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जया एकादशी व्रत के कुछ लाभ:

  • जन्म-जन्मांतरों के पापों से मुक्ति
  • मोक्ष की प्राप्ति
  • भगवान विष्णु की कृपा
  • मनोकामनाओं की पूर्ति
  • सुख-समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति

Jaya Ekadashi 2024 Katha

कथा:

भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को जया एकादशी व्रत के महत्व के बारे में बताया था:

एक बार, मलयवन नामक एक ऋषि थे। उनके पुत्र का नाम पुष्यवती था। पुष्यवती बहुत सुंदर थी और गंधर्वों की अप्सरा थी। एक बार पुष्यवती अपने पिता के साथ कैलाश पर्वत पर गई थी। वहां उसने देवराज इंद्र को नृत्य करते हुए देखा। वह इंद्र के नृत्य से मोहित हो गई और उसके प्रेम में पड़ गई। इंद्र भी उसके सौंदर्य से मोहित हो गया और उसने उससे विवाह कर लिया।

कुछ समय बाद, पुष्यवती गर्भवती हो गई। उसने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम माल्यवान रखा गया। माल्यवान भी अपनी माँ की तरह बहुत सुंदर था। जब वह बड़ा हुआ तो वह भी अप्सराओं के साथ नृत्य करने लगा। एक बार जब वह नृत्य कर रहा था तो उसकी नजर एक अप्सरा पर पड़ी। वह उस अप्सरा के प्रेम में पड़ गया और उससे विवाह कर लिया।

माल्यवान और पुष्यवती दोनों बहुत सुखी थे। वे अपने पति और पिता के साथ स्वर्ग में रहते थे। लेकिन एक दिन उन्होंने एक गलती कर दी। वे एक दूसरे के साथ नृत्य करने लगे। यह देखकर देवराज इंद्र क्रोधित हो गए और उन्होंने दोनों को स्वर्ग से निष्कासित कर दिया।

माल्यवान और पुष्यवती बहुत दुखी हुए। वे धरती पर आ गए और भगवान विष्णु की आराधना करने लगे। उन्होंने कई वर्षों तक भगवान विष्णु की कठोर तपस्या की। भगवान विष्णु उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन दिए।

भगवान विष्णु ने उन्हें वरदान दिया कि वे फिर से स्वर्ग में जा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हर वर्ष माघ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को जो व्यक्ति जया एकादशी का व्रत रखेगा उसे भी उनके जन्म-जन्मांतरों के पापों से मुक्ति मिल जाएगी।

यह सुनकर, माल्यवान और पुष्यवती बहुत खुश हुए। उन्होंने जया एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु की पूजा की। भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें पुनः स्वर्ग में स्थान प्राप्त हुआ।

जया एकादशी व्रत के महत्व को समझने के लिए यह कथा बहुत महत्वपूर्ण है। यह कथा हमें सिखाती है कि यदि हम भगवान विष्णु की भक्ति करते हैं और जया एकादशी का व्रत रखते हैं तो हमें हमारे सभी पापों से मुक्ति मिल सकती है और हमें मोक्ष प्राप्त हो सकता है।

इस कथा से हमें शिक्षा मिलती है कि:

  1. भगवान विष्णु की भक्ति करने से हमें हमारे सभी पापों से मुक्ति मिल सकती है।
  2. जया एकादशी का व्रत रखने से हमें भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
  3. मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए जया एकादशी का व्रत बहुत फलदायी होता है।

जया एकादशी व्रत की विधि:

  1. दशमी तिथि को सूर्यास्त के बाद भोजन करें और एकादशी तिथि को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  2. स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु का पूजन करें।
  3. व्रत का संकल्प लें और दिन भर उपवास रखें।
  4. भगवान विष्णु के नाम का जप करें और भजन गाएं।
  5. रात्रि में भगवान विष्णु की आरती करें और द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद भोजन करें।

यह भी ध्यान रखें:

  1. एकादशी तिथि को दान-पुण्य करना बहुत फलदायी होता है।
  2. इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना और उन्हें दान देना चाहिए।
  3. झूठ बोलना, चोरी करना, क्रोध करना, और किसी की बुराई करना आदि पापों से बचना चाहिए।

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