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नेक आगे आ,
श्याम तोपे रंग डारुं,
नेक आगे आ,
हाँ रे, नेक आगे आ,
हम्बे नेक आगे आ,
श्याम तोपे रंग डाँरू,
नेक आगे आ ॥

रंग डारूँ तोरे अंगन सारुं लाला,
हा वाह रे रसिया,
हाँ वाह रे छैला,
तेरे गालन पर गुलचा मारू,
नेक आगे आ,
श्याम तोपे रंग डाँरू,
नेक आगे आ ॥

टेढ़ी रे टेढ़ी तेरी पगिया,
बाँधूँ लाला,
हा वाह रे रसिया,
हाँ वाह रे छैला,
तेरी पगिया पर फुलरी डारूँ,
नेक आगे आ,
नेक आगे आ,
श्याम तोपे रंग डाँरू,
नेक आगे आ ॥

बृज दूल्हो तू छैल,
अनोखो लाला,
तोपे तन मन धन योवन वारु,
नेक आगे आ,
उमर घटा अंबर में छाई लाला,
तोहे श्याम रंग में रंग डारू,
नेक आगे आ,
श्याम तोपे रंग डाँरू,
नेक आगे आ ॥

श्याम तोपे रंग डाँरू: होली भजन का गहन अर्थ

यह भजन श्रीकृष्ण के प्रति एक भक्त की प्रगाढ़ भक्ति और प्रेम का सजीव चित्रण है। इसे होली के रंगों की पृष्ठभूमि में गाया गया है, जहां भक्त और भगवान के बीच प्रेम और आत्मीयता को रंगों के माध्यम से व्यक्त किया गया है। हर पंक्ति में गहरी भावनाएं, आध्यात्मिक संकेत और प्रतीकात्मकता छिपी हुई है।


श्याम तोपे रंग डाँरू, नेक आगे आ

इस पंक्ति में भक्त श्रीकृष्ण को सीधे संबोधित करते हुए कहते हैं कि वे सामने आएं ताकि उन पर रंग डाला जा सके।

गहरा अर्थ:

  • श्याम तोपे रंग डाँरू: यह केवल होली के रंग डालने की बात नहीं है, बल्कि भक्त का प्रतीकात्मक संदेश है कि वह श्रीकृष्ण को अपने प्रेम और भक्ति के रंग में रंगना चाहता है। रंग डालने का अर्थ भगवान के साथ एकत्व स्थापित करना है।
  • नेक आगे आ: यह एक विनम्र निवेदन है, जिसमें भक्त भगवान से कहते हैं कि वे उनकी भक्ति स्वीकार करें और उनके करीब आएं।

आध्यात्मिक संकेत:

यहाँ रंग जीवन के विभिन्न भावों का प्रतीक है। भक्त चाहता है कि श्रीकृष्ण उसके जीवन के हर पहलू में समाहित हो जाएं और उसे अपनी कृपा से सराबोर करें।


रंग डारूँ तोरे अंगन सारुं लाला

गहरा अर्थ:

  • अंगन सारुं: पूरे शरीर का उल्लेख करते हुए गायक कहता है कि वह श्रीकृष्ण के हर हिस्से को रंगों से रंग देगा। यह केवल बाहरी रंगों की बात नहीं है, बल्कि प्रेम और भक्ति से हर अंग को भर देने की इच्छा है।
  • लाला: श्रीकृष्ण के प्रति सम्मान और वात्सल्य भरा संबोधन।

भावार्थ:

यह दर्शाता है कि भक्त अपने आराध्य को हर रूप में स्वीकार करता है और उन्हें हर रंग में रंगने के लिए तैयार है। यह श्रीकृष्ण की सर्वव्यापकता और पूर्णता का प्रतीक है।


तेरे गालन पर गुलचा मारू

गहरा अर्थ:

  • गालन: गाल, जो सौंदर्य और सौम्यता का प्रतीक है। भक्त भगवान के चेहरे पर गुलाल लगाना चाहता है।
  • गुलचा: गुलाल, जो प्रेम, आनंद और होली के आनंदमय माहौल का प्रतिनिधित्व करता है।

भावार्थ:

गुलाल का रंग श्रीकृष्ण की लीला का प्रतीक है। यह पंक्ति उनके साथ निकटता और अंतरंगता का संकेत देती है। भक्त भगवान को उनके ही सौंदर्य में सजाने की कोशिश करता है, जो उनके प्रति उसकी समर्पित भक्ति को दर्शाता है।


टेढ़ी रे टेढ़ी तेरी पगिया

गहरा अर्थ:

  • टेढ़ी पगिया: यह केवल उनके पहनावे का वर्णन नहीं है, बल्कि श्रीकृष्ण के अनूठे और चंचल व्यक्तित्व का प्रतीक है।
  • बाँधूँ लाला: भक्त उन्हें सजाने की इच्छा व्यक्त करता है।

आध्यात्मिक संकेत:

पगड़ी का झुका हुआ होना बताता है कि श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व पूर्ण रूप से सरल, विनम्र और आकर्षक है। भक्त उन्हें संवारना चाहता है, जो उनकी सेवा और प्रेम का प्रतीक है।


तेरी पगिया पर फुलरी डारूँ

गहरा अर्थ:

  • फुलरी: फूलों की सजावट केवल शारीरिक सौंदर्य को बढ़ाने के लिए नहीं है, बल्कि यह भगवान के प्रति प्रेम और उनकी महिमा का प्रतीक है।

भावार्थ:

यह बताता है कि भक्त केवल बाहरी रूप से नहीं, बल्कि भगवान को आंतरिक रूप से भी अलंकृत करना चाहता है। फूलों का उपयोग उनकी दिव्यता और भव्यता को दर्शाने के लिए किया गया है।


बृज दूल्हो तू छैल, अनोखो लाला

गहरा अर्थ:

  • बृज दूल्हो: श्रीकृष्ण बृज के सबसे आकर्षक और प्रिय व्यक्ति हैं।
  • अनोखो लाला: उनकी अद्वितीयता, उनकी लीलाओं और व्यक्तित्व का गुणगान।

आध्यात्मिक संकेत:

यह भगवान की सर्वश्रेष्ठता को दर्शाता है। भक्त उन्हें बृज का दूल्हा मानकर उनके प्रति अपनी प्रीति व्यक्त करता है। “दूल्हा” शब्द यह भी संकेत करता है कि भक्त स्वयं को भगवान के प्रेम में समर्पित कर रहा है।


तोपे तन मन धन योवन वारु

गहरा अर्थ:

  • तन मन धन योवन: यह पूर्ण समर्पण का संकेत है। भक्त अपने शरीर, मन, धन, और युवावस्था तक को श्रीकृष्ण के चरणों में अर्पित करता है।

आध्यात्मिक संकेत:

यह आत्म-समर्पण का प्रतीक है, जिसमें भक्त अपनी सभी इच्छाओं और सांसारिक बंधनों को त्याग कर भगवान को समर्पित करता है।


उमर घटा अंबर में छाई लाला

गहरा अर्थ:

  • उमर घटा: उमड़ते बादल श्रीकृष्ण के गहरे रंग का प्रतीक हैं।
  • अंबर में छाई: यह उनकी महिमा और सर्वव्यापकता को दर्शाता है।

भावार्थ:

यह भगवान की अनंतता और प्रकृति के साथ उनके जुड़ाव को दर्शाता है। बादल उनके गहरे रंग का प्रतिबिंब हैं और यह दर्शाते हैं कि भगवान हर जगह हैं।


तोहे श्याम रंग में रंग डारू

गहरा अर्थ:

  • श्याम रंग: यह श्रीकृष्ण के रंग और उनके प्रति भक्त के प्रेम का प्रतीक है।
  • रंग डारू: यह रंग केवल बाहरी रंग नहीं है, बल्कि भक्ति, प्रेम और आध्यात्मिकता का रंग है।

आध्यात्मिक संकेत:

यह भक्त की भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण और भगवान के साथ एकात्मता की इच्छा का प्रतीक है। यह रंग दोनों को जोड़ने का माध्यम है।


समग्र भजन का संदेश

यह भजन श्रीकृष्ण और भक्त के बीच के संबंध को होली के उत्सव के माध्यम से चित्रित करता है।

  1. रंग: केवल होली का प्रतीक नहीं, बल्कि प्रेम, भक्ति और आत्मिक संबंध का प्रतीक है।
  2. संपूर्ण समर्पण: भक्त अपने तन, मन, धन और सभी सांसारिक इच्छाओं को भगवान के चरणों में अर्पित कर देता है।
  3. भगवान के गुणों का गुणगान: श्रीकृष्ण की अनूठी छवि और उनके दिव्य गुणों की सराहना करता है।
  4. एकत्व: यह भजन भगवान और भक्त के बीच की दूरी को समाप्त करने और उन्हें एकता में बांधने का प्रयास है।

भजन हमें यह संदेश देता है कि भगवान के साथ प्रेम और भक्ति का संबंध बनाने के लिए हमें अपने अंदर की सीमाओं को तोड़ना होगा और उनकी दिव्यता को अपनाना होगा।

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