श्री गणपति महाराज,
मंगल बरसाओ,
शिव जी के प्यारे,
मैया गौरा के दुलारे,
देवों के सरताज,
मंगल बरसाओ,
श्रीं गणपति महाराज,
मंगल बरसाओ ॥
प्रथम गजानंद तुमको मनाऊँ,
विनती करूँ कर जोड़ के बुलाऊँ,
सफल करो सब काज,
मंगल बरसाओ,
श्रीं गणपति महाराज,
मंगल बरसाओ ॥
रिद्धि और सिद्धि दोनों साथ में लाना,
शुभ और लाभ को भूल ना जाना,
मूषक पर चढ़ आज,
मंगल बरसाओ,
श्रीं गणपति महाराज,
मंगल बरसाओ ॥
पुष्पों के हार देवा तुम्हे पहनाऊं,
लाडू और मोदक से भोग लगाऊं,
धुप दिप धरूँ साज,
मंगल बरसाओ,
श्रीं गणपति महाराज,
मंगल बरसाओ ॥
भक्त तुम्हारे मिल महिमा गाते,
मधुर मधुर देवा भजन सुनाते,
ढोल मृदंग रहे बाज,
मंगल बरसाओ,
श्रीं गणपति महाराज,
मंगल बरसाओ ॥
‘अमर’ तुम्हारे है चरणों का चाकर,
दरश प्रभु दिखला दो आकर,
रख लो हमारी लाज,
मंगल बरसाओ,
श्रीं गणपति महाराज,
मंगल बरसाओ ॥
श्री गणपति महाराज,
मंगल बरसाओ,
शिव जी के प्यारे,
मैया गौरा के दुलारे,
देवों के सरताज,
मंगल बरसाओ,
श्रीं गणपति महाराज,
मंगल बरसाओ ॥
श्री गणपति महाराज, मंगल बरसाओ: भजन का अर्थ और महत्व
यह भजन श्री गणपति जी की महिमा और उनसे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करता है। प्रत्येक पंक्ति में भगवान गणेश के विभिन्न गुणों और उनसे मंगलमय आशीर्वाद की प्रार्थना की गई है। आइए, इस भजन का प्रत्येक पंक्ति के आधार पर विस्तृत अर्थ समझते हैं।
श्री गणपति महाराज, मंगल बरसाओ
श्री गणपति महाराज, मंगल बरसाओ
यहां भगवान गणेश से यह निवेदन किया जा रहा है कि वे भक्तों पर अपना आशीर्वाद बरसाएं और उनके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का संचार करें। “मंगल बरसाओ” का अर्थ है जीवन में सभी प्रकार के कल्याणकारी और शुभ कार्यों को संभव करना।
शिव जी के प्यारे, मैया गौरा के दुलारे
शिव जी के प्यारे, मैया गौरा के दुलारे
यहां गणपति को भगवान शिव और पार्वती के प्रिय पुत्र के रूप में वर्णित किया गया है। शिव और पार्वती के पुत्र के रूप में वे पूरे संसार को प्रिय हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूरी करने की शक्ति रखते हैं। “दुलारे” शब्द से उनके माता-पिता के प्रति उनका स्नेह और आदर भी दर्शाया गया है।
देवों के सरताज, मंगल बरसाओ
देवों के सरताज, मंगल बरसाओ
गणपति को सभी देवताओं का राजा बताया गया है, जो सभी देवों में अग्रणी हैं। “सरताज” का अर्थ है राजा या सबसे प्रमुख। यहां उनसे प्रार्थना है कि वे अपने भक्तों पर मंगलमय आशीर्वाद बरसाएं।
प्रथम गजानंद तुमको मनाऊँ
प्रथम गजानंद तुमको मनाऊँ
गणपति को प्रथम पूज्य माना गया है, जो प्रत्येक शुभ कार्य के प्रारंभ में पूजे जाते हैं। यहां भजन गायक गणपति की प्रथम पूजा करने की भावना व्यक्त करते हैं।
विनती करूँ कर जोड़ के बुलाऊँ
विनती करूँ कर जोड़ के बुलाऊँ
यहां भगवान गणेश के प्रति भक्त का विनम्र भाव दिखाया गया है। भक्त दोनों हाथ जोड़कर विनती करते हुए उन्हें बुला रहे हैं और उनका स्वागत करने के लिए उत्सुक हैं।
सफल करो सब काज, मंगल बरसाओ
सफल करो सब काज, मंगल बरसाओ
गणपति जी से यह निवेदन किया जा रहा है कि वे भक्तों के सभी कार्यों को सफल बनाएं। इस पंक्ति में हर कार्य में सफलता के लिए भगवान गणेश का आशीर्वाद मांगा गया है।
रिद्धि और सिद्धि दोनों साथ में लाना
रिद्धि और सिद्धि दोनों साथ में लाना
रिद्धि और सिद्धि भगवान गणेश की शक्तियाँ और समृद्धि के प्रतीक हैं। यहां भक्त उनसे जीवन में रिद्धि और सिद्धि लाने का निवेदन कर रहे हैं ताकि उनके जीवन में हर प्रकार की समृद्धि और सफलता हो।
शुभ और लाभ को भूल ना जाना
शुभ और लाभ को भूल ना जाना
यहां भगवान गणेश से शुभता और लाभ की कामना की जा रही है। शुभता का अर्थ है कल्याणकारी कार्य और लाभ से तात्पर्य है आर्थिक और मानसिक संपन्नता।
मूषक पर चढ़ आज, मंगल बरसाओ
मूषक पर चढ़ आज, मंगल बरसाओ
गणपति जी का वाहन मूषक है। यहां भजन में भगवान गणेश से मूषक पर विराजमान होकर भक्तों के बीच आने का आह्वान किया गया है, जिससे वे उन पर आशीर्वाद बरसाएं।
पुष्पों के हार देवा तुम्हे पहनाऊं
पुष्पों के हार देवा तुम्हे पहनाऊं
यहां भक्त भगवान गणेश को पुष्पों की माला पहनाने का संकल्प लेते हैं। यह भगवान गणेश की सेवा और आराधना की भावना को दर्शाता है।
लाडू और मोदक से भोग लगाऊं
लाडू और मोदक से भोग लगाऊं
मोदक भगवान गणेश का प्रिय भोजन है। यहां भक्त उन्हें मोदक और लड्डू का भोग लगाने का भाव रखते हैं ताकि भगवान गणेश प्रसन्न होकर उनकी प्रार्थना स्वीकार करें।
धुप दिप धरूँ साज, मंगल बरसाओ
धुप दिप धरूँ साज, मंगल बरसाओ
भक्त धूप और दीप जलाकर भगवान गणेश की पूजा करने का संकल्प लेते हैं। यह पंक्ति पूजा की विधि का एक अंग है, जिसमें भगवान को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न सामग्री का उपयोग किया जाता है।
भक्त तुम्हारे मिल महिमा गाते
भक्त तुम्हारे मिल महिमा गाते
यहां उन सभी भक्तों का उल्लेख किया गया है जो मिलकर भगवान गणेश की महिमा का गुणगान करते हैं। इस पंक्ति से सामूहिक भक्ति का भाव उत्पन्न होता है।
मधुर मधुर देवा भजन सुनाते
मधुर मधुर देवा भजन सुनाते
भक्त मधुर भजनों के माध्यम से भगवान गणेश की स्तुति करते हैं। यह पंक्ति भगवान गणेश की महिमा का गुणगान करने की भावना को व्यक्त करती है।
ढोल मृदंग रहे बाज, मंगल बरसाओ
ढोल मृदंग रहे बाज, मंगल बरसाओ
यहां भजन के समय बजने वाले वाद्य यंत्रों का वर्णन किया गया है। ढोल और मृदंग की ध्वनि भगवान गणेश की भक्ति में लीन भक्तों की श्रद्धा को और अधिक भावविभोर बना देती है।
‘अमर’ तुम्हारे है चरणों का चाकर
‘अमर’ तुम्हारे है चरणों का चाकर
यहां ‘अमर’ शब्द का उपयोग खुद के लिए हुआ है, जहां भक्त स्वयं को भगवान गणेश के चरणों में समर्पित चाकर के रूप में प्रस्तुत करता है।
दरश प्रभु दिखला दो आकर
दरश प्रभु दिखला दो आकर
भक्त भगवान गणेश से उनके दर्शन की इच्छा रखते हैं। यह पंक्ति भक्त की भगवान गणेश के प्रति भक्ति और आस्था को प्रकट करती है।
रख लो हमारी लाज, मंगल बरसाओ
रख लो हमारी लाज, मंगल बरसाओ
यहां भक्त अपनी श्रद्धा के साथ भगवान गणेश से निवेदन करते हैं कि वे उनकी लाज रखें और उनकी मनोकामनाओं को पूरा करें।