सौराष्ट्रे सोमनाथं ज्योतिर्लिंग का मंत्र निम्नलिखित है:
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारममलेश्वरम्।।
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम्।
सेतुबंधे तु रामेशं नागेशं दारुकावने।।
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये।।
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति।।
एतेषां दर्शनादेव पातकं नैव तिष्ठति।
कर्मक्षयो भवेत्तस्य यस्य तुष्टो महेश्वरः।।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का महत्व
सोमनाथ मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है और इसे द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से पहला माना जाता है। यह भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था और बाद में इसे कई बार पुनर्निर्माण किया गया।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के इतिहास और धार्मिक महत्व:
- इतिहास: सोमनाथ मंदिर का प्राचीन इतिहास बहुत समृद्ध है। इसे सबसे पहले चन्द्रदेव ने सोने से बनाया था। बाद में इसे रावण ने चाँदी से और श्रीकृष्ण ने चन्दन की लकड़ी से बनवाया। समय-समय पर इस मंदिर को विदेशी आक्रांताओं ने नष्ट किया, लेकिन हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया।
- धार्मिक महत्व: इस मंदिर को हिन्दू धर्म में बहुत उच्च स्थान प्राप्त है। मान्यता है कि सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- पौराणिक कथा: एक पौराणिक कथा के अनुसार, चन्द्रदेव को श्राप से मुक्त करने के लिए भगवान शिव ने स्वयं यहां प्रकट होकर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हुए थे।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की यात्रा और दर्शन:
- प्रवेश और पूजा: सोमनाथ मंदिर में प्रवेश के लिए भक्तों को विशेष अनुशासन का पालन करना होता है। मंदिर में श्रद्धालु शिवलिंग पर जल, दूध और बिल्वपत्र अर्पित करते हैं।
- मंदिर की संरचना: वर्तमान में सोमनाथ मंदिर की संरचना भव्य और सुंदर है। मंदिर की दीवारों पर उत्कृष्ट शिल्पकला का प्रदर्शन किया गया है।
- मेले और त्यौहार: सोमनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि और श्रावण मास के दौरान विशेष पूजा और मेले का आयोजन होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की यात्रा और दर्शन से भक्तों को अपार आध्यात्मिक शांति और संतोष प्राप्त होता है। यह स्थान हर हिन्दू के जीवन में एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।