कण में,
तुम्ही हो समाये,
भक्तों के दिल में,
तुम्ही हो बसाये,
आता रहूँगा,
वादा है मेरा,
जब जब तू मुझको,
खाटू बुलाये,
दिन भर तुम साथ मेरे,
सपनो में भी आया करो,
किस्मत बना दे बाबा,
हारे का सहारा तू,
लाज बचा ले बाबा,
हारे का सहारा तू ॥
ओ मोरछड़ी वाले,
कब तक तेरी राह तकूँ,
लाज बचा ले बाबा,
हारे का सहारा तू ॥
ओ मोरछड़ी वाले: भजन का गहन विश्लेषण और अर्थ
भजन “ओ मोरछड़ी वाले” खाटू श्याम जी के प्रति गहरी भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। इसमें एक भक्त अपनी भावनाओं, कष्टों, और भगवान के प्रति अटूट विश्वास को व्यक्त करता है। यह केवल शब्दों का संकलन नहीं है, बल्कि आत्मा की गहराई से निकलने वाली पुकार है। आइए, इसे पंक्ति दर पंक्ति गहराई से समझते हैं और भावार्थ के स्तर को एक कदम और बढ़ाते हैं।
ओ मोरछड़ी वाले, कब तक तेरी राह तकूँ
गहन अर्थ:
“मोरछड़ी वाले” खाटू श्याम जी के प्रिय प्रतीक “मोरछड़ी” (मोर पंख की छड़ी) का उल्लेख करता है, जो उनके दिव्य रूप और कृपा का प्रतीक है। भक्त अपनी पीड़ा और प्रतीक्षा को व्यक्त करते हुए पूछता है कि वह कब तक उनके दर्शन और उनकी कृपा की प्रतीक्षा करेगा।
भावार्थ:
यह प्रतीक्षा केवल भौतिक उपस्थिति की नहीं, बल्कि जीवन में भगवान की कृपा के साक्षात्कार की है। भक्त कहता है कि उसकी आत्मा भगवान के दर्शन के लिए व्याकुल है। यह भक्ति का वह चरण है जहां भगवान के बिना जीवन अधूरा लगता है। प्रतीक्षा खुद भक्ति का रूप ले लेती है।
लाज बचा ले बाबा, हारे का सहारा तू
गहन अर्थ:
“लाज बचाना” का अर्थ केवल सामाजिक सम्मान या प्रतिष्ठा नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक और आंतरिक संकट से मुक्ति की अपील है। “हारे का सहारा” बताता है कि जब संसार के सभी दरवाजे बंद हो जाते हैं, तब केवल भगवान ही भक्त का सहारा होते हैं।
भावार्थ:
यह पंक्ति हमें अहसास कराती है कि भगवान से प्रार्थना करना केवल बाहरी समस्याओं के समाधान के लिए नहीं, बल्कि आंतरिक शांति और आत्मा की मुक्ति के लिए है। यह उस क्षण का प्रतीक है जब इंसान हर सांसारिक मदद से निराश हो जाता है और भगवान को अपनी अंतिम आशा मानता है।
कैसे कहूं तुझे, कितना मैं चाहूँ
गहन अर्थ:
यहां भक्त उस प्रेम और भक्ति को व्यक्त करने में असमर्थता महसूस करता है, जो वह भगवान के प्रति रखता है। यह प्रेम इतना गहरा और व्यापक है कि इसे शब्दों में बांधना असंभव है।
भावार्थ:
भक्त का प्रेम केवल भावना तक सीमित नहीं है, यह उसकी आत्मा का हिस्सा बन गया है। यह हमें बताता है कि भक्ति का सर्वोच्च रूप वह है, जिसे केवल अनुभव किया जा सकता है, व्यक्त नहीं किया जा सकता।
हर पल मैं बाबा, तुम्ही को बुलाऊँ
गहन अर्थ:
भक्त का यह कहना कि वह हर समय भगवान को पुकारता है, केवल बाहरी प्रार्थना का संकेत नहीं है। यह इस बात का प्रतीक है कि भगवान उसके हर विचार, हर भावना और हर क्रिया में विद्यमान हैं।
भावार्थ:
यहां भक्त की स्थिति “स्मरणमय” (भगवान के निरंतर स्मरण में रहने वाला) व्यक्ति की है। यह भक्ति की वह अवस्था है जहां मनुष्य हर पल भगवान से जुड़ा हुआ महसूस करता है।
तुम बिन जिया मोरा, लागे कहीं ना
गहन अर्थ:
भक्त कहता है कि भगवान के बिना जीवन अर्थहीन है। यह उस आध्यात्मिक संकट का वर्णन करता है जहां सांसारिक सुख-दुख, सभी अप्रासंगिक हो जाते हैं।
भावार्थ:
यह पंक्ति “विरह” के भाव को व्यक्त करती है। यह भगवान से अलग होने के दर्द और उनके बिना जीवन की नीरसता को दर्शाती है।
चरणों से तेरे, कहीं नहीं जाऊं
गहन अर्थ:
भक्त भगवान के चरणों में स्थायी निवास की कामना करता है। “चरणों” का अर्थ है भगवान की शरण, उनका मार्ग, और उनका संरक्षण।
भावार्थ:
यह भक्त का आत्मसमर्पण और उसकी स्थायी भक्ति को दर्शाता है। यह अहसास कराता है कि भगवान के चरणों की शरण ही मुक्ति और शांति का अंतिम साधन है।
ओ शीश के दानी मेरे, तेरी खातिर आया हूँ
गहन अर्थ:
“शीश के दानी” खाटू श्याम जी का वह नाम है, जो उनके बलिदान को दर्शाता है। भक्त यहां कहता है कि उसने अपना जीवन भगवान को समर्पित कर दिया है।
भावार्थ:
यह भक्ति की “त्यागमय” अवस्था को दिखाता है। भक्त स्वयं को भगवान की सेवा और भक्ति में अर्पित करता है, बिना किसी स्वार्थ के।
बिगड़ी बनादे बाबा, हारे का सहारा तू
गहन अर्थ:
भक्त अपनी समस्याओं और कष्टों को भगवान के सामने रखकर उनकी कृपा का आह्वान करता है। “बिगड़ी बनाना” केवल सांसारिक समस्याओं का समाधान नहीं है, बल्कि आत्मा की अशांति को भी ठीक करना है।
भावार्थ:
यह भगवान पर पूर्ण विश्वास और निर्भरता को दर्शाता है। भक्त जानता है कि भगवान ही उसकी बिगड़ी हुई परिस्थितियों को संभाल सकते हैं।
रींगस के कण कण में, तुम्ही हो समाये
गहन अर्थ:
यहां भक्त बताता है कि खाटू धाम के आसपास के क्षेत्र में भी भगवान का वास है। “कण-कण में समाना” भगवान की सर्वव्यापकता और उनके दिव्य स्वरूप का प्रतीक है।
भावार्थ:
यह हमें सिखाता है कि भगवान केवल मंदिरों में नहीं, बल्कि प्रत्येक स्थान और प्रत्येक कण में विद्यमान हैं। यह उनके सार्वभौमिक स्वरूप का बोध कराता है।
भक्तों के दिल में, तुम्ही हो बसाये
गहन अर्थ:
भक्त यह मानता है कि भगवान हर भक्त के दिल में निवास करते हैं। यह “आंतरिक भगवान” की अवधारणा को व्यक्त करता है।
भावार्थ:
यह भक्ति की उच्च अवस्था को दर्शाता है, जहां भक्त भगवान को बाहरी दुनिया में नहीं, बल्कि अपने हृदय में अनुभव करता है।
आता रहूँगा, वादा है मेरा, जब जब तू मुझको, खाटू बुलाये
गहन अर्थ:
भक्त भगवान से यह वादा करता है कि वह उनके बुलावे पर उनके धाम आता रहेगा।
भावार्थ:
यह पंक्ति भक्ति की “अनुशासन और वचनबद्धता” को दर्शाती है। यह दिखाती है कि भक्त केवल शब्दों में नहीं, बल्कि अपने कर्मों में भी भगवान के प्रति निष्ठा रखता है।
दिन भर तुम साथ मेरे, सपनों में भी आया करो
गहन अर्थ:
भक्त भगवान से आग्रह करता है कि वे हर समय उसके साथ रहें, चाहे वह जाग रहा हो या सो रहा हो।
भावार्थ:
यह भक्त की पूर्ण निर्भरता और भगवान के प्रति उसकी गहरी तड़प को दर्शाता है। यह भगवान से स्थायी संबंध की इच्छा को व्यक्त करता है।
किस्मत बना दे बाबा, हारे का सहारा तू
गहन अर्थ:
भक्त भगवान से अपनी तकदीर बदलने की प्रार्थना करता है। यह न केवल भौतिक जीवन की बल्कि आत्मिक उन्नति की प्रार्थना है।
भावार्थ:
यह विश्वास का प्रतीक है कि भगवान ही हमारे भाग्य को बदलने की शक्ति रखते हैं। भक्त अपने जीवन को भगवान की कृपा से सुधारने की आशा करता है।
यह भजन केवल भगवान से प्रार्थना नहीं है, बल्कि जीवन के हर पहलू में भगवान की उपस्थिति को महसूस करने और उनके प्रति समर्पित होने का एक मार्गदर्शक है।