- – यह गीत माताजी की महिमा और उनके सोने के झांझर की प्रशंसा करता है, जो उनकी पवित्रता और शक्ति का प्रतीक है।
- – गीत में माताजी के विभिन्न आभूषणों जैसे पगा, पायल, चुड़ैल, और कमर कणगति का वर्णन है, जो उनकी सुंदरता और गरिमा को दर्शाते हैं।
- – गीत में माताजी की ऊँची पहाड़ी पर चढ़ाई और उनके धाम के बारे में बताया गया है, जो उनकी पवित्रता और प्रतिष्ठा को दर्शाता है।
- – गीत में माताजी की मंडली की महिमा गाई गई है और उनके गुणों की प्रशंसा की गई है।
- – यह गीत चेतन जी सैनी सुल्तानपुर वाले द्वारा गाया गया है और रामस्वरूप लववंशी द्वारा प्रेषित किया गया है।

थारे पगा तो उबाणी,
आऊँ म्हारी माँ,
ये सोना रा झांझर बाजणा,
ये मैया सोना रा झांझर बाजणा।।
ओ थारा माता पे टिकलो,
ल्याई म्हारी माँ २,
सोना रा झांझर बाजणा,
मैया सोना रा झांझर बाजणा।।
ओ थारा पगा में पायल,
ल्याई म्हारी माँ २,
मैया सोना रा झांझर बाजणा।।
ओ थारा ऊँचा डूंगर पर,
आई म्हारी माँ २,
पैड़ियाँ की चढाई,
ऊँची पड़े म्हारी माँ,
मैया सोना रा झांझर बाजणा।।
बरवाड़ा नगरी में म्हारी,
माताजी को धाम है,
ओ थारा माता पे टिकलो,
ल्याई म्हारी माँ,
सोना रा झांझर बाजणा।।
थारा हाथां में चुडलो,
ल्याऊं म्हारी माँ २,
सोना रा झांझर बाजणा।।
ओ थारे कमर कणगति,
ल्याई म्हारी माँ २,
सोना रा झांझर बाजणा।।
ओ थारी मंडली में,
महिमा गाऊँ म्हारी माँ २,
थारे चेतन सैनी गुण,
गावे म्हारी माँ २,
शेर की सवारी प्यारी,
लागे म्हारी माँ।।
ओह थारे सोना रा झांझर,
बाजे म्हारी माँ २,
दुरां रा आवे थारे जातरी,
मैया दुरां रा आवे थारे जातरी,
ये मैया सोना रा झांझर बाजणा।।
थारे पगा तो उबाणी,
आऊँ म्हारी माँ,
ये सोना रा झांझर बाजणा,
ये मैया सोना रा झांझर बाजणा।।
सिंगर – चेतन जी सैनी सुल्तानपुर वाले।
प्रेषक – रामस्वरूप लववंशी
