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“….बोरी मत जाने , वृषभानु की किशोरी छे
होरी में तोसो काहु भाँति नही हारेगी
लाल तोहे पकर नचावे, गाल गुलचा लगावे
तोहे राधिका बानवे, आप कृष्णा बन जावेगी
प्रेमी कहे बलिहार, आप कृष्णा बन जावेगी…”रसिया को नार बनावो री रसिया को ॥

कटि लहंगा गल माल कंचुकी,
वाको चुनरी शीश उढाओ री,
रसिया को नार बनावो री रसिया को ॥

बाँह बडा बाजूबंद सोहे,
वाको नकबेसर पहराओ री,
रसिया को नार बनावो री रसिया को ॥

लाल गुलाल दृगन बिच काजर,
वाको बेंदी भाल लगावो री,
रसिया को नार बनावो री रसिया को ॥

आरसी छल्ला और खंगवारी,
वाको अनपट बिछुआ पहराओ री,
रसिया को नार बनावो री रसिया को ॥

नारायण करतारी बजाय के,
वाको जसुमति निकट नचाओ री,
रसिया को नार बनावो री रसिया को ॥

रसिया को नार बनावो री रसिया को ॥
रसिया को नार बनावो री रसिया को ॥

रसिया को नार बनावो री रसिया को: होली भजन का गहन अर्थ

यह भजन श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं और उनकी नटखट चेष्टाओं के साथ भक्तों की गहन भक्ति और प्रेम के रंग को प्रस्तुत करता है। इसमें कृष्ण को नारी रूप में सजाने के माध्यम से, उनके व्यक्तित्व की सहजता और उनकी लीलाओं की विविधता को उजागर किया गया है। इस भजन के हर चरण में आध्यात्मिक गहराई और प्रतीकात्मकता छिपी हुई है। आइए इसे गहराई से समझें:


बोरी मत जाने, वृषभानु की किशोरी छे

गहन अर्थ:
यहाँ “बोरी मत” का तात्पर्य है कि किसी को भी राधा की शक्ति और उनके प्रेम को हल्के में नहीं लेना चाहिए। राधा, वृषभानु की पुत्री, प्रेम की चरम सीमा हैं। यह पंक्ति भक्त को यह स्मरण कराती है कि प्रेम की शक्ति सभी लौकिक बाधाओं को पार कर जाती है। राधा यहाँ केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि आध्यात्मिक प्रेम का प्रतीक हैं।


होरी में तोसो काहु भाँति नहीं हारेगी

गहन अर्थ:
होली के संदर्भ में यह पंक्ति कहती है कि प्रेम में डूबा हुआ हृदय कभी हारता नहीं। यह इस बात का संकेत है कि राधा और कृष्ण का प्रेम प्रतिस्पर्धा से परे है; यह आत्मा का परमात्मा से मिलन है, जहाँ हार और जीत का कोई स्थान नहीं है।


लाल तोहे पकर नचावे, गाल गुलचा लगावे

गहन अर्थ:
श्रीकृष्ण का प्रेम ऐसा है जो भक्त को उसकी सारी सीमाओं से मुक्त कर देता है। “लाल” यहाँ प्रेम और ऊर्जा का प्रतीक है। गुलाल लगाने और नचाने का अर्थ है कि प्रेम की शक्ति में हर जीव अपने अहंकार और पहचान को भुला देता है।


तोहे राधिका बानवे, आप कृष्णा बन जावेगी

गहन अर्थ:
यह पंक्ति राधा और कृष्ण के अद्वैत (अभिन्नता) को दर्शाती है। राधा और कृष्ण केवल दो व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि प्रेम की दो अभिव्यक्तियाँ हैं। भक्त के लिए प्रेम के चरम पर पहुँचने का अर्थ है कि वह प्रेमी और प्रिय दोनों में भेदभाव खो देता है।


प्रेमी कहे बलिहार, आप कृष्णा बन जावेगी

गहन अर्थ:
भक्तजन इस प्रेम पर बलिहारी जाते हैं, क्योंकि यहाँ प्रेम में ‘मैं’ और ‘तुम’ का भेद समाप्त हो जाता है। यह एक गूढ़ सत्य है कि जब प्रेम पूर्णता को छूता है, तो उसमें हर सीमारेखा मिट जाती है।


कटि लहंगा गल माल कंचुकी

गहन अर्थ:
कृष्ण को स्त्री रूप में सजाना प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। यहाँ लहंगा, माला, और कंचुकी नारी के सौंदर्य और सृजनात्मकता को दिखाते हैं। कृष्ण, जो परम पुरुष हैं, को नारी रूप में सजाना यह दर्शाता है कि दिव्यता हर रूप में विद्यमान है।


वाको चुनरी शीश उढाओ री

गहन अर्थ:
चुनरी नारी की मर्यादा और गरिमा का प्रतीक है। कृष्ण के सिर पर चुनरी डालने का अर्थ है कि प्रेम में नारी और पुरुष के सभी भेद समाप्त हो जाते हैं। यह एक आध्यात्मिक संदेश है कि परमात्मा को किसी एक रूप में सीमित नहीं किया जा सकता।


बाँह बड़ा बाजूबंद सोहे

गहन अर्थ:
बाजूबंद शक्ति और सज्जा का प्रतीक है। कृष्ण के नारी रूप में बाजूबंद पहनाने का तात्पर्य है कि प्रेम में सजावट और समर्पण दोनों का विशेष महत्व है।


वाको नकबेसर पहराओ री

गहन अर्थ:
नकबेसर (नाक का गहना) सौंदर्य और सादगी दोनों का प्रतीक है। कृष्ण को यह पहनाना उनकी चंचलता और उनकी लीलाओं को एक सौंदर्यपूर्ण आयाम देता है।


लाल गुलाल दृगन बिच काजर

गहन अर्थ:
गुलाल का लाल रंग प्रेम और उर्जा का प्रतीक है। काजल आँखों की गहराई और आकर्षण को बढ़ाता है। यह प्रेम के दोनों पक्षों – गहराई और चंचलता – का प्रतीक है।


वाको बेंदी भाल लगावो री

गहन अर्थ:
बिंदी नारी के सौंदर्य और दिव्यता का प्रतीक है। कृष्ण के माथे पर बिंदी लगाना इस बात को दर्शाता है कि प्रेम के मार्ग पर आत्मा और परमात्मा का हर रूप पूजनीय है।


आरसी छल्ला और खंगवारी

गहन अर्थ:
आरसी छल्ला (कांच की चूड़ियाँ) और खंगवारी (पैरों की पायल) ध्वनि और सौंदर्य का प्रतिनिधित्व करती हैं। इन आभूषणों के माध्यम से कृष्ण के नारी रूप को सजाना प्रेम की लय और ताल का प्रतीक है।


वाको अनपट बिछुआ पहराओ री

गहन अर्थ:
बिछुए (पैर की अंगूठी) नारी के विवाह और संबंध का प्रतीक हैं। कृष्ण को बिछुए पहनाना उनके और भक्त के बीच एक अनंत प्रेम के संबंध को दर्शाता है।


नारायण करतारी बजाय के

गहन अर्थ:
नारायण द्वारा करतारी (वाद्य यंत्र) बजाना भक्त और भगवान के बीच आनंद और उल्लास का संकेत है। यह इस बात का प्रतीक है कि जब प्रेम अपने चरम पर पहुँचता है, तो चारों ओर दिव्यता की ध्वनि गूँजती है।


वाको जसुमति निकट नचाओ री

गहन अर्थ:
यह पंक्ति यशोदा के स्नेह और उनकी नटखट बालक कृष्ण की लीलाओं को जोड़ती है। कृष्ण को सजाकर नचाना यह दर्शाता है कि प्रेम में हर क्रिया एक लीला बन जाती है।


रसिया को नार बनावो री रसिया को

गहन अर्थ:
पूरे भजन का सार इस पंक्ति में निहित है। श्रीकृष्ण को नारी रूप में सजाना केवल बाह्य सजावट नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि प्रेम और भक्ति की दिव्यता किसी रूप, लिंग, या पहचान तक सीमित नहीं है। यह भजन प्रेम की असीमता और उसके सार्वभौमिक स्वरूप को प्रतिबिंबित करता है।


यह भजन न केवल होली का आनंद और हास-परिहास प्रस्तुत करता है, बल्कि एक गहरी आध्यात्मिक समझ भी प्रदान करता है। यह प्रेम, समर्पण, और दिव्यता के हर रूप को स्वीकारने का संदेश देता है।

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