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अरा रा रा रा रा रा रा ….
अरा रा रा रा भर पिचकारी मारी है फाग मचायो श्याम,
अरा रा रा रा भर पिचकारी मारी है फाग मचायो श्या,
फाग मचायो श्याम सखी री फाग मचायो श्याम,
फाग मचायो श्याम सखी री फाग मचायो श्याम,
अरा रा रा रा भर पिचकारी मारी है फाग मचायो श्याम ॥

बरसाने की गली रंगीली ,
लठ लायी सखी छेल छबिली,
संग ठाडी संग ठाडी संग ठाडी,
भानु दुलारी है,
फाग मचायो श्याम,
अरा रा रा रा भर पिचकारी मारी है फाग मचायो श्याम,
फाग मचायो श्याम सखी री फाग मचायो श्याम,
अरा रा रा रा भर पिचकारी मारी है फाग मचायो श्याम ॥

कान्हा संग ग्वालो की टोली ,
अबीर गुलाल से भरके झोली,
ओ रंग कीनी रंग कीनी रंग कीनी,
सब ब्रज नारी है,
फाग मचायो श्याम,
अरा रा रा रा भर पिचकारी मारी है फाग मचायो श्याम,
फाग मचायो श्याम सखी री फाग मचायो श्याम,
अरा रा रा रा भर पिचकारी मारी है फाग मचायो श्याम ॥

भीगे लेहंगा चूनर साड़ी ,
मिल सखियन ने ले लठ मारी,
ओ ढ़ाल ग्वालो ने ढ़ाल ग्वालो ने ढ़ाल ग्वालो ने,
सिर पे धारी है,
फाग मचायो श्याम,
अरा रा रा रा भर पिचकारी मारी है फाग मचायो श्याम,
फाग मचायो श्याम सखी री फाग मचायो श्याम,
अरा रा रा रा भर पिचकारी मारी है फाग मचायो श्याम ॥

पागल दिवाने ग्वाले सारे ,
बरसाने की सखियन सो हारे,
वो पाली वो पाली वो पाली,
देवे गारी है,
फाग मचायो श्याम,
अरा रा रा रा भर पिचकारी मारी है फाग मचायो श्याम,
फाग मचायो श्याम सखी री फाग मचायो श्याम,
अरा रा रा रा भर पिचकारी मारी है फाग मचायो श्याम ॥

फाग मचायो श्याम सखी री फाग मचायो श्याम,
अरा रा रा रा भर पिचकारी मारी है फाग मचायो श्याम ॥

भर पिचकारी मारी है फाग मचायो श्याम: गहराई से विश्लेषण और विस्तृत अर्थ

परिचय

यह होली भजन केवल कृष्ण के खेल और उल्लास का वर्णन नहीं करता, बल्कि इसमें उनके दिव्य प्रेम, आध्यात्मिक संदेश और ब्रज की होली की परंपरा को गहराई से दर्शाया गया है। भजन में वर्णित प्रतीकात्मकता कृष्ण और राधा के प्रेम के साथ-साथ जीवन के गहन अर्थ को भी व्यक्त करती है। आइए, इस भजन की प्रत्येक पंक्ति का विस्तार से अध्ययन करें।


“अरा रा रा रा भर पिचकारी मारी है फाग मचायो श्याम”

गहराई से विश्लेषण:

“भर पिचकारी मारी है” का तात्पर्य केवल रंग से भरी पिचकारी से नहीं है, बल्कि यह कृष्ण के प्रेम और आनंद से भरे व्यक्तित्व को दर्शाता है। उनके रंग में रंगना भक्तों के जीवन को पूर्णता और आनंद से भरने का प्रतीक है।

फाग मचायो श्याम एक अलंकारिक वाक्य है जो इस बात की ओर इशारा करता है कि कृष्ण ने ब्रज की प्रत्येक आत्मा को अपनी मधुरता, शरारत और दिव्यता से भर दिया है। यह पंक्ति आध्यात्मिक रूप से जीवन के सभी रंगों को अपनाने की प्रेरणा देती है।


“बरसाने की गली रंगीली, लठ लायी सखी छेल छबिली”

गहराई से विश्लेषण:

बरसाना की गलीयां केवल एक भौगोलिक स्थान नहीं हैं; ये प्रेम, भक्ति और राधा-कृष्ण के दिव्य संबंध का प्रतीक हैं। “गली रंगीली” का तात्पर्य है कि यह स्थान कृष्ण और राधा के प्रेम से सराबोर है।

  • लठ लायी सखी छेल छबिली: लठ लाना राधा और सखियों की होली में उनके सामर्थ्य और स्त्री शक्ति का प्रतीक है। यह केवल एक खेल नहीं, बल्कि ब्रह्म और माया का मिलन है, जहां माया (राधा) ब्रह्म (कृष्ण) को चुनौती देती है।

“संग ठाड़ी भानु दुलारी है”

गहराई से विश्लेषण:

भानु दुलारी (राधा) केवल एक व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि शुद्ध प्रेम और भक्ति की मूर्ति हैं। उनका कृष्ण के साथ खड़े रहना यह दर्शाता है कि प्रेम केवल आनंद और उल्लास नहीं, बल्कि सह-अस्तित्व और संतुलन है। राधा और सखियां इस संतुलन को बनाए रखने का प्रतीक हैं।


“कान्हा संग ग्वालों की टोली, अबीर गुलाल से भरके झोली”

गहराई से विश्लेषण:

कान्हा और उनकी टोली ब्रह्मांडीय आनंद और सौंदर्य का प्रतीक है। उनके पास जो “अबीर-गुलाल” है, वह सांसारिक रंगों से अधिक प्रेम, करुणा और आशीर्वाद का प्रतीक है।

  • अबीर गुलाल से भरके झोली यह दिखाता है कि कृष्ण अपने भक्तों को देने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। यह भक्ति का ऐसा उपहार है, जो जीवन को रंगीन और सार्थक बनाता है।

“रंग कीनी सब ब्रज नारी है”

गहराई से विश्लेषण:

यह पंक्ति गहरी आध्यात्मिकता से भरी है। “सब ब्रज नारी” केवल स्त्रियां नहीं, बल्कि ब्रज की सभी आत्माएं हैं। रंग कीनी का अर्थ है कि वे सभी कृष्ण के प्रेम और उनकी दिव्यता में रंग गईं। यह आत्मा का परमात्मा में विलीन होने का प्रतीक है।


“भीगे लेहंगा चूनर साड़ी, मिल सखियन ने ले लठ मारी”

गहराई से विश्लेषण:

भीगे लेहंगा और चूनर का अर्थ है कि भौतिक अस्तित्व कृष्ण के प्रेम और कृपा से सराबोर हो चुका है। यह जीवन के उस पल को दर्शाता है जब कोई भक्त अपनी सभी इच्छाओं और सांसारिक बंधनों को त्याग कर ईश्वर के प्रेम में डूब जाता है।

  • मिल सखियन ने लठ मारी: यह खेल और शरारत के माध्यम से बताता है कि भक्ति का मार्ग केवल अनुशासन और तपस्या नहीं है। इसमें उत्सव और आनंद का भी स्थान है। लठ मारने की क्रिया भगवान से जुड़ने के लिए हमारी आत्मा की सक्रियता का प्रतीक है।

“ढ़ाल ग्वालों ने सिर पे धारी है”

गहराई से विश्लेषण:

ढ़ाल ग्वालों ने सिर पे धारी इस बात को इंगित करता है कि कृष्ण के मित्र (ग्वाले) हर स्थिति में उनकी रक्षा करते हैं। ढाल केवल रक्षात्मक नहीं, बल्कि संतुलन और जागरूकता का प्रतीक है। यह यह भी बताता है कि प्रेम में चुनौतियां होती हैं, लेकिन जो इन्हें सहर्ष स्वीकार करता है, वह विजय प्राप्त करता है।


“पागल दिवाने ग्वाले सारे, बरसाने की सखियन सो हारे”

गहराई से विश्लेषण:

यह पंक्ति कृष्ण और उनकी टोली की मस्ती और ऊर्जा को दर्शाती है।

  • पागल दिवाने ग्वाले सारे: यह पंक्ति कृष्ण के प्रेम में खोए हुए उनके ग्वालों को दिखाती है। यह संदेश देती है कि सच्चा प्रेम और भक्ति इंसान को बाहरी दुनिया के बंधनों से मुक्त कर देती है।
  • बरसाने की सखियन सो हारे: प्रेम का खेल ऐसा है कि हार-जीत का कोई अर्थ नहीं। यहां हारने वाला भी जीतता है क्योंकि यह प्रेम का खेल है, जहां दोनों पक्ष आनंद में डूब जाते हैं।

“वो पाली देवे गारी है”

गहराई से विश्लेषण:

“गारी” यानी चंचल गालियां केवल शब्द नहीं हैं; यह प्रेम और शरारत का माध्यम हैं। यह कृष्ण-राधा की उस आत्मीयता को दर्शाता है, जहां शब्दों का उपयोग भी प्रेम की अभिव्यक्ति के लिए होता है।


आध्यात्मिक दृष्टिकोण: फाग मचायो श्याम

इस भजन के माध्यम से हमें यह सिखाया जाता है कि होली केवल रंगों का त्योहार नहीं है, बल्कि प्रेम, उल्लास और आत्मा के परमात्मा से मिलन का प्रतीक है।

  • कृष्ण का रंग: यह केवल बाहरी रंग नहीं है, बल्कि वह आत्मा का रंग है, जो जीवन के प्रत्येक पहलू को सुंदर और दिव्य बना देता है।
  • राधा का प्रेम: यह प्रेम में संतुलन और समर्पण का संदेश देता है।
  • सखियों की मस्ती: यह जीवन में आनंद और उत्सव का प्रतीक है, जो हर क्षण को मूल्यवान बनाता है।

निष्कर्ष

“भर पिचकारी मारी है फाग मचायो श्याम” केवल एक भजन नहीं, बल्कि जीवन और भक्ति का मार्गदर्शन है। इसमें कृष्ण का खेल, उनकी दिव्यता और राधा के प्रेम का गहरा अर्थ छुपा हुआ है। यह भजन हमें सिखाता है कि जीवन को प्रेम, भक्ति और आनंद के रंग में रंगने से ही इसका वास्तविक आनंद लिया जा सकता है।

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