ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम् ।
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम् ॥
ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्
श्लोक का परिचय
यह श्लोक भगवान नृसिंह को समर्पित है, जो भगवान विष्णु का एक उग्र और वीर अवतार हैं। यह श्लोक उनके शक्ति, साहस, और सर्वव्यापकता का वर्णन करता है। इस श्लोक का जाप नृसिंह भगवान की कृपा पाने और सभी प्रकार की बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा के लिए किया जाता है।
श्लोक का उच्चारण
ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम्॥
श्लोक का अर्थ
ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं
- उग्रं: यह शब्द भगवान नृसिंह के उग्र रूप को दर्शाता है। यह उग्रता असुरों और अधर्म के प्रति उनकी कड़ी दंडात्मक दृष्टि को दर्शाता है।
- वीरं: भगवान नृसिंह अत्यंत वीर और साहसी हैं। वे बुराई और अधर्म का नाश करने के लिए दृढ़ता से खड़े होते हैं।
- महाविष्णुं: भगवान विष्णु के इस स्वरूप को ‘महाविष्णु’ कहा गया है, क्योंकि वे समस्त ब्रह्मांड के पालनहार और रक्षक हैं।
ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्
- ज्वलन्तं: भगवान नृसिंह की शक्ति और प्रचंडता को यहाँ ‘ज्वलन्तं’ कहा गया है, जो कि अग्नि की तरह हर दिशा में फैलती है।
- सर्वतोमुखम्: भगवान नृसिंह सर्वव्यापी हैं और उनका मुख हर दिशा में है, जिससे वे सम्पूर्ण ब्रह्मांड पर नजर रखते हैं।
नृसिंहं भीषणं भद्रं
- नृसिंहं: भगवान नृसिंह आधे सिंह और आधे मानव के रूप में प्रकट होते हैं। यह अद्वितीय रूप उन्हें सभी अवतारों में विशेष बनाता है।
- भीषणं: भगवान नृसिंह का स्वरूप असुरों और अधर्मियों के लिए भीषण और भयावह है, जिससे वे घबरा जाते हैं।
- भद्रं: भगवान नृसिंह अपने भक्तों के लिए मंगलकारी और कल्याणकारी हैं। वे उनकी सभी बाधाओं को दूर कर उन्हें शांति और सुरक्षा प्रदान करते हैं।
मृत्युमृत्युं नमाम्यहम्
- मृत्युमृत्युं: भगवान नृसिंह ‘मृत्यु के भी मृत्यु’ कहे जाते हैं, अर्थात वे यमराज के भी यमराज हैं। उनका यह स्वरूप सभी प्रकार की मृत्यु से ऊपर है।
- नमाम्यहम्: इस शब्द का अर्थ है ‘मैं नमन करता हूँ।’ इस श्लोक के माध्यम से भक्त भगवान नृसिंह के समक्ष अपनी श्रद्धा और सम्मान प्रकट करते हैं।
श्लोक का महत्व
इस श्लोक का जाप सभी प्रकार की विपत्तियों और बाधाओं से सुरक्षा के लिए किया जाता है। माना जाता है कि इस श्लोक का निरंतर जाप करने से भगवान नृसिंह की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है। विशेषकर, यह श्लोक बुरी आत्माओं और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करता है।
श्लोक का प्रयोग
- नित्य जाप: इस श्लोक का नित्य जाप करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है और जीवन में सकारात्मकता आती है।
- विपत्तियों में: जीवन में जब भी कठिन परिस्थितियाँ हों, इस श्लोक का जाप विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।
- संकटों से रक्षा: यह श्लोक बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा करता है और सकारात्मकता का संचार करता है।
भगवान नृसिंह का परिचय
नृसिंह अवतार की कथा
भगवान नृसिंह विष्णु के दशावतारों में से एक प्रमुख अवतार हैं। यह अवतार विशेष रूप से उनके भक्त प्रह्लाद की रक्षा और अधर्मी राजा हिरण्यकशिपु के संहार के लिए हुआ था। जब हिरण्यकशिपु ने भगवान विष्णु के प्रति अत्यधिक द्वेषपूर्ण व्यवहार और अत्याचार करना शुरू किया, तब भगवान विष्णु ने नृसिंह रूप धारण कर अधर्मी का अंत किया और भक्त प्रह्लाद को संरक्षण दिया।
नृसिंह अवतार का उद्देश्य
- अधर्म का नाश: भगवान नृसिंह ने अधर्मी राजा हिरण्यकशिपु का संहार कर यह संदेश दिया कि जब-जब धरती पर अधर्म बढ़ेगा, तब-तब भगवान धर्म की स्थापना के लिए अवतार लेंगे।
- भक्तों की रक्षा: इस अवतार का मुख्य उद्देश्य भक्त प्रह्लाद की रक्षा करना था, जो हर परिस्थिति में भगवान विष्णु के प्रति अडिग श्रद्धा रखते थे।
नृसिंह का स्वरूप
भगवान नृसिंह का रूप आधे मानव और आधे सिंह का है, जो उन्हें अन्य सभी अवतारों से अलग बनाता है। उनका यह अद्वितीय स्वरूप यह बताता है कि भगवान की शक्ति को किसी भी सीमाओं में नहीं बाँधा जा सकता।
- मानव और सिंह का मेल: उनका मुख सिंह का है और शरीर मानव का। यह उनके उग्र और कृपालु दोनों स्वभाव को दर्शाता है।
- चार भुजाएँ: नृसिंह भगवान की चार भुजाएँ होती हैं, जिनमें वे विभिन्न आयुधों को धारण करते हैं। इन आयुधों का उद्देश्य भक्तों की रक्षा और असुरों का संहार करना है।
- भयानक रूप: उनका भीषण रूप असुरों और अधर्मियों के लिए भयावह है, जबकि भक्तों के लिए यह रूप शुभ और मंगलकारी है।
नृसिंह श्लोक का विशेष महत्व
श्लोक का आध्यात्मिक महत्व
- मन की शांति: यह श्लोक मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यंत प्रभावी है। इसे नियमित रूप से जपने से मन शांत होता है और नकारात्मक विचारों का नाश होता है।
- संकटों से मुक्ति: जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाओं, संकटों और विपत्तियों से मुक्ति पाने के लिए यह श्लोक अत्यंत प्रभावशाली माना गया है।
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी
- तनाव मुक्त जीवन: इस श्लोक का नियमित जाप करने से मन और शरीर में संतुलन बना रहता है, जिससे तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार: यह श्लोक घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और बुरी आत्माओं और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है।
नृसिंह श्लोक का पाठ करने के नियम
श्लोक का जाप कैसे करें?
- स्नान के बाद: इस श्लोक का जाप करने से पहले स्नान करना चाहिए, जिससे शरीर और मन शुद्ध हो जाते हैं।
- शुद्ध आसन पर बैठकर: एक शुद्ध आसन पर बैठकर भगवान नृसिंह का ध्यान करते हुए इस श्लोक का उच्चारण करना चाहिए।
- समय का चयन: इस श्लोक का जाप प्रातःकाल या संध्या के समय करना विशेष फलदायी होता है।
श्लोक का जाप कितनी बार करें?
- नित्य जाप: इस श्लोक का नित्य 108 बार जाप करना अत्यंत फलदायी माना गया है।
- विशेष अवसरों पर: किसी विशेष अवसर या भगवान नृसिंह जयंती पर इस श्लोक का जाप 1008 बार करना अधिक शुभ माना जाता है।
श्लोक जाप के लाभ
- सर्वोत्तम सुरक्षा: यह श्लोक व्यक्ति को सभी प्रकार की बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा प्रदान करता है।
- भय का नाश: भगवान नृसिंह का स्मरण करने से सभी प्रकार के भय और चिंता का नाश होता है।
- मनोकामना पूर्ति: इस श्लोक का नियमित जाप करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
नृसिंह श्लोक के अन्य संदर्भ
नृसिंह श्लोक का प्रभाव
यह श्लोक केवल एक मंत्र नहीं है, बल्कि यह भगवान नृसिंह की शक्ति और अनुकम्पा का प्रतीक है। इसके जाप से भगवान की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली सभी बाधाओं का नाश होता है। भक्तों के प्रति भगवान नृसिंह की अनुकम्पा उनके इस श्लोक के माध्यम से प्रकट होती है।
प्रसिद्ध नृसिंह मंदिर
- अहिल्ला स्तंभ, हरिद्वार: यह मंदिर भगवान नृसिंह को समर्पित है और यहाँ प्रतिवर्ष हजारों भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
- नृसिंह पेरुमल मंदिर, चेन्नई: यह मंदिर भगवान नृसिंह के विभिन्न रूपों को दर्शाता है और यहाँ उनका विशेष पूजन होता है।
- योग नृसिंह मंदिर, आंध्र प्रदेश: यहाँ भगवान नृसिंह की विशाल प्रतिमा स्थापित है और यहाँ भक्त उनके उग्र रूप की पूजा करते हैं।
निष्कर्ष
भगवान नृसिंह का यह श्लोक उनकी उग्रता, वीरता, और सर्वव्यापकता का प्रतीक है। उनका स्मरण करने से जीवन में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं रहती और भक्तों के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का आगमन होता है। नृसिंह भगवान के इस श्लोक का नियमित जाप हमें सभी विपत्तियों से सुरक्षित रखता है और मन को शांति प्रदान करता है। उनकी कृपा से ही हम जीवन में सच्चे अर्थों में धर्म, शांति, और सुख का अनुभव कर सकते हैं।