श्रावण पुत्रदा एकादशी के फल
पुत्र प्राप्ति:
- यह व्रत पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखने वालों के लिए विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
- मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पुत्र प्राप्ति की संभावना बढ़ जाती है।
पापों का नाश:
- इस व्रत को रखने से अनजाने में किए गए पापों का नाश होता है।
- यह व्रत व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति की ओर अग्रसर करता है।
सुख-समृद्धि:
- इस व्रत को रखने से जीवन में सुख-समृद्धि और आनंद की प्राप्ति होती है।
- भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति के जीवन में सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।
मन की शांति:
- यह व्रत मन को शांति प्रदान करता है और नकारात्मक विचारों को दूर करता है।
- व्रत रखने से व्यक्ति को एकाग्रता और आत्मबल प्राप्त होता है।
इच्छाओं की पूर्ति:
- इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत का महत्त्व
श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत अत्यंत फलदायी माना जाता है। इसका महत्व अनेक प्रकार से समझा जा सकता है:
धार्मिक दृष्टिकोण:
- पुत्र प्राप्ति: यह एकादशी विशेष रूप से पुत्र प्राप्ति के लिए फलदायी मानी जाती है। इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से निःसंतान दंपतियों को पुत्र प्राप्ति की संभावना बढ़ जाती है।
- पापों का नाश: यह एकादशी पापों के नाश के लिए भी अत्यंत फलदायी मानी जाती है। इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है।
- मोक्ष की प्राप्ति: श्रावण पुत्रदा एकादशी को मोक्ष प्राप्ति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: श्रावण पुत्रदा एकादशी को मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण:
- श्रावण मास: श्रावण मास भगवान शिव का प्रिय मास होता है। इस मास में व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने से भी विशेष फल प्राप्त होते हैं।
- एकादशी तिथि: एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस तिथि में व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।
सामाजिक दृष्टिकोण:
- दान-पुण्य: श्रावण पुत्रदा एकादशी के दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। इस दिन दान-पुण्य करने से मनुष्य को पुण्य प्राप्त होता है और उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ती है।
- आत्म-संयम: व्रत रखने से मनुष्य में आत्म-संयम की भावना विकसित होती है। यह मनुष्य को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में भी मदद करता है।
श्रावण पुत्रदा एकादशी कथा
प्राचीन काल में महिरूपति नगरी में महीति नामक एक राजा था। धार्मिक ग्रंथों और पुरानी मान्यताओं के अनुसार, वह एक धर्मात्मा शासक था और स्वभाव में बहुत शांत, बुद्धिमान और उदार था। हालाँकि उसके पास सब कुछ था, फिर भी राजा के कोई संतान नहीं थी। संतान न होने के कारण वह बहुत दुखी रहता था। एक दिन, राजा ने अपने राज्य के सभी ऋषियों, मुनियों, संन्यासियों और विद्वानों को बुलाया और उनसे संतान प्राप्ति के उपाय पूछे। राजा की बात सुनकर सभी ने कहा, “हे राजन! आपने अपने पिछले जन्म में सावन माह की एकादशी के दिन अपने तालाब से एक गाय को पानी नहीं पीने दिया था। इससे नाराज होकर गाय ने आपको संतानहीन होने का श्राप दिया था।
यही कारण है कि आप अब तक संतान सुख से वंचित हैं।” इसके बाद, सभी ऋषि-मुनियों ने कहा, “हे राजन! अगर आप और आपकी पत्नी पुत्रदा एकादशी का व्रत रखें तो इस श्राप से मुक्ति पा सकते हैं। इसके बाद आपके घर में बच्चे की किलकारियाँ गूंज सकती हैं।” यह सुनकर राजा ने कहा, “मैं अपनी पत्नी के साथ अवश्य पुत्रदा एकादशी का व्रत करूँगा।”
फिर राजा ने सावन माह में आने वाली पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा और इस व्रत के प्रभाव से वह श्राप से मुक्त हो गया। बाद में उसकी पत्नी गर्भवती हुई और एक प्रतिभाशाली पुत्र को जन्म दिया। राजा बहुत प्रसन्न हुआ और तब से वह हर साल पुत्रदा एकादशी का व्रत करने लगा। कहा जाता है कि जो व्यक्ति पूरे मन और भक्ति से यह व्रत करता है, भगवान विष्णु उसकी सभी इच्छाएँ पूरी करते हैं।
श्रावण पुत्रदा एकादशी पूजाविधि
सामग्री:
- भगवान विष्णु की मूर्ति
- घी का दीपक
- तुलसी
- फल-फूल
- तिल
- जल
- पंचामृत
- चंदन
- धूप
- दीप
- कपूर
- नैवेद्य
- दान-दक्षिणा
पूजा विधि:
- दसमी तिथि को सूर्यास्त से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- एकादशी तिथि को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और पूजा स्थान को साफ करें।
- भगवान विष्णु की मूर्ति को स्थापित करें और उन्हें स्नान कराएं।
- पंचामृत से स्नान कराएं और चंदन, धूप, दीप, कपूर से आरती करें।
- भगवान विष्णु को फल-फूल, तुलसी, तिल, नैवेद्य अर्पित करें।
- एकादशी व्रत की कथा पढ़ें और भगवान विष्णु से संतान प्राप्ति की प्रार्थना करें।
- रात में भगवान विष्णु के नाम का जाप करें और भजन गाएं।
- द्वादशी तिथि को सूर्योदय से पहले स्नान कर ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और दान-दक्षिणा दें।
- इसके बाद स्वयं भोजन करें।