भजन

सवारिये ने भूलूं न एक घडी भजन: Sanwariye Ne Bhule Naa Ek Ghadi

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पूरन ब्रह्म पूरन ज्ञान
है घाट माई, सो आयो रहा आनन्द
और सुनी मुनि जन, पढ़त वेद शास्त्र अंग
मारी जनम गोकुल मे घटे
मिटत सब दुःख दुःख
आज को आनंद आनंद आनंद
आज ही आनंद आनंद आनंद
मथुरा नगर मे, जनम पायो
हो मथुरा नगर मे, जनम पायो
हो खेलत खेले गोकुल री गली
सवारिये ने भूलूं न एक घडी
हो भूलूं न एक घडी, सवारिये भूलूं न एक घडी…

हो खेले गोकुल पूरी गली
सावरिये ने भूलूं न एक घडी
कृषण जी को भूलूं न एक घडी
हो भूलूं न एक घडी, सवारिये भूलूं न एक घडी..

मात यशोदा पालन हीडोले
हाथ मे रेशम री छड़ी
सावरिये ने भूलूं ने एक घडी
कृषण (कृष्णा) जी को भूलूं न एक घडी

कानु (कृष्णा) मारे जीव री झड़ी
सावरिये ने भूलूं ने एक घडी
कृषण जी को भूलूं न एक घडी

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मात यशोदा दहिड़ो बिलोवे
हो हाथ में माखन री डली
सावरिये ने भूलूं ने एक घडी
कृषण जी को भूलूं न एक घडी

मीरा के प्रभु गिरधर नागर
हो खोजो खोजो खबर बड़ी
बालुड़े ने भूलूं न एक घडी
कानु (कृष्णा) मारे जीव री झड़ी
सावरिये ने भूलूं ने एक घडी
कृषण जी को भूलूं न एक घडी

सवारिये ने भूलूं न एक घडी: भजन का सम्पूर्ण अर्थ

भजन का परिचय

“सवारिये ने भूलूं न एक घडी” एक भक्तिमय भजन है जो भगवान श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम, भक्ति और उनके दिव्य रूप के स्मरण को अभिव्यक्त करता है। इसमें भक्त अपनी आत्मा से श्रीकृष्ण को हर घड़ी याद रखने का संकल्प लेता है और उनसे जुड़ी लीलाओं का वर्णन करता है। इस भजन में गोकुल, मथुरा, यशोदा माता और कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए, भक्ति और प्रेम की गहराई को दर्शाया गया है।


पूरन ब्रह्म पूरन ज्ञान

अर्थ:
इस पंक्ति में श्रीकृष्ण को ‘पूर्ण ब्रह्म’ और ‘पूर्ण ज्ञान’ के रूप में वर्णित किया गया है। वे सम्पूर्ण ब्रह्मांड के सार और सभी ज्ञान का आधार हैं। उनके स्मरण से आत्मिक आनंद और शांति का अनुभव होता है।

है घाट माई, सो आयो रहा आनन्द

अर्थ:
यह पंक्ति दर्शाती है कि श्रीकृष्ण के प्रेम में खोने वाला भक्त आनंदित हो जाता है। जैसे कोई नदी अपने घाट पर आती है, वैसे ही श्रीकृष्ण का स्मरण भक्त के मन को शांति और सुख से भर देता है।

और सुनी मुनि जन, पढ़त वेद शास्त्र अंग

अर्थ:
यहां बताया गया है कि मुनि, वेद और शास्त्रों का अध्ययन करते हुए श्रीकृष्ण की महिमा को समझने का प्रयास करते हैं। उनके ज्ञान का अध्ययन करते हुए ज्ञानी और संतजन भी उनकी महिमा में रमे रहते हैं।

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मारी जनम गोकुल में घटे

अर्थ:
भक्त यह प्रार्थना करता है कि उसका अगला जन्म गोकुल में हो, ताकि वह श्रीकृष्ण की लीलाओं के साक्षी बन सके। गोकुल, कृष्ण की बाल लीलाओं का स्थल है और इसे आध्यात्मिक रूप से अत्यंत पवित्र माना जाता है।


श्रीकृष्ण का बाल स्वरूप

मिटत सब दुःख दुःख, आज का आनंद आनंद आनंद

अर्थ:
इस पंक्ति में भक्त अपने दुःखों का अंत श्रीकृष्ण की भक्ति में मानता है। वह श्रीकृष्ण के दर्शन में सच्चा आनंद और सुख पाता है।

मथुरा नगर में जनम पायो

अर्थ:
श्रीकृष्ण के मथुरा में जन्म लेने का वर्णन किया गया है। मथुरा वह स्थान है जहां श्रीकृष्ण का अवतार हुआ, जो कि भक्तों के लिए विशेष आध्यात्मिक महत्व रखता है।


श्रीकृष्ण की गोकुल लीलाएं

खेलत खेले गोकुल री गली

अर्थ:
यह पंक्ति श्रीकृष्ण की गोकुल में बाल लीलाओं का वर्णन करती है। वे गोकुल की गलियों में खेलते हुए, अपने दिव्य स्वरूप को सहज और सरल रूप में प्रस्तुत करते हैं। उनके इस भोलेपन और मासूमियत में भक्त आनंदित होता है।

सवारिये ने भूलूं न एक घडी

अर्थ:
भक्त इस पंक्ति में वचन लेता है कि वह श्रीकृष्ण को एक पल भी भूलना नहीं चाहता। श्रीकृष्ण के प्रति उसकी गहरी भक्ति और समर्पण का प्रतीक है यह संकल्प।


यशोदा माता का वात्सल्य

मात यशोदा पालन हीडोले, हाथ में रेशम री छड़ी

अर्थ:
इस पंक्ति में यशोदा माता के वात्सल्य भाव का चित्रण है। वे श्रीकृष्ण को झूले में पालने का आनंद उठाती हैं और हाथ में रेशम की छड़ी लिए उन्हें झुलाती हैं। यह वात्सल्य और ममता का प्रतीक है।

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कानु मारे जीव री झड़ी

अर्थ:
श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम की गहराई को दर्शाने वाली यह पंक्ति है। भक्त को ऐसा लगता है जैसे श्रीकृष्ण उसके प्राणों का कारण हैं, उनके बिना उसका जीवन अधूरा है।


माखनचोरी की लीला

मात यशोदा दहिड़ो बिलोवे, हाथ में माखन री डली

अर्थ:
यशोदा माता श्रीकृष्ण के लिए माखन मथती हैं और उनके प्रति अपनी ममता व्यक्त करती हैं। श्रीकृष्ण की माखन चोरी की लीला को इस पंक्ति में दर्शाया गया है, जो उनकी बाल सुलभ चंचलता को व्यक्त करता है।


मीरा के प्रभु गिरधर नागर

खोजो खोजो खबर बड़ी, बालुड़े ने भूलूं न एक घडी

अर्थ:
यहां भक्त, मीरा की तरह श्रीकृष्ण को अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण स्थान देने का संकल्प करता है। जैसे मीरा ने अपने प्रभु गिरधर को ढूंढा, वैसे ही भक्त भी श्रीकृष्ण के प्रति अपने प्रेम और भक्ति को सर्वोपरि मानता है।


निष्कर्ष

“सवारिये ने भूलूं न एक घडी” भजन में श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम, भक्ति और उनकी लीलाओं का अनोखा वर्णन है। हर पंक्ति में उनके दिव्य स्वरूप, उनकी बाल लीलाओं और भक्त के संकल्प का सुंदर समावेश है। यह भजन हमें अपने जीवन में श्रीकृष्ण को हर क्षण याद रखने और उनके चरणों में सम्पूर्ण प्रेम समर्पण की प्रेरणा देता है।

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