धर्म दर्शन वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें Join Now

शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा in Hindi/Sanskrit

कथा का प्रारंभ:

एक बार की बात है, सुकेतुमान नाम का एक राजा था। वह एक महान राजा थे, लेकिन उन्हें संतान प्राप्ति का दुःख था। उन्होंने कई यज्ञ और व्रत किए, लेकिन उन्हें पुत्र प्राप्ति नहीं हुई।

एक ऋषि का आशीर्वाद:

एक दिन, राजा सुकेतुमान एक ऋषि के पास गए और उनसे पुत्र प्राप्ति का उपाय पूछा। ऋषि ने उन्हें पुत्रदा एकादशी का व्रत करने का आदेश दिया। ऋषि ने कहा कि यह व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करता है और वे राजा को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद देंगे।

व्रत का पालन:

राजा सुकेतुमान ने बड़ी श्रद्धा के साथ पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा। उन्होंने दशमी तिथि को स्नान करके भगवान विष्णु का पूजन किया और व्रत का संकल्प लिया। एकादशी तिथि को उन्होंने उपवास रखा, भगवान विष्णु का पूजन किया और रात्रि जागरण किया।

भगवान विष्णु का आशीर्वाद:

द्वादशी तिथि को राजा सुकेतुमान ने स्नान करके भगवान विष्णु का पूजन किया और उनसे पुत्र प्राप्ति की प्रार्थना की। भगवान विष्णु उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हें पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया।

कथा का फल:

कुछ समय बाद, रानी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया। राजा सुकेतुमान और रानी बहुत खुश हुए। उन्होंने भगवान विष्णु का धन्यवाद किया।

पुत्रदा एकादशी व्रत का महत्व:

यह व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करता है और वे भक्तों को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं। यह व्रत पापों का नाश भी करता है और मोक्ष प्रदान करता है।

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा Video

Pausha Putrada Ekadashi 2025 Katha in English

The Beginning of the Story

Once upon a time, there was a king named Suketuman. He was a great king, but he suffered from the sorrow of being childless. Despite performing numerous rituals and fasts, he was unable to have a son.

A Sage’s Blessing

One day, King Suketuman approached a sage and asked for a way to obtain a son. The sage advised him to observe the Putrada Ekadashi fast. The sage explained that this fast pleases Lord Vishnu, who would bless the king with a son.

Observing the Fast

With deep devotion, King Suketuman observed the Putrada Ekadashi fast. On the Dashami (the day before Ekadashi), he bathed and worshiped Lord Vishnu, making a firm resolve to complete the fast. On Ekadashi, he observed a full fast, worshiped Lord Vishnu, and stayed awake through the night in devotion.

Lord Vishnu’s Blessing

On Dwadashi (the day after Ekadashi), King Suketuman bathed and again worshiped Lord Vishnu, praying for a son. Pleased by his devotion, Lord Vishnu blessed him with the promise of a son.

The Result of the Story

In due time, the queen gave birth to a beautiful son. King Suketuman and his queen were overjoyed and expressed their gratitude to Lord Vishnu.

The Significance of Putrada Ekadashi

This fast pleases Lord Vishnu, who grants the boon of a son to his devotees. Observing this fast also destroys sins and leads one towards liberation.

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा PDF Download

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कब है

पौष पुत्रदा एकादशी 2025 में शुक्रवार, 10 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना कर व्रत रखा जाता है, जो संतान प्राप्ति और उनकी समृद्धि के लिए विशेष फलदायी माना जाता है।

व्रत तिथि और समय:

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 9 जनवरी 2025 को दोपहर 12:22 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 10 जनवरी 2025 को सुबह 10:19 बजे

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण कब है

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण (व्रत तोड़ने का समय) वर्ष 2025 में निम्नलिखित है:

  • व्रत पारण तिथि: 11 जनवरी 2025, शनिवार
  • पारण का समय: प्रातः 07:15 बजे से 09:20 बजे तक
  • पारण की अवधि: 2 घंटे 5 मिनट

यह जानकारी 2025 में पौष पुत्रदा एकादशी के व्रत पारण के समय को दर्शाती है।

पुत्रदा एकादशी पूजन विधि

पूजन सामग्री

  • भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र
  • फल, फूल, मिठाई, पंचामृत
  • चंदन, रोली, हल्दी, कुमकुम
  • दीप, घी, बत्ती
  • तुलसी दल
  • सुपारी, नारियल
  • इत्र, कपूर
  • व्रत कथा पुस्तिका

पूजन विधि

  1. स्नान: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. व्रत संकल्प: एकाग्रचित्त होकर भगवान विष्णु का ध्यान करें और पुत्र प्राप्ति की कामना करते हुए व्रत का संकल्प लें।
  3. पूजा: घर के मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। फल, फूल, मिठाई, पंचामृत, चंदन, रोली, हल्दी, कुमकुम, दीप, घी, बत्ती, तुलसी दल, सुपारी, नारियल, इत्र, कपूर आदि से भगवान विष्णु का विधिपूर्वक पूजन करें।
  4. कथा: व्रत कथा पुस्तिका से पुत्रदा एकादशी व्रत कथा का पाठ करें।
  5. आरती: भगवान विष्णु की आरती करें।
  6. भोग: भगवान विष्णु को पंचामृत, फल, फूल, मिठाई, पंचामृत का भोग लगाएं।
  7. कीर्तन: भगवान विष्णु के नामों का कीर्तन करें।
  8. रात्रि जागरण: रात भर जागरण करें और भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करें।
  9. पारण: अगले दिन, द्वादशी तिथि में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और फिर पूजा सामग्री से भगवान विष्णु का पूजन करें। इसके बाद, पारण का समय देखें और उसी समय पर व्रत का पारण करें।

व्रत के नियम

  • एकादशी के दिन दान-पुण्य करें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • झूठ बोलना, चोरी करना, गाली देना, किसी को कष्ट देना आदि से बचें।
  • दिन में एक बार ही भोजन करें।
  • भोजन में सात्विक भोजन करें।
  • शयन भूमि पर सोएं।
  • बाल, दाढ़ी, नाखून आदि नहीं काटें।

पुत्रदा एकादशी व्रत के लाभ

  • इस व्रत को रखने से संतान प्राप्ति की कामना पूर्ण होती है।
  • पुत्र की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए भी यह व्रत लाभदायक है।
  • इस व्रत को रखने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

ध्यान दें: यह जानकारी सामान्य जानकारी के लिए है। यदि आप किसी विशेष मुहूर्त या विधि के बारे में जानना चाहते हैं, तो किसी विद्वान पंडित से सलाह लें।

शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *