पापमोचनी एकादशी के फल
धार्मिक फल
- पापों का नाश: पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है।
- पुण्य की प्राप्ति: इस व्रत को करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
- भगवान विष्णु की प्रसन्नता: पापमोचनी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है, इसलिए इस व्रत को करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है।
- मनोकामना पूर्ति: पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- ग्रह दोषों का निवारण: पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने से ग्रह दोषों का निवारण होता है।
- मोक्ष की प्राप्ति: पापमोचनी एकादशी का व्रत मोक्ष प्राप्ति का द्वार खोलता है।
सांसारिक फल
- सुख-समृद्धि: पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
- आरोग्य लाभ: पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने से आरोग्य लाभ होता है।
- धन लाभ: पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने से धन लाभ होता है।
- शत्रु पर विजय: पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
- विद्या प्राप्ति: पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने से विद्या प्राप्ति में सफलता मिलती है।
- संतान प्राप्ति: पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने से संतान प्राप्ति में सफलता मिलती है।
विशेष फल
- पापों से मुक्ति: पापमोचनी एकादशी का नाम ही “पापमोचनी” है, जिसका अर्थ है “पापों से मुक्ति”। इस व्रत को करने से व्यक्ति को अपने जीवन में किए गए सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
- अकाल मृत्यु से बचाव: पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति अकाल मृत्यु से बच जाता है।
- कष्टों से मुक्ति: पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को जीवन में आने वाले सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
पापमोचनी एकादशी व्रत का महत्त्व
पापमोचनी एकादशी, जो माघ मास के कृष्ण पक्ष में आती है, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इस व्रत को करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
धार्मिक महत्व
- पापों का नाश: पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है।
- पुण्य की प्राप्ति: इस व्रत को करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
- भगवान विष्णु की प्रसन्नता: पापमोचनी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है, इसलिए इस व्रत को करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है।
- मनोकामना पूर्ति: पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- ग्रह दोषों का निवारण: पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने से ग्रह दोषों का निवारण होता है।
- मोक्ष की प्राप्ति: पापमोचनी एकादशी का व्रत मोक्ष प्राप्ति का द्वार खोलता है।
पापमोचनी एकादशी कथा
कथा का सार
- कौन: ऋषि मेधावी और अप्सरा मंजुघोषा
- कहां: चैत्ररथ नामक वन
- क्या हुआ: ऋषि मेधावी कामदेव और अप्सरा मंजुघोषा के वश में होकर 57 वर्षों तक भोग-विलास में लीन रहे। ऋषि के श्राप से मंजुघोषा पिशाचिनी बन गई।
- क्या उपाय: पापमोचिनी एकादशी का व्रत
- परिणाम: मंजुघोषा को पिशाच योनि से मुक्ति, ऋषि को पापों से मुक्ति
कथा
प्राचीन काल में चैत्ररथ नामक वन में ऋषि मेधावी तपस्या में लीन थे। एक दिन अप्सरा मंजुघोषा ने ऋषि को मोहित कर उनके पास आकर वीणा बजाकर गाने लगी। कामदेव ने भी ऋषि को जीतने का प्रयास किया। ऋषि मंजुघोषा के सौन्दर्य पर मोहित हो गए और 57 वर्षों तक उसके साथ रमण करते रहे।
समय का ज्ञान होने पर ऋषि क्रोधित हुए और मंजुघोषा को पिशाचिनी बनने का श्राप दिया। पिशाचिनी बनी मंजुघोषा ने ऋषि से क्षमा मांगी और श्राप निवारण का उपाय पूछा। ऋषि ने उन्हें पापमोचिनी एकादशी का व्रत करने का निर्देश दिया।
मंजुघोषा ने पापमोचिनी एकादशी का व्रत किया और पिशाच योनि से मुक्ति प्राप्त कर स्वर्ग वापस चली गई। ऋषि ने भी पापमोचिनी एकादशी का व्रत कर अपने पापों से मुक्ति प्राप्त की।
पापमोचनी एकादशी पूजाविधि
सामग्री
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर
- चौकी
- पीले रंग का कपड़ा
- दीपक
- घी
- कपूर
- चंदन
- पुष्प
- फल
- मिठाई
- सुपारी
- पान
- दक्षिणा
- जल
- तुलसी के पत्ते
विधि
1. प्रातः स्नान: पापमोचनी एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. वेदी स्थापन: पूजा घर या किसी स्वच्छ स्थान पर चौकी रखें और उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर चौकी पर स्थापित करें।
3. दीप प्रज्वलन: दीपक में घी डालकर जलाएं और कपूर जलाकर आरती करें।
4. स्नान: भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को जल, दूध, पंचामृत आदि से स्नान कराएं।
5. अर्चन: भगवान विष्णु को चंदन, पुष्प, फल, मिठाई, सुपारी, पान आदि अर्पित करें। तुलसी के पत्ते भी भगवान विष्णु को अर्पित करें।
6. मन्त्र जाप: विष्णु मन्त्रों का जाप करें। आप “ॐ नमो नारायणाय”, “ॐ विष्णुवे नमः”, या “लक्ष्मीनारायण नमः” मन्त्र का जाप कर सकते हैं।
7. आरती: भगवान विष्णु की आरती गाएं।
8. प्रार्थना: भगवान विष्णु से अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें।
9. व्रत का संकल्प: पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने का संकल्प लें।
10. भोजन: इस दिन फलाहार करें।
11. कथा: पापमोचनी एकादशी की कथा पढ़ें या सुनें।
12. रात्रि जागरण: रात्रि में जागकर भजन-कीर्तन करें।
13. पारण: अगले दिन द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-पुण्य करें।