- – भजन में भक्त अपनी आत्मा को ब्रज की धूल बनने की इच्छा व्यक्त करता है, जो श्री राधे की लाड़ली और स्वामिनी हैं।
- – भक्त खुद को दीन, अज्ञानी और अभागी मानते हुए श्री राधे से अपने भाग्य जागृत करने और दर्शन की प्यास बुझाने की प्रार्थना करता है।
- – भजन में भक्त अपनी पूर्ण समर्पण भावना व्यक्त करता है और राधे की करुणा पाने का अधिकारी होने का विश्वास जताता है।
- – जो लोग “राधे राधे” का जाप करते हैं, वे राधे की शरण में रहते हैं और भक्त उनसे अपना भक्त बनाने की कामना करता है।
- – भजन की गायिका देवी चित्रलेखा जी हैं, जो भावपूर्ण स्वर में श्री राधे की महिमा का गुणगान करती हैं।

मोहे ब्रज की धुल बना दे,
लाड़ली श्री राधे,
लाड़ली श्री राधे,
स्वामिनी श्री राधे,
मोहे ब्रज की धूल बना दे,
लाड़ली श्री राधे।।
मैं साधन हिन किशोरी जी,
दीनन में दीन किशोरी जी,
दीनन में दीन किशोरी जी,
मेरे सोये भाग्य जगा दे,
लाड़ली श्री राधे,
मोहे ब्रज की धूल बना दे,
लाड़ली श्री राधे।।
अज्ञानी अभागिन हूँ दासी,
अखियाँ दर्शन को है प्यासी,
अखियाँ दर्शन को है प्यासी,
मेरी नैनो की प्यास बुझा दे,
लाड़ली श्री राधे,
मोहे ब्रज की धूल बना दे,
लाड़ली श्री राधे।।
जैसी भी हूँ मैं तुम्हारी हूँ,
करुणा की मैं अधिकारी हूँ,
करुणा की मैं अधिकारी हूँ,
Bhajan Diary,
मीरा गोपाल मिला दे,
लाड़ली श्री राधे,
मोहे ब्रज की धूल बना दे,
लाड़ली श्री राधे।।
जो राधे राधे कहते है,
वो प्रिया शरण में रहते है,
वो प्रिया शरण में रहते है,
उसे अपना भक्त बना दे,
लाड़ली श्री राधे,
मोहे ब्रज की धूल बना दे,
लाड़ली श्री राधे।।
मोहे ब्रज की धुल बना दे,
लाड़ली श्री राधे,
लाड़ली श्री राधे,
स्वामिनी श्री राधे,
मोहे ब्रज की धूल बना दे,
लाड़ली श्री राधे।।
स्वर – देवी चित्रलेखा जी।
