- – श्री राम का भाई लक्ष्मण मूर्छित हो गया है, जिससे श्री राम अत्यंत व्याकुल और दुखी हैं।
- – लक्ष्मण के बिना अवध में श्री राम की स्थिति चिंताजनक है, और वे अपनी माता सुमित्रा को क्या बताएंगे, यह सोचकर वे परेशान हैं।
- – हनुमान, जो पवन पुत्र और श्री राम के प्रिय सेवक हैं, लक्ष्मण को मरने नहीं देंगे और संजीवन बूटी लेकर आएंगे।
- – हनुमान ने पर्वत लेकर संजीवन बूटी लाकर लक्ष्मण को जीवित किया, जिससे श्री राम की आंखों में आंसू आ गए और वे हनुमान को गले लगाकर आभार व्यक्त किए।
- – श्री राम ने हनुमान को अपना वरदान दिया कि उनका नाम युग-युग तक जग में प्रसिद्ध रहेगा और उनका झंडा लहराएगा।
बोले श्री राम बिलख के,
मूर्छित मेरा भाई है।
श्लोक– देखिये किस्मत का खेला,
व्याकुल है श्री राम,
संजीवन ला दे मुझे,
हे पवन पुत्र हनुमान।
बोले श्री राम बिलख के,
मूर्छित मेरा भाई है,
विपदा की रात उमड़ के,
सिर पे मेरे छाई है,
लक्ष्मण के बिना अवध में,
कैसे अब जाऊंगा,
पूछेगी मात सुमित्रा,
तो क्या मैं बतलाऊँगा।।
बोले तब वीर पवनसुत,
रघुकुल रघुराई को,
मरने ना दूंगा मैं प्रभु,
लक्ष्मण बलदायी को,
तेरा बस एक इशारा,
रघुवर पा जाऊंगा,
पलभर में काल बलि को,
कच्चा खा जाऊंगा।।
बोले रघुनाथ तू हनुमत,
तू प्राणो से प्यारा है,
संकट से हरदम हमको,
तुमने उबारा है,
तेरा उपकार भला मैं,
कैसे भुलऊँगा,
तुमसा हितकारी सेवक,
और कहाँ पाउँगा।।
आज्ञा दो नाथ संजीवन,
लेने मैं जाऊंगा,
सूरज उगने से पहले,
बूटी ले आऊंगा,
आज्ञा दी राम ने बजरंग,
पर्वत ले आए है,
बूटी पीला के ‘शर्मा’
लक्ष्मण जीलाये है।।
रघुवर के नैनो में तब,
भर आया पानी है,
हनुमत को गले लगाकर,
बोले यूँ बाणी है,
मेरा वरदान है हनुमत,
खाली ना जाएगा,
युग युग तेरे नाम का झंडा,
जग में लहराएगा।।