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शिव पंचाक्षर स्तोत्र क्या होता है?

शिव पंचाक्षर स्तोत्र भगवान शिव की स्तुति में रचित एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है, जिसमें उनके दिव्य गुणों और स्वरूपों का वर्णन किया गया है। इस स्तोत्र में भगवान शिव के “पंचाक्षर मंत्र” “नमः शिवाय” के पाँच अक्षरों (न, म, शि, व, य) को आधार बनाकर उनकी महिमा और शक्ति को व्यक्त किया गया है। यह स्तोत्र भक्तों को शिव की उपासना के लिए प्रेरित करता है और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र मंत्र का अर्थ

शिव पंचाक्षर स्तोत्र भगवान शिव की स्तुति में रचित एक दिव्य भजन है। इसमें शिव के विभिन्न गुणों, स्वरूपों और महिमा का वर्णन किया गया है। प्रत्येक श्लोक में शिव के एक विशिष्ट गुण या स्वरूप को वर्णित किया गया है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।


नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।

नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै न काराय नमः शिवाय॥

विस्तृत अर्थ:

  1. नागेन्द्रहाराय
    इसका अर्थ है, “जो नागों के राजा (सर्पों) को आभूषण के रूप में धारण करते हैं।” यह भगवान शिव की उनकी सरलता और निर्भयता को दर्शाता है।
  2. त्रिलोचनाय
    शिव को “तीन नेत्रों वाले” कहा गया है। उनका तीसरा नेत्र ज्ञान और विनाश का प्रतीक है। यह त्रिकालदर्शिता (तीनों कालों का ज्ञान) का प्रतीक भी है।
  3. भस्माङ्गरागाय
    शिव अपने शरीर पर भस्म (राख) का लेप करते हैं, जो संसार की नश्वरता को दर्शाता है। यह वैराग्य और तप का प्रतीक है।
  4. महेश्वराय
    शिव “महान ईश्वर” हैं, जो संपूर्ण ब्रह्मांड के स्वामी हैं।
  5. नित्याय
    शिव शाश्वत (हमेशा रहने वाले) हैं। उनका अस्तित्व काल से परे है।
  6. शुद्धाय
    वे शुद्ध और पवित्र हैं। उनकी दिव्यता संसार के हर अशुद्ध तत्व से परे है।
  7. दिगम्बराय
    इसका अर्थ है “जो वस्त्र के रूप में दिशाओं को धारण करते हैं।” यह उनकी त्याग और वैराग्य की प्रवृत्ति को दर्शाता है।
  8. तस्मै न काराय नमः शिवाय
    “न” अक्षर शिव के रूप का प्रतीक है। इसे शिव के आदि और अनंत स्वरूप के प्रति नमन कहा गया है।

मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय।

मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय तस्मै म काराय नमः शिवाय॥

विस्तृत अर्थ:

  1. मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय
    शिव गंगा जल और चंदन के लेप से पूजित होते हैं। गंगा उनके जटाओं से प्रवाहित होती है, जो उनकी कृपा और पवित्रता का प्रतीक है।
  2. नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय
    नंदी, शिव के वाहन और उनके अनन्य भक्त हैं। प्रमथनाथ का अर्थ है, “जो भूतगणों के स्वामी हैं।”
  3. मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय
    शिव मन्दार और अन्य दिव्य पुष्पों से पूजित होते हैं। यह दर्शाता है कि वे भक्तों के प्रेम और श्रद्धा से प्रसन्न होते हैं।
  4. तस्मै म काराय नमः शिवाय
    “म” अक्षर शिव के रूप का प्रतीक है। यह उनके मोह (माया से परे) स्वरूप को दर्शाता है।

शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।

श्री नीलकण्ठाय वृषध्वजाय तस्मै शि काराय नमः शिवाय॥

विस्तृत अर्थ:

  1. शिवाय
    “कल्याणकारी” शिव। शिव सृष्टि के कल्याण का प्रतीक हैं।
  2. गौरीवदनाब्जवृन्द सूर्याय
    शिव गौरी (पार्वती) के मुख की दिव्यता को देखकर आनंदित होते हैं।
  3. दक्षाध्वरनाशकाय
    उन्होंने दक्ष प्रजापति के यज्ञ का विनाश किया था, क्योंकि वह अहंकार का प्रतीक था।
  4. श्री नीलकण्ठाय
    समुद्र मंथन के समय विष पीने के कारण उनका कंठ नीला हो गया। यह उनकी त्याग और परोपकार की भावना को दर्शाता है।
  5. वृषध्वजाय
    वृषभ (बैल) शिव का ध्वज है, जो धर्म, शक्ति और सहनशीलता का प्रतीक है।
  6. तस्मै शि काराय नमः शिवाय
    “शि” अक्षर शिव के शुभ और मंगलमय स्वरूप का प्रतीक है।

वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।

चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय तस्मै व काराय नमः शिवाय॥

विस्तृत अर्थ:

  1. वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य
    वशिष्ठ, अगस्त्य और गौतम जैसे ऋषियों ने शिव की पूजा की है। यह उनकी दिव्यता और ऋषियों के प्रति कृपा का संकेत है।
  2. मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय
    मुनियों और देवताओं द्वारा शिव के मस्तक पर चढ़ाए गए पुष्प उनकी पूजा को दर्शाते हैं।
  3. चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय
    शिव के तीन नेत्र चंद्रमा, सूर्य और अग्नि का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  4. तस्मै व काराय नमः शिवाय
    “व” अक्षर शिव के वरेण्य (श्रेष्ठ) स्वरूप का प्रतीक है।

यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय।

दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै य काराय नमः शिवाय॥

विस्तृत अर्थ:

  1. यक्षस्वरूपाय
    शिव का स्वरूप यक्ष जैसा अद्भुत और रहस्यमय है।
  2. जटाधराय
    शिव अपनी जटाओं में गंगा को धारण करते हैं। यह उनके संयम और शक्ति का प्रतीक है।
  3. पिनाकहस्ताय
    उनके हाथों में पिनाक धनुष है, जो उनकी शक्ति और पराक्रम को दर्शाता है।
  4. सनातनाय
    शिव सनातन (शाश्वत) हैं, जो अनादि और अनंत हैं।
  5. दिव्याय देवाय दिगम्बराय
    वे दिव्य, देवों के देव और दिशाओं को ही वस्त्र रूप में धारण करने वाले हैं।
  6. तस्मै य काराय नमः शिवाय
    “य” अक्षर शिव के योग स्वरूप का प्रतीक है।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र के फायदे क्या हैं?

शिव पंचाक्षर स्तोत्र एक पवित्र स्तुति है जो भगवान शिव की उपासना के लिए रचित है। इसमें “नमः शिवाय” मंत्र के प्रत्येक अक्षर की महिमा का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र अध्यात्मिक साधना और मन की शांति के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है। शिव पंचाक्षर स्तोत्र के नियमित पाठ से न केवल आध्यात्मिक बल्कि मानसिक, शारीरिक और सामाजिक लाभ भी प्राप्त होते हैं।


🔱 आध्यात्मिक लाभ

1. आत्मा का शुद्धिकरण

शिव पंचाक्षर स्तोत्र के पाठ से आत्मा पवित्र होती है। यह मनुष्य को उसके पापों से मुक्त कर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। भगवान शिव को “मुक्तिदाता” कहा जाता है, और इस स्तोत्र का पाठ उनकी कृपा पाने का सरल माध्यम है।

2. चक्र जागरण और ऊर्जा संतुलन

इस स्तोत्र के उच्चारण से मानव शरीर के ऊर्जा चक्र (चक्रा) सक्रिय होते हैं। विशेष रूप से, यह “आज्ञा चक्र” और “सहस्रार चक्र” को जागृत करने में सहायक है, जो ध्यान और आध्यात्मिक ज्ञान के लिए आवश्यक हैं।

3. मंत्र शक्ति में वृद्धि

“नमः शिवाय” मंत्र को पंचाक्षर मंत्र कहा गया है। इस स्तोत्र के माध्यम से इसका निरंतर जप करने से मंत्र की शक्ति बढ़ती है, जिससे व्यक्ति को मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।


🕉️ मानसिक लाभ

1. मन की शांति और तनाव मुक्ति

इस स्तोत्र के नियमित पाठ से मानसिक अशांति दूर होती है। इसका कंपन (वाइब्रेशन) दिमाग को शांत करता है और तनाव, चिंता, और नकारात्मक भावनाओं को समाप्त करता है।

2. ध्यान और एकाग्रता में सुधार

शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ ध्यान के समय किया जाए तो यह मन को स्थिर और एकाग्र करता है। यह विशेष रूप से विद्यार्थियों और ज्ञान-प्राप्ति की इच्छा रखने वालों के लिए लाभकारी है।


🔥 शारीरिक लाभ

1. स्वास्थ्य में सुधार

इस स्तोत्र के पाठ से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो शरीर के रोग प्रतिरोधक तंत्र (इम्यून सिस्टम) को मजबूत करता है। यह शरीर को बीमारियों से लड़ने में सक्षम बनाता है।

2. विकिरण से सुरक्षा

“नमः शिवाय” मंत्र का उच्चारण शरीर के चारों ओर एक ऊर्जा कवच का निर्माण करता है, जो नकारात्मक ऊर्जा और बाहरी विकिरण से सुरक्षा प्रदान करता है।


🌺 सामाजिक और व्यक्तिगत लाभ

1. संबंधों में सुधार

इस स्तोत्र का पाठ व्यक्ति के भीतर करुणा, प्रेम और दया जैसे गुणों का विकास करता है। यह व्यक्तिगत और पारिवारिक संबंधों को बेहतर बनाने में मदद करता है।

2. धन और समृद्धि का मार्ग

भगवान शिव को “अन्नदाता” और “विधाता” कहा जाता है। उनके स्तोत्र का पाठ करने से धन, समृद्धि और भौतिक सुख-सुविधाओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


शिव पंचाक्षर स्तोत्र के नियम और विधि?

शिव पंचाक्षर स्तोत्र भगवान शिव की स्तुति के लिए अत्यंत प्रभावशाली और पूजनीय स्तोत्र है। इसमें भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र “नमः शिवाय” के महात्म्य को व्यक्त किया गया है। यह स्तोत्र आदि शंकराचार्य द्वारा रचित है और इसमें भगवान शिव के गुण, स्वरूप, और कृपा का वर्णन किया गया है। इसे पढ़ने और जपने के लिए कुछ विशेष नियम और विधियां हैं जिनका पालन करने से इसका पूर्ण लाभ प्राप्त होता है।

पाठ और जप के नियम

  1. शुद्धता का पालन:
    शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करते समय शरीर, मन, और स्थान की शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए। पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। पूजा स्थान को गंगाजल या स्वच्छ जल से पवित्र करें।
  2. सही समय का चयन:
    इस स्तोत्र का पाठ ब्रह्ममुहूर्त में, यानी सूर्योदय से पहले, करना सबसे शुभ माना जाता है। यदि यह संभव न हो, तो प्रातः या संध्या के समय भी इसका पाठ किया जा सकता है।
  3. स्थान का चयन:
    पाठ के लिए शांत और पवित्र स्थान का चयन करें। यह स्थान मंदिर, घर का पूजा स्थल, या कोई शांत जगह हो सकती है। शिवलिंग के समक्ष पाठ करना अधिक लाभकारी माना जाता है।
  4. आसन और मुद्रा:
    कुशासन या स्वच्छ आसन पर बैठकर पाठ करें। ध्यान मुद्रा में बैठना श्रेष्ठ होता है। यह मन को एकाग्र रखने में सहायता करता है।
  5. माला का प्रयोग:
    यदि शिव पंचाक्षर स्तोत्र को जप के रूप में करना हो, तो रुद्राक्ष माला का उपयोग करें। यह भगवान शिव को प्रिय है और जप का प्रभाव बढ़ाता है।
  6. श्रद्धा और भक्ति:
    स्तोत्र पाठ या जप के दौरान भगवान शिव के स्वरूप का ध्यान करें। मन को शांत रखते हुए और पूर्ण श्रद्धा व भक्ति के साथ यह स्तोत्र पढ़ें।

विधि

  1. पूजा की तैयारी:
    पाठ से पहले भगवान शिव की पूजा करें। शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, शहद, और पंचामृत से अभिषेक करें। बिल्वपत्र, धतूरा, सफेद पुष्प, और चंदन अर्पित करें। धूप और दीप जलाकर भगवान शिव का ध्यान करें।
  2. शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ:
    स्तोत्र को शुद्ध उच्चारण और एकाग्र मन से पढ़ें। प्रत्येक श्लोक के बाद “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें।
  3. ध्यान और प्रार्थना:
    पाठ के बाद ध्यान करें और भगवान शिव से अपनी इच्छाओं की पूर्ति और आत्मा की शुद्धि के लिए प्रार्थना करें।
  4. दान और सेवा:
    पाठ के बाद यथाशक्ति गरीबों को भोजन, वस्त्र, या धन का दान करें। इससे पुण्य में वृद्धि होती है।

व्रत और अन्य नियम

  • सोमवार या प्रदोष व्रत के दिन इस स्तोत्र का पाठ करना विशेष रूप से शुभ होता है।
  • सावन के महीने में इसका पाठ करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  • शिवरात्रि के दिन इसका पाठ रात्रि जागरण के दौरान करना उत्तम फलदायी होता है।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र न केवल भगवान शिव की कृपा पाने का माध्यम है, बल्कि यह आत्मिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा, और जीवन के संकटों को दूर करने में भी सहायक है। इसे नियमित रूप से पाठ करने से जीवन में सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र मंत्र Video

Shiv Panchakshar Stotram Mantra in English

  1. O necklace of the lord of serpents, O three-eyed, O Lord of the ashes, O Lord. Never-failing, pure, divine, that never-failing, I offer my obeisances unto thee.
  2. O Lord of Nandi, Lord of Pramatha, Lord of Maheshwara, adorned with the waters of Mandakini and sandalwood. Obeisances to that auspicious one who is well worshiped with mandara flowers and many flowers.
  3. O Shiva, lotus-faced Gauri, O sun, destroyer of the sacrifices of Daksha. O Sri blue-necked bull-flagged one, that hunter, I offer my obeisances unto thee.
  4. Vasishtakumbhodbhavagautamarya munindradevaarchitashekharaya. O Shiva whose eyes are like the moon, sun and fire, I offer my obeisances to you.
  5. O eternal one in the form of a yaksha, with matted hair and in the hand of a pinaka. O divine god, divinely dressed, whose form is the source of all auspiciousness, I offer my obeisances unto thee.

The “Shiva Panchakshara Stotra” (शिव पंचाक्षर स्तोत्र) or “श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम्” in Sanskrit is a highly revered devotional hymn dedicated to Lord Shiva. “Panchakshara” literally means “five letters” in Sanskrit, and it refers to the five holy letters that constitute the mantra ‘Namah Shivaya’ (नमः शिवाय), which is considered one of the most sacred mantras in Shaivism. Each of these letters corresponds to an aspect of Shiva and his divine nature.

The Stotra is composed by the great sage Adi Shankaracharya and it beautifully glorifies Lord Shiva, describing his attributes, powers, and benevolent acts. The hymn is recited by devotees as a form of worship and meditation, helping them to connect deeply with Lord Shiva and gain his blessings.

शिव पंचाक्षर स्तोत्र मंत्र PDF Download

शिव पंचाक्षर स्तोत्र Mp3 Audio

शिव पंचाक्षर स्तोत्र का महत्व (Significance)

शिव पंचाक्षर स्तोत्र का महत्व सिर्फ इसके शब्दों में ही नहीं है, बल्कि इसके प्रत्येक अक्षर में छिपे हुए गहरे आध्यात्मिक अर्थों में भी है। ‘नमः शिवाय’ इस मंत्र में पाँच अक्षर होते हैं: न, म, शि, व, और य, जिन्हें पंचाक्षर कहा जाता है। प्रत्येक अक्षर का अपना विशेष महत्व है:

  1. न (Na) – यह पृथ्वी तत्व का प्रतीक है और यह भक्त को अहंकार और मोह से मुक्त होने की प्रेरणा देता है।
  2. म (Ma) – यह जल तत्व का प्रतिनिधित्व करता है, जो शांति और लचीलापन प्रदान करता है।
  3. शि (Shi) – यह अग्नि तत्व का प्रतीक है और यह ज्ञान और अनुशासन को बढ़ावा देता है।
  4. व (Va) – यह वायु तत्व को दर्शाता है, जिससे जीवन में गति और परिवर्तन की संभावना आती है।
  5. य (Ya) – यह आकाश तत्व का प्रतिनिधित्व करता है, जो विस्तार और अनंत की भावना को प्रेरित करता है।

इस स्तोत्र का जप करने से न केवल मानसिक और आध्यात्मिक शांति मिलती है, बल्कि यह संसारिक बंधनों से मुक्ति की ओर भी मार्गदर्शन करता है। शिव भक्ति में इसका विशेष स्थान है क्योंकि यह भक्त को सीधे तौर पर शिव के सच्चे स्वरूप से जोड़ता है, जो कि सर्वव्यापी, सर्वशक्तिमान और सर्वाधार हैं।

अंत में, इस स्तोत्र का पाठ करने से न केवल आत्मिक लाभ होता है, बल्कि इससे संपूर्ण जीवन के हर पहलू में शुद्धि और संतुलन भी आता है।

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